‘एक्सीडेंटल होम मिनिस्टर’: पवार ने कसी उद्धव की नकेल, उद्धव ने संजय राउत को किया डिमोट

संजय राउत को इनाम में मिला डिमोशन!

शिवसेना भाजपा अनिल देशमुख

शिवसेना के बड़बोले प्रवक्ता संजय राउत को उनकी बकवास के लिए महाराष्ट्र सरकार ने लाजवाब इनाम दिया है। अब राउत शिवसेना के एकमात्र प्रवक्ता नहीं है। उनके साथ साथ पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द सावंत को भी पार्टी प्रवक्ता नियुक्त किया गया है, जो संजय राउत के लिए किसी डिमोशन से कम नहीं है।

हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत को पार्टी का मुख्य प्रवक्ता नियुक्त किया गया है। उन्हें यह जिम्मेदारी राउत के समकक्ष मिली है, जो अब तक अकेले ही पार्टी के मुख्य प्रवक्ता थे। अब अरविंद सावंत की नियुक्ति को राउत का कद घटाने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।

लेकिन ऐसा करने के लिए शिवसेना को क्यों विवश होना पड़ा? वैसे कारण तो कई हो सकते हैं, लेकिन सूत्रों की माने, तो अभी के लिए सावंत को शिवसेना प्रमुख नियुक्त करने के कदम के पीछे का प्रमुख कारण संजय राउत का वह विवादित बयान है, जहां उन्होंने महाराष्ट्र के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता अनिल देशमुख को ‘एक्सीडेंटल होम मिनिस्टर’ बता दिया था।

संजय राउत का बड़बोलापन कोई नई बात नहीं है, परंतु जिस प्रकार से उन्होंने शरद पवार के खास के विरुद्ध उंगली उठाई है, उससे एनसीपी और कांग्रेस दोनों ही शिवसेना से काफी रुष्ट दिखाई दे रहे हैं। संजय राउत के ‘एक्सीडेंटल होम मिनिस्टर’ वाले बयान के बाद महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने ये भी कहा कि उन्हें कुछ भी बोलने से पहले थोड़ा सोच लेना चाहिए।

इससे पहले भी संजय राउत को राज्य में सहयोगी दल कांग्रेस से आलोचना का सामना करना पड़ा था। तब उन्होंने सुझाव दिया था कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार को यूपीए अध्यक्ष के रूप में पदभार संभालना चाहिए। बता दें कि वर्तमान में यूपीए की अध्यक्षता कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी कर रही हैं।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि अनिल देशमुख पर उंगली उठाकर शिवसेना, विशेषकर राउत ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारी है, और डैमेज कंट्रोल हेतु उन्होंने राउत को डिमोट करने के लिए पूरी व्यवस्था की है।

लेकिन अरविन्द सावंत भी कोई दूध के धुले नहीं है। यह वही शिवसेना नेता अरविन्द सावंत हैं, जिनपर महाराष्ट्र की अमरावती सीट से निर्दलीय लोकसभा सांसद नवनीत राणा ने धमकी देने का आरोप लगाया था। राणा ने आरोप लगाया था कि लोकसभा में सोमवार को सचिन वाझे केस उठाने पर शिवसेना सांसद ने लोकसभा में ही उन्हें जेल भेजने की धमकी दी। महिला सांसद ने इस मामले की शिकायत लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से करते हुए कार्रवाई की मांग की थी।

एंटीलिया प्रकरण सामने आने के बाद संजय राउत के बयानों से पार्टी का शीर्ष नेतृत्व खुश नहीं था। गृह मंत्री अनिल देशमुख और मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को लेकर दिए बयान से भी गठबंधन पर असर को लेकर शीर्ष नेतृत्व की चिंता बढ़ गई थी। वहीं शरद पवार को यूपीए का नेतृत्व करने की बात कह कर भी राउत को गठबंधन के अहम दल कांग्रेस के गुस्से का शिकार होना पड़ा। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि एक तीर से दो निशाने साधते हुए शिवसेना ने संजय राउत को डिमोशन देकर न सिर्फ स्थिति को संभालने की कोशिश की है, बल्कि एनसीपी के साथ अपने संबंध पुनः मजबूत करना चाहती है।

Exit mobile version