ई-कॉमर्स और ऑनलाइन मार्केटिंग से लोगों को सबसे ज्यादा सहूलियत होती है। घर बैठे छोटी-से-छोटी और बड़ी-से-बड़ी चीज बिना किसी झंझट के मंगाई जा सकती है, लेकिन तब क्या किया जाए जब इसी ई-कॉमर्स के जरिए आसानी से आपराधिक गतिविधियों वाली चीजें भी लोगों के घरों तक पहुंचने लगें क्योंकि अबॉर्शन किट कुछ इसी तरह लोगों के घर तक आसानी से पहुंच रही है। ये खुलासा हरियाणा के केथल में हुआ है, जिसके बाद Amazon के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठने लगी है।
Amazon जैसी ई-कॉमर्स कंपनी भारत के नियमों की कभी वेबसीरीज के मुद्दे पर, तो कभी अपनी सेलिंग पॉलिसी के मुद्दे पर धज्जियां उड़ाती ही रहती है। एक नए खुलासे के मुताबिक भारत में बड़ी आसानी से Amazon लोगों के घरों तक अबॉर्शन किट की डिलीवरी कर रहा है, जो कि ऑफलाइन मार्केट में बेचना तक अवैध माना गया है।
इसका खुलासा हरियाणा के कैथल के डिस्ट्रिक्ट पीएनडीटी नोडल अधिकारी डॉक्टर ग़ौरव पुनिया ने किया और बताया कि दो अबॉर्शन किट 897 रुपए की कीमत पर Amazon द्वारा बिना किसी विशेष नियम के 7 दिन के अंदर उन्हें डिलीवर की गई जो कि बेहद ही आपत्तिजनक है।
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इस ऑनलाइन माध्यम से आई इस एमटीपी (मेडिकल टर्मिनेशन प्रेगनेंसी किट) के मुद्दे को डीसी ने भी संज्ञान लिया। डीएम और ड्रग कंट्रोलर आफिसर की मौजूदगी में वीडियोग्राफी के दौरान खोली गई इस किट के मामले में अब केस दर्ज कर लिया गया है। जिसमें बेचने वाली फर्म समेत डिलीवरी करने वाली कंपनी Amazon सहित चार अन्य नाम भी है।
देश में गर्भपात को रोकने के लिए केन्द्र और राज्यों के स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। अक्सर देखा जाता है कि गर्भपात गर्भ में मौजूद भ्रूण के लिंग की जांच के बाद ही होता है, इसलिए लिंग परीक्षण को भी अपराधिक माना गया है।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब भारत सरकार अभियान चलाकर लोगों को जागरूक कर रही है, कि गर्भपात न किया जाए, और लिंग की जांच कर बेटी होने की स्थिति में किसी भी कीमत पर उसे न मारा जाए तो फिर Amazon के जरिए बिक रही इस तरह की अबॉर्शन किट तो कानूनों का साफ-साफ उल्लंघन कर रही है।
सरकार ने तो लिंग की जांच करने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई करने के साथ ही इस कृत्य को गैर कानूनी घोषित करते हुए अपराधिक श्रेणी में रखा है। ऐसे में अबॉर्शन किट डिलीवरी का मामला भी अपराधिक श्रेणी में ही आएगा, और इस मुद्दे पर Amazon के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
आज की स्थिति की बात करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 1000 पुरुषों के अनुपात में शहरी इलाकों में 949 जबकि ग्रामीण इलाकों में 929 स्त्रियां हैं। इसके साथ हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में तो ये आंकड़ा आज भी 900 का आंकड़ा पार नहीं कर पाया है, जिसके लिए सरकारों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
देश में बेटों और बेटियों के अनुपात को समान करने के लिए सरकारों को अनेक तरह के जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पड़ रही है। राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में तो इसको लेकर लोगों में संवेदनशीलता भी कम ही है।
ऐसे में सरकार के अभियानों की खुलेआम धज्जियां उड़ाने वाले Amazon ने इस मामले के जरिए एक बार फिर साबित कर दिया है कि ये कंपनी भारतीय कानूनों को ताक कर रखने की कसम खा चुकी है, और इसीलिए इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई आवश्यक है।