श्रीराम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद केस हल होने और हिंदू समुदाय के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से देश का बहुसंख्यक समाज अन्य कब्जाए मंदिरों को भी हासिल करने के लिए तैयारी कर चुका है।एक तरफ जहां काशी विश्वनाथ के नजदीक बनी ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जिला न्यायालय एएसआई से सर्वे कराने का आदेश दे चुका है तो दूसरी ओर मथुरा कोर्ट में एक और नया केस आगरा की जामा मस्जिद को लेकर दर्ज किया गया है।
याचिकाकर्ताओं की दलील है कि मस्जिद के नीचे ठाकुर कटरा केशव मंदिर की मूर्तियां दबाई गई हैं और इसलिए इस मामले में रेडियोलॉजिकल जांच होनी चाहिए। अभी कुछ ही दिन हुए हैं जब काशी में ज्ञानवापी मस्जिद की खुदाई करने को लेकर जिला अदालत ने एक एतिहासिक फ़ैसला सुनाया है।
इस मामले में अब सुन्नी वक्त बोर्ड इलाहाबाद हाईकोर्ट में जिला न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका लगा चुका है। एक तरफ जहां काशी में इस मुद्दे पर गर्माहट है तो दूसरी ओर आगरा की जामा मस्जिद के अंदर ठाकुर कटरा केशव मंदिर की मूर्तियों के होने के दावे ने भी जोर पकड़ लिया है, और ये मामला भी अब अदालती कार्यवाही में आ गया है।
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मथुरा की कोर्ट में लखनऊ के लोगों की तरफ से याचिका लगाने वाले वरिष्ठ वकील शैलेन्द्र सिंह ने बताया है कि उन्होंने अपने मुवक्किल की तरफ से सीनियर जज ज्योति सिंह की कोर्ट में याचिका लगाई है कि आगरा की जामा मस्जिद की रेडियोलॉजिकल जांच की जाए, और पता लगाए जाए कि वहां ठाकुर कटरा केशव मंदिर की मूर्तियां हैं या नहीं।
ये सारी बातें मुस्लिम पक्ष के लिए एक नई मुसीबत का सबब बन गईं हैं। इस मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ महत्वपूर्ण दावे किए गए है और औरंगजेब की क्रूरता का विशेष उल्लेख किया गया है। याचिका में कहा गया, “मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर गिराने के बाद मुगल शासक औरंगजेब यहां से भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियां लेकर आगरा गया था और यहां उसने इन मूर्तियों को जामा जहां आरा मस्जिद (जामा मस्जिद) के नीचे दबा दिया था।”
ऐसे में मांग की गई है कि एएसआई से इस मस्जिद में रेडियोलॉजिकल जांच करवाई जाए। दिलचस्प बात ये भी है मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण जन्माभूमि के बगल में में बनीं शाही मस्जिद को लेकर भी कोर्ट में केस जारी है, और हिन्दू पक्ष ने शाही मस्जिद को गिराने की याचिका मथुरा की अदालत में दायर की गई है, और इस मुद्दे पर भी सुनवाई चल रही है।
इसी कड़ी में अब आगरा की जामा मस्जिद पर भी हिन्दुओं ने मूर्ति होने का दावा कर दिया है जो दिखाता है कि अब बहुसंख्यक समाज अपने देवी देवताओं के पूजा स्थलों की कब्जाई जमीन को वापस पाने के लिए संघर्ष करने को तैयार है।
राम जन्मभूमि केस में भी एएसआई की खुदाई ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।यही कारण है कि एएसआई द्वारा वैज्ञानिक तरीके से काशी की ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे भी जब खुदाई होने की बात चली तो अल्पसंख्यक समुदाय बिफर गया और वो इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने लगा। ऐसे में एक और मस्जिद के मुद्दे पर याचिका लगाकर बहुसंख्यक समाज के लोगों की नींदें उड़ा दी हैं।
आज की स्थिति ये है कि हिंदू भक्तों का ‘अयोध्या तो झांकी है, काशी मथुरा बाकी है’ वाला नारा अब सही साबित होता दिख रहा है, क्योंकि अयोध्या पर विजय के बाद काशी और मथुरा की कुल तीन मस्जिदों पर केस चल रहा है, जिसमें हिंदुओं का पक्ष बेहद मजबूत है।