कोरोना के कठिन समय में भी पश्चिमी मीडिया भारत के विरुद्ध फेक न्यूज़ फ़ैलाने से बाज नहीं आ रही हैं। एक बार फिर से द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने फेक न्यूज़ फैलाई कि फेसबुक ने Resign Modi हैशटैग के साथ वाले पोस्ट को हटा दिया। इस बार इस फेक न्यूज़ को स्वयं सरकार की इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक्सपोज़ किया। हालांकि, फेसबुक बाद में स्पष्टीकरण दिया था कि यह तकनीकी समस्या के कारण ऐसा हुआ था।
दरअसल, फेसबुक पर भी ट्विटर की तरह #ResignModi ट्रेंड में था और यही हैशटैग कुछ समय के लिए गायब हो गए थे। इसके बाद तो सभी वामपंथी मीडिया न ये खबर फैलानी शुरू कर दी कि फेसबुक ने जानबूझकर इस ट्रेंड को हटवाया और ये आम जनता की सरकार के खिलाफ आवाज को दबाना दर्शाता है। इसके बाद फेसबुक ने इसपर स्पष्टीकरण किया। इस मामले पर फेसबुक के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने कहा कि, “हमने गलती से इस हैशटैग को अस्थायी रूप से हटा दिया था, न कि भारत सरकार ने हमसे ऐसा कुछ करने को कहा था।”
इसके बावजूद द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस खबर को ऐसे दिखाया जैसे केंद्र सरकार ने फेसबुक से ऐसे पोस्ट हटाने के लिए कहा था। रिपोर्ट में बताया गया कि फेसबुक ने बुधवार को भारत में “#ResignModi” हैशटैग या टेक्स्ट वाली पोस्ट्स को ब्लॉक कर दिया था और बाद में उन्हें रिस्टोर कर दिया गया।
Facebook temporarily blocked posts containing hashtags calling on Indian Prime Minister Narendra Modi to resign, then reinstated them, saying the action had been taken in error https://t.co/H9ooaXF7ns
— The Wall Street Journal (@WSJ) April 29, 2021
सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी फेसबुक ने बताया कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि “उन पोस्ट में कुछ सामग्री हमारे सामुदायिक मानकों के विरुद्ध थे।” स्पष्ट है #ResignModi ट्रेंड को हटाए जाने के पीछे अपने कारण थे। फिर क्या था भारत सरकार ने भी बेतुके आरोप मढ़ने वालों को लताड़ा।
भारत सरकार ने द वॉल स्ट्रीट जर्नल को आड़े हाथों लिया और ट्विटर पर अपने पोस्ट में WSJ की रिपोर्ट को “भ्रामक और जानबूझकर सरकार को बदनाम करने की मंशा” का टैग दिया। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ट्विटर पर लिखा कि WSJ द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में फेसबुक द्वारा कुछ हैशटैग को हटाने के लिए सरकार को दोषी बनाया गया है, वह भ्रामक है। मंत्रालय ने आगे लिखा कि, “सरकार ने इस हैशटैग को हटाने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया है। फेसबुक ने यह भी स्पष्ट किया है कि इसे गलती से हटा दिया गया था।“
A story by @WSJ attributing removal of a certain hashtag by Facebook to GOI's efforts to curb public dissent is misleading on facts and mischievous in intent. Govt has not issued any direction to remove this hashtag. Facebook has also clarified that it was removed by mistake. https://t.co/uzgQ55PNMe
— Ministry of Electronics & IT (@GoI_MeitY) April 29, 2021
इसके साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा पिछली बार फैलाई गयी फेक न्यूज़ को भी याद दिलाते हुए कहा कि, “यह उल्लेख करना उचित है कि 5 मार्च 2021 को भी, WSJ ने “फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर के कर्मचारियों के लिए भारत जेल भेजने के लिए धमका रहा है” शीर्षक के साथ एक फर्जी खबर प्रकाशित की थी। उस दौरान भी सरकार ने वाल स्ट्रीट जर्नल को इस पूरी तरह से फेक और मनगढ़ंत कहानी का आधिकारिक खंडन भेजा था।“
बता दें कि तब मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था, “किसी भी कंपनी के कर्मचारी को लिखित या मौखिक में जेल भेजने की कोई भी धमकी नहीं दी गई है। सोशल मीडिया पर लोग सरकार, प्रधानमंत्री या अन्य किसी भी नीति की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन उन्हें दंगे भड़काने से लेकर किसी को धमकी देने के कोई अधिकार नहीं हैं।”
It is pertinent to mention that on 5th March 2021 also, @WSJ had published a fake news with heading- “India Threatens Jail for Facebook, Whatsapp and Twitter Employees”. Government had sent an official rebuttal of this completely fake and manufactured story to @WSJ.
— Ministry of Electronics & IT (@GoI_MeitY) April 29, 2021
मंत्रालय ने आगे लिखा कि, “हमारे फ्रंट-लाइन वर्कर्स और चिकित्सा पेशेवरों के प्रयासों के लिए force multiplier रूप में मीडिया की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। इस तरह के संवेदनशील समय में, हम मीडिया को करोड़ों आम भारतीयों के साथ मिलकर काम करने का आग्रह करेंगे क्योंकि हम सामूहिक रूप से महामारी से लड़ रहे हैं।“
Media has a very important role to play in acting as a force multiplier to the efforts of our front-line workers and medical professionals. At a sensitive time like this, we would urge the media to partner with crores of ordinary Indians as we collectively fight the pandemic.
— Ministry of Electronics & IT (@GoI_MeitY) April 29, 2021
जिस तरह से वॉल स्ट्रीट जर्नल लगातार भारत के खिलाफ फेक न्यूज़ फैला रहा है उससे अब यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि इस वामपंथी मीडिया संस्थान का एक ही एजेंडा है और वह लोगों को प्रधानमंत्री के खिलाफ भड़काना चाहता हैं। हालांकि, भारत सरकार ने इस मीडिया पोर्टल को भी सख्त संदेश दे दिया है।