बाइडन की चीन नीति क्या है? दुनिया को बेशक इसके बारे में न पता हो लेकिन चीन और उसकी मीडिया को इसका अच्छे से पता है। Global Times ने बाइडन की चीन नीति को हम सब के लिए Decode किया है। इसके साथ ही Global Times ने संदेश दिया है- चीन पर सख्त बातें करके वे सिर्फ घरेलू राजनीति में अपने लिए पॉइंट्स बंटोरना चाहते हैं। असल में अमेरिका चीन के किसी दोस्त की तरह ही बर्ताव कर रहा है।
चीन इस बात को लेकर काफी खुश है कि बाइडन चीन को लेकर एक व्याकुल नेता की तरह बर्ताव कर रहे हैं। ग्लोबल टाइम्स ने बाइडन की चीन नीति पर एक लेख लिखा जिसमें लिखा गया “बाइडन चीन के खिलाफ सख्त भाषा का इस्तेमाल कर घरेलू राजनीति में अपने हितों को बढ़ाना चाहते हैं।” आगे Global Times ने लिखा है कि बाइडन असल में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ कई सेक्टर्स में सहयोग को बढ़ाना चाहते हैं।
स्पष्ट है कि बाइडन ने जिस प्रकार शिंजियांग के मुद्दे पर चीन की आलोचना कर उसपर प्रतिबंध लगाये हैं और Quad के साथ तालमेल को बढ़ाने की दिशा में काम किया है, चीन उससे ज़रा भी परेशान नहीं हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन इस बात को लेकर निश्चिंत है कि बाइडन ये कदम सिर्फ दिखावे के लिए ही चल रहे हैं। चीनी मीडिया इस प्रकार यह घोषणा कर रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चीन की मुट्ठी में हैं।
चीनी मीडिया के इन दावों पर यकीन करना इसलिए भी आसान हो जाता है क्योंकि बाइडन के नेतृत्व में White House ने चीन को दुनिया पर अधिक प्रभाव बढ़ाने का मौका दिया है। उदाहरण के लिए बाइडन के आते ही दक्षिण चीन सागर में चीन की गुंडई अप्रत्याशित तरीके से बढ़ी है। Senkaku इलाके में घुसपैठ, फिलीपींस के Whitsun Reef द्वीपों के आसपास 200 से ज़्यादा vessels भेजना और अपनी कोस्ट गार्ड को दुश्मनों पर गोली चलाने की छूट देना, ये सब चीन शायद ट्रम्प के रहते कभी कर ही नहीं पाता!
इतना ही नहीं, बात तो तब बढ़ गयी जब हाल ही में अमेरिका ने लक्षद्वीप के पास भारत के Exclusive Economic Zone में घुसपैठ कर भारत के दावों को चुनौती दे डाली। दक्षिण चीन सागर में चीनी आक्रामकता से दूर भागते बाइडन ने ऐसा कर Quad और IOR के प्रमुख देश भारत की पीठ में छुरा घोंपना सही समझा! यह चीन-विरोधी गुट में बाइडन के अमेरिका की प्रतिबद्धता को साफ ज़ाहिर करता है।
हालांकि, जहां बात चीन से मुक़ाबला करने की आती है, बाइडन मैदान छोड़ भागने में यकीन रखते हैं। उदाहरण के लिए Alaska समिट को ले लीजिये! Alaska समिट के दौरान अमेरिका ने चीन को बेइज्जत करने की खुली छूट दे दी और दुनियाभर में CCP को अपना सीना चौड़ा करने का अवसर प्रदान कर दिया। CCP ने अपनी घरेलू राजनीति में अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए भी इस खबर को खूब प्रचारित किया।
ताइवान और कोरियन मामलों पर भी अमेरिका ने चीन को फ्रंट-फुट पर खेलने की छूट दे रखी है। उत्तर कोरिया के साथ किसी भी बातचीत के अवसर को न तलाशकर अमेरिका उत्तर कोरिया के साथ-साथ दक्षिण कोरिया को भी चीन की तरफ धकेलने पर मजबूर कर रहा है।
Global Times द्वारा Biden की चीन नीति को Decode किया जाना दर्शाता है कि बाइडन चीन को लेकर सिर्फ “lip service” का काम करना चाहते हैं, ताकि वे अपनी कम होती लोकप्रियता को बरकरार रख सकें। हालांकि, इसी बीच जमीनी स्तर पर चीन के खिलाफ कोई कदम ना उठाकर वे यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि बाइडन चीन से नाराज़ ना हो! अपनी इस कोशिश में वे चीन को दुनिया पर हावी होने की खुली छूट दे चुके हैं।