मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की सफलता से अमेरिका टेंशन में है

भारत की इस योजना की सफलता का प्रभाव अमेरिका पर भी पड़ने लगा है!

PC: Business Today

कोरोनावायरस को लेकर मोदी सरकार ने जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ की नीति शुरु की थी, उससे भारत को तो लाभ हुआ है लेकिन सुपर पावर माने जाने वाले अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। ऐसे में बाइडन प्रशासन अब मोदी सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की नीति को लेकर अपनी असहजता जाहिर कर रहा है। बाइडन प्रशासन का कहना है कि अमेरिकी निर्यातकों को भारत में टैरिफ और नॉन टैरिफ से जुड़ी अनेकों बाधाओं का सामना करना पड़ता है जिससे दोनों देशों के आर्थिक हितों और रिश्तों पर बुरा असर पड़ रहा है। अमेरिका के इस बदले रुख की वजह केवल इतनी सी है कि 2020 में भारत अमेरिका का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर था, जो अब अपनी निर्भरता को कम कर रहा है।

भारत की आत्मनिर्भर नीति का लाभ राष्ट्रीय स्तर पर तो हो रहा है, लेकिन अब इस नीति से कुछ देश भारत से नाराज होते जा रहे हैं जो पहले भारत के बड़े ट्रेडिंग पार्टनर हुआ करते थे। इस पूरे प्रकरण को लेकर अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में भारत की आत्मनिर्भर भारत की नीति को लेकर अपनी असहजता जाहिर की है। रिपोर्ट में कहा गया, भारत सरकार ने आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया है, लेकिन साथ हीमेक इन इंडियाजैसे कार्यक्रमों को भी शुरू किया है, जो आयात की जगह घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित कर रहा है।

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इसके साथ ही इस रिपोर्ट में मोदी सरकार की आत्मनिर्भर भारत की नीति का उल्लेख भी है। रिपोर्ट में कहा गया, “इसके अलावा, मई 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता को कम करने के लिए देश को आत्मनिर्भर बनाने की घोषणा की थी। भारत के मेक इन इंडियाअभियान ने द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के समक्ष चुनौतियों को बढ़ा दिया है।” अमेरिका लगातार भारत के साथ ट्रेड डील को बेहतर बनाने की बात कर रहा है, क्योंकि लोकल लोगों को बल देने वाली मोदी सरकार की ये योजनाएं सुनकर  बाइडन प्रशासन के हाथ पांव फूलने लगे हैं।

अमेरिका ने अपनी हालिया रिपोर्ट में काफी अहम बाते कही हैं। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अमेरिका ने भारत के बाजार में पहुंच बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अवसरों की मांग की है। रिपोर्ट के अनुसार, “इसके बावजूद अमेरिकी निर्यातकों को अभी भी भारत में टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिससे भारत के साथ उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है।इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत सरकार देश में आर्थिक सुधार के लिए प्रयासरत है और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रही है जो आयात पर घरेलू उत्पादन का पक्ष लेते हैं। इससे अमेरिका और भारत के व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ रहा है जिससे उसकी चिंता बढ़ गयी है। गौरतलब है कि अमेरिका का भारत के डेयरी मार्केट समेत चिकित्सा के क्षेत्र के उपकरणों में भी एक बड़ा हिस्सा है। अब भारत की नई नीति के चलते अमेरिका को नुकसान हो रहा है।

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भारत की आत्मनिर्भर नीति को लेकर अमेरिका के बाइड प्रशासन की असहजता सामने आने की ये कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि इससे पहले भी अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने अपने एक बयान में कहा था कि भारत के साथ ट्रेडिंग में पड़ रहे नकारात्मक असर से दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को लेकर मुसीबतें बढ़ सकती हैं। आत्मनिर्भर भारत की सफलता के शुभ संकेत मिलने लगे है। विदेशी कंपनियों के सामानों पर रोक लगाने के साथ ही स्वदेशी चीजों को सरकार द्वारा प्रमोट करना ही मोदी सरकार की सफलता की बड़ी वजह है। दवाओं से लेकर खिलौने, चिकित्सा से जुड़े सामान जो कल तक भारत चीन समेत अन्य देशों से आयात करता था, वो सारा उत्पादन अब देश में ही हो रहा है।

भले ही भारत की अर्थव्यवस्था पिछली तिमाही में नकारात्मक आंकड़ों के साथ -7.9 फीसदी दिखा रही थी, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया है कि इसमें V शेप में होगी। विश्व बैंक व आईएमएफ जैसी संस्थाओं के अनुमानों को देखें तो ये कहा जा सकता है कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी नीतियां भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि अब आत्मनिर्भर भारत की धमक अमेरिका तक सुनाई दे रही हैं।

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