जहां एक ओर अनिल देशमुख अपने विनाश की ओर अग्रसर हैं, तो वहीं पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह और सचिन वाझे के दिन प्रतिदिन खुलासों ने महाविकास अघाड़ी गठबंधन की नींद उड़ा रखी है। अब सचिन वाझे ने शिवसेना नेता एवं परिवहन मंत्री अनिल परब के ऊपर आरोप लगाते हुए कहा है कि अनिल देशमुख ही वसूली गिरोह के इकलौते नेता नहीं थे।
NIA को लिखे पत्र में निलंबित पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाझे ने खुलासा किया है कि कैसे अनिल परब उनसे वसूली करवाते थे। पत्र के अंश अनुसार, “जुलाई – अगस्त 2020 के दौरान मुझे मंत्री अनिल परब ने अपने आधिकारिक निवास पे बुलाया। उन्होंने मुझसे SBUT से जांच पड़ताल बंद कराने के लिए 50 करोड़ रुपये वसूलने के लिए कहा है। मैंने कहा कि ये मेरे अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है, और मैं ऐसा कुछ भी नहीं कर पाऊँगा”।
लेकिन अनिल परब वहीं पर नहीं रुके। जनवरी 2021 में उन्होंने एक बार फिर सचिन वाझे को तलब किया और BMC के साथ काम कर रहे कुछ ठेकेदारों से इन्क्वायरी बंद कराने के लिए 2 करोड़ रुपये प्रति ठेकेदार वसूलने को कहा, और ऐसे 50 ठेकेदारों की मुझे सूची थमायी गई थी”
इसके अलावा सचिन वाझे ने यह भी बताया कि उन्हे डर था कि कहीं आगे चलके यह दोनों मंत्री उसे ऐसे किसी वसूली केस में न फंसा दे, जिसके लिए उन्होंने परमवीर सिंह से बातचीत भी की थी। तब परमवीर सिंह ने उन्हे भरोसा दिलाया था कि यदि सचिन खुद से कुछ न करे, तो ऐसा कुछ नहीं होगा।
यही नहीं, सचिन वाझे ने इसी पत्र के जरिए यह भी खुलासा किया था कि कैसे अनिल देशमुख ने सब कुछ ताक पर रखकर उससे 2 करोड़ रुपये मांगे, ताकि उसे फिर से पुलिस में नियुक्त किया जा सके। अपने पत्र में सचिन वाझे ने लिखा है, “एनसीपी प्रमुख शरद पवार को मेरे पुनः नियुक्त होने से आपत्ति थी और वे नहीं चाहते हैं कि मैं वापिस मुंबई पुलिस का हिस्सा बनूँ। लेकिन जब ये बात मैंने अनिल देशमुख को बताई, तो उन्होंने कहा कि यदि मैं उनको 2 करोड़ रुपये देता हूँ तो वे शरद पवार से बात कर सकते हैं। मैंने तब उन्हे इतनी बड़ी रकम चुकाने में असमर्थता जताई थी, तो उन्होंने कहा कि कुछ समय बाद इसका भुगतान किया जा सकता है”
इसी पत्र में सचिन वाझे ने ये भी बताया कि कैसे अक्टूबर 2020 में सह्याद्री गेस्ट हाउस में बुलाकर अनिल देशमुख ने उससे 1650 बार एवं रेस्टोरेंट से वसूली करने का आदेश दिया। पहले तो उसन, मना किया, लेकिन जनवरी 2021 में एक बार फिर यही मांग की गई, जिसे कथित तौर पर सचिन वाझे ने स्वीकारा भी।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि शिवसेना के नेतृत्व वाले खिचड़ी गठबंधन के विनाश की नींव पड़ चुकी है। वुहान वायरस के प्रति जिस प्रकार से महाराष्ट्र ने लापरवाही दिखाई है, उससे केंद्र सरकार पहले ही अत्यंत क्रोधित है, लेकिन सचिन वाझे ने जो लेटर बम फोड़ा है, उससे अब एक बात स्पष्ट है – अब सवाल यह नहीं कि क्या महाविकास अघाड़ी सरकार टिकी रहेगी, पर अब सवाल यह है कि यह सरकार कब गिरेगी।