कांग्रेस विधायक और पार्षद के धमकाने के बाद डॉक्टर श्रीवास्तव ने दिया था इस्तीफा, शिवराज दिलाएंगे इंसाफ

भोपाल में एक वरिष्ठ डॉक्टर ने तब इस्तीफा दे दिया जब उनके साथ कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री P C शर्मा और उनके साथ आए लोगों ने अभद्रता की। वुहान वायरस से पीड़ित एक व्यक्ति की मौत के बाद उसके परिजन और कांग्रेस के कार्यकर्ता, कांग्रेस विधायक PC शर्मा के नेतृत्व में JP हॉस्पिटल पहुंचे। वहां उन्होंने इलाज कर रहे डॉक्टर योगेंद्र श्रीवास्तव को गालियां दी, क्योंकि वह एक व्यक्ति की जान बचाने के प्रयास में असफल हो गए। पूर्व मंत्री पीसी श्रमा और कांग्रेस के पूर्व पार्षद योगेंद्र सिंह चौहान गुड्डू की बदसलुकी के बाद डॉक्टर योगेंद्र श्रीवास्तव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था जो उन्होंने मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद वापस ले लिया है। घटना का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें देखा जा सकता है कैसे पीसी शर्मा और पूर्व नगरसेवक योगेंद्र चौहान भोपाल के सरकारी जेपी अस्पताल में कोविद वार्ड के प्रभारी नोडल अधिकारी डॉक्टर योगेंद्र श्रीवास्तव पर चिल्ला रहे हैं। 

हॉस्पिटल प्रशासन ने बताया कि मृतक जब वुहान वायरस से पीड़ित होकर, हॉस्पिटल आया था, तभी से उसकी हालत बहुत खराब थी। हॉस्पिटल की ओर से दिए गए बयान में कहा गया है “हमारे वरिष्ठ चिकित्सक योगेंद्र श्रीवास्तव ने कुछ लोगों और नेताओं द्वारा की गई अभद्रता से क्षुब्ध होकर इस्तीफा दे दिया है। एक मरीज, बहुत गम्भीर स्थिति में आज सुबह ही ट्रामा वार्ड में भर्ती किया गया था। डॉ० योगेंद्र ने उसके परिवार को बताया भी था कि उसकी स्थिति बहुत नाजुक है। इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई, जिसके बाद कुछ लोगों ने डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार किया।”

डॉ० श्रीवास्तव का जो वीडियो सामने आया है उसमें वह बहुत क्षुब्ध होकर रो रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘मरीज गंभीर हालत में आया था। उसका ऑक्सीजन सेचुरेशन 30 प्रतिशत था। उसके परिजनों को बता दिया था कि उसको बाहर भी नहीं भेज सकते, उसकी हालत खराब थी। मैंने बहुत मेहनत की। फिर भी बचा नहीं सके, दो घंटे बाद उसकी मौत हो गई। उपर वाला भी नहीं बचा सकता हम तो फिर भी इंसान हैं, डॉक्टर हैं। जैसे ही वह (मरीज) खत्म हुआ (मरा) पता नहीं कहाँ से बाहरी लोग आ गए और 20 लोगों के सामने मेरे साथ इतना दुर्व्यवहार किया, कि मैं इतना व्यथित हूँ, रो रहा हूँ, मुझे नौकरी नहीं करनी….गाली खाने के लिए नौकरी नहीं करनी। मैं अस्पताल आऊंगा तो भी मेरी मानसिक स्थिति ऐसी नहीं है कि कोरोना मरीजों की देखभाल कर पाऊंगा। मैंने अपना इस्तीफा दे दिया है।’

डॉ० श्रीवास्तव का कहना है कि उन्हें भय है कि भविष्य में ये लोग उनकी जान भी ले सकते हैं। इस घटना ने वास्तव में यह प्रश्न खड़ा किया है कि वाकई, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद, हॉस्पिटल प्रशासन पर आरोप मढ़ते हुए, मृतक के परिजन और उपद्रवी तत्व, चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को मार सकते हैं? ऐसे उपद्रवियों का मनोबल तब और भी बढ़ जाता है जब उन्हें राजनीतिक शह मिल जाती है।

