ऑस्ट्रेलिया और चीन एक और कूटनीतिक जंग के लिए तैयार हो रहे हैं। इस बार ऑस्ट्रेलिया की मॉरिसन सरकार देश से चीन के प्रभाव को शत प्रतिशत खत्म करना चाहती है। यह सब मॉरिसन सरकार द्वारा चीन के साथ किए गए विक्टोरिया राज्य के 107 बिलियन डॉलर के बेल्ट एंड रोड समझौते को रद्द करने के साथ शुरू हुआ।
मॉरिसन के चीन-विरोधी आर्थिक युद्ध में अगला निशाना डार्विन बंदरगाह को चीन के चंगुल से बाहर निकालना है। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया सरकार देश के Confucius संस्थानों को भी निशाने पर ले सकती है।
ऑस्ट्रेलिया की केंद्र सरकार द्वारा विक्टोरिया के बेल्ट एंड रोड सौदे को रद्द करने के बाद वही हुआ जिसका अनुमान था। चीन की ओर से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ धमकी जारी की गयी। गुरुवार को चीन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया द्वारा अचानक उठाए गए इस कदम ने द्विपक्षीय संबंधों को “गंभीर नुकसान” पहुंचाया है और इसके लिए जवाबी कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, इस धमकी का ऑस्ट्रेलिया पर कोई असर नहीं पड़ा है। ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री Marise Payne ने संकेत दिया है कि पिछले साल लाए गए नए वीटो कानून के तहत अन्य देशों के साथ पक्के किए गए बाकी के करारों पर भी पुनर्विचार किया जा सकता है।
मॉरिसन सरकार द्वारा चीन के साथ विक्टोरिया बेल्ट एंड रोड समझौते को रद्द करने के बाद अब देश में Darwin पोर्ट को चीन के चंगुल से बाहर निकालने की मांग की जा रही है।
उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधान मंत्री केविन रुड ने ट्वीट किया, “जब मॉरिसन बुनियादी ढांचे क्षेत्र में चीनी निवेश की जांच कर रहे हैं, तो एक नज़र रणनीतिक दृष्टि से अहम बंदरगाह Darwin पर क्यों नहीं रखनी चाहिए? लिबरलों ने Darwin पोर्ट को लेकर चीन के साथ तब 99 साल के पट्टे पर हस्ताक्षर किए थे जब मॉरिसन कोषाध्यक्ष थे। व्यापार मंत्री एंड्रयू रॉब ने बाद में उसी चीनी कंपनी में नौकरी की।”
While Morrison is examining Chinese infrastructure investments, why not take another look at the strategic Port of Darwin? The Liberals signed a 99-year lease when Morrison was treasurer. Liