पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव को लेकर नंदीग्राम की सीट सबसे हाई प्रोफाइल हो गई है। इसकी बड़ी वजह राज्य की दोनों ही प्रमुख पार्टियों टीएमसी और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला है। एक तरफ सीएम ममता बनर्जी बागी नेता शुभेंदु अधिकारी को सबक सिखाने के लिए उतरी हैं, वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने शुभेंदु को उतारकर ममता के लिए इसे नाक की लड़ाई बना दिया है।
ऐसे में राजनीतिक हिंसा के लिए बदनाम रहने वाले पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम सीट हिंसा का मुख्य गढ़ बन गई है। हाल में ही इसका सबूत वोटिंग के दौरान देखने को मिला। जब कुछ लोगों ने बीजेपी प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी के काफिले पर हमला कर दिया। टीएमसी द्वारा बीजेपी कार्यकर्ताओं को धमकियां देने की बात और बाद में उनकी आत्महत्या भी इस हिंसा के गढ़ होने का पर्याय बन गई है।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग चुनाव आयोग के लिए सबसे ज्यादा ख़तरनाक रही है। यहां ममता के सिपहसलार ने ममता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में वोटिंग के दौरान एक बार फिर बंगाल ने राजनीतिक हिंसा का सबूत दे दिया। नंदीग्राम के कमलपुर में बूथ नंबर 170 के पास भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी के पहुंचने पर कुछ लोगों ने उपद्रव करते हुए उनके काफिले पर हमला कर दिया, जिसमें कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
इस घटनाक्रम पर शुभेंदु अधिकारी ने कहा, “यह पाकिस्तानियों की हरकत है। जय बांग्ला बांग्लादेश का नारा है। यह हरकत मतदान केंद्र पर मौजूद विशेष समुदाय के मतदाताओं ने की है।”
खबरों के मुताबिक शुभेंदु के काफिले पर हुए इस हमले में मीडियाकर्मियों की गाड़ियां भी क्षतिग्रस्त हुईं हैं। इतना ही नहीं वोटिंग से पहले ही एक बुरी खबर नंदीग्राम के ही बथुआबाड़ गांव से सामने आई, जहां बीजेपी के ही एक कार्यकर्ता उदय शंकर ने आत्महत्या कर ली है। इस मामले में बीजेपी का कहना है कि टीएमसी की धमकियों और आतंक के कारण ही उदय ने आत्महत्या कर ली है। इस पूरे प्रकरण के बाद यहां के लोगों ने चुनावों में वोटिंग का बहिष्कार कर दिया, जो कि लोकतंत्र के लिए निराशाजनक बात है।
इन सबसे इतर बीजेपी नेता भारती घोष ने भी टीएमसी पर काफी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि टीएमसी के गुंडे बूथों पर तैनात हैं। उन्होंने कहा, “बूथ नंबर 22 पर टीएमसी के करीब डेढ़ सौ गुंडों ने मेरे पोलिंग एजेंट को घेर लिया था, उसे पोलिंग बूथ के अंदर घुसने नहीं दिया गया और ये ड्रामा करीब ढाई घंटे तक चलता रहा, बारूनिया में वोटरों को धमकाया गया और उनके आने से पहले टीएमसी के चुनाव चिन्ह पर मुहर लगाते दिखे हैं।” साफ है कि नंदीग्राम की विधानसभा सीट अब हिंसा का मुख्य गढ़ बन गई है।
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पश्चिम बंगाल के इस विधानसभा चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण सीट नंदीग्राम की ही है, क्योंकि ममता दीदी खुद अपने राजनीतिक जीवन की साख दांव पर लगाकर शुभेंदु अधिकारी के गढ़ में चुनाव लड़ने पहुंच गईं हैं। दूसरी ओर ममता को पता है कि यहां से वो बिना छल-कपट के जीत नहीं पाएंगी।
ऐसे में शुभेंदु अधिकारी से ममता बनर्जी की निजी खुन्नस अब नंदीग्राम की आम जनता के लिए मुसीबत बन गई है। टीएमसी की इसी राजनीतिक हिंसा के कारण अब नंदीग्राम की जनता ममता बनर्जी से नफरत करने लगी हैं, क्योंकि शुभेंदु से लड़ाई की वजह से ममता ने यहां की जनता को भी अपने गुंडों के रवैए से नाराज़ कर दिया है और ये उन पर भारी पड़ेगा।