भोपाल के सरकारी जेपी अस्पताल में कोविद वार्ड के प्रभारी नोडल अधिकारी डॉक्टर योगेंद्र श्रीवास्तव ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है. परन्तु मरीज अगर अस्पताल में समय से नहीं पहुँच पाया और इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गयी तो इसमें डॉक्टर के साथ बदसलूकी करना कहाँ तक उचित है ? इस बात पर स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संज्ञान लिया है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस पूरे प्रकरण पर बयान देते हुए कहा, “आज की घटना के कारण जेपी अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने अत्यंत व्यथित होकर इस्तीफा तक सौंप दिया है। हम एक सभ्य समाज में रह रहे हैं, इस समय जब साथ मिलकर खड़े होने की ज़रूरत है, ऐसे में हंगामा करना न तो जनहित में है और न ही इससे #COVID19 का मुकाबला किया जा सकता है। आज जेपी अस्पताल में जो घटना हुई, ऐसी घटनाओं से दिन और रात कार्यरत हमारे डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और चिकित्सा सेवाओं से जुड़े लोगों का मनोबल गिरता है। मैं पुनः अपील करता हूँ, सभी लोग सभ्य और ज़िम्मेदार नागरिक होने का परिचय दें, डॉक्टर्स का मनोबल गिराने की जगह उनका मनोबल बढ़ाएँ”। 

इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने जानकारी दी, “आज भोपाल के जेपी अस्पताल में कार्यरत डॉ. योगेंद्र श्रीवास्तव ने स्वास्थ्य मंत्री श्री @DrPRChoudhary के आग्रह के बाद अपना त्यागपत्र वापस लिया है। डॉ. श्रीवास्तव जैसे अनेक #CoronaWarriors जिस सेवाभाव के साथ कार्य कर रहे हैं, उसकी व्याख्या शब्दों में नहीं की जा सकती है”। जिस तरह से शिवराज सिंह चौहान  ने मामले सें हस्तक्षेप किया और डॉ. योगेंद्र श्रीवास्तव को त्यागपत्र वापस लेने के लिए मनाया वो सराहनीय है।

देखा जाए तो भारत में चिकित्सकों के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट आम बात है। अक्सर मृतकों के परिजन यह नहीं समझ पाते कि डॉक्टर की भी सीमा होती है, हर पीड़ित की जान बचाना सम्भव नहीं होता। किन्तु चिकित्सकों के साथ होने वाली मारपीट पर चर्चा नहीं होती। पिछले वर्ष ही लॉक डाउन की शुरुआत में, जब कोरोना वॉरिअर घर-घर जाकर टेस्टिंग कर रहे थे, तो इंदौर की मुस्लिम बस्ती में उनको दौड़ा दौड़ा कर पीटा गया था। ऐसी ही खबरें देश में अन्य कई जगहों से भी आईं थीं। महाराष्ट्र में मालेगांव में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी जब AIMIM के विधायक मोहम्मद इस्माइल के समर्थकों ने डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार किया था।

2019 में पश्चिम बंगाल में भी ऐसा प्रकरण सामने आया था, जब मुहम्मद शाहिद नामक 75 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके परिजनों ने जूनियर डॉक्टरों को पीट दिया था। यह मामला इतना बढ़ गया था कि देशभर में डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे। उस समय भी उपद्रवियों को TMC की ओर से राजनीतिक समर्थन मिला था, जिससे उनका मनोबल इतना बढ़ गया था।

दुर्भाग्यवश हड़ताल, प्रदर्शन आदि होने के बाद भी भारत में चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कि जा सकी है। भोपाल का यह प्रकरण बताता है कि जब तक उपद्रवियों को राजनीतिक समर्थन मिलता रहेगा, तब तक चिकित्सकों को ऐसे अपमान सहने ही पड़ेंगे।

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