विदेशी नस्ल नहीं देसी चुनो: देसी कुत्तों और बिल्लियों को पालतू बनाने की ओर एक बड़ा कदम

पिछले वर्ष ‘मन की बात’ में अपने सम्बोधन के दौरान देसी कुत्तों और बिल्लियों को पालतू बनाने की ओर पीएम नरेंद्र मोदी न जनता का ध्यान आकर्षित किया था। उनके अनुसार जब देश आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है, तो पशुपालन में भी ऐसा क्यों नहीं होना चाहिए?

अब ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार इसी देश में कुछ सार्थक कदम भी उठा रही है। पशुपालन मंत्रालय ने इस विषय पर देसी पशुओं, विशेषकर कुत्ते और बिल्लियों के पालन से संबंधित एक प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा था। द प्रिन्ट द्वारा एक उच्चाधिकारी से बातचीत के अनुसार, “केन्द्रीय सचिवालय ने इस प्रस्ताव को विभिन्न मंत्रालयों से विचार विमर्श के लिए भेजा था। फिलहाल इसे लगभग सभी मंत्रालयों की स्वीकृति मिल चुकी है, बस गृह मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति मिलनी बाकी है”।

2012 के पशु जनगणना के अनुसार देश में 1.167 करोड़ पालतू कुत्ते और लगभग 1.713 करोड़ आवारा कुत्ते, जिनमें देसी और विदेशी ब्रीड दोनों शामिल है। इस विषय पर पिछले वर्ष ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने उल्लेख किया था। उनके अनुसार, “जब भी आप अगली बार पशुपालन की सोचें, तो जरा भारतीय कुत्तों के बारे में भी सोचें। जब देश आत्मनिर्भर बन रहा है, तो यहाँ भी आत्मनिर्भर बनना चाहिए”।

पीएम मोदी गलत भी नहीं है, क्योंकि देसी कुत्तों को पालने के भी अनेक फायदे हैं। राजपालयम जैसे देसी ब्रीड के कुत्ते न केवल अन्य कुत्तों की भांति अधिक वफादार होते हैं, बल्कि इनपर विदेशी कुत्तों की भांति कम खर्च भी आता है। इसीलिए इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च इस विषय पर अनुसंधान कर रहा है कि कैसे देसी ब्रीड अधिक फायदा पहुंचा सकते हैं, और कैसे इनके पालन से देश को फायदा हो सकता है।

इसी अनुसंधान के आधार पर पशुपालन मंत्रालय ने अपना प्रस्ताव केन्द्रीय सचिवालय के पास भेजा था, और यदि सब कुछ सही रहा, तो जल्द ही देसी ब्रीड के कुत्ते बिल्ली विदेशों में भी अपनी धाक जमाते हुए दिखाएंगे।

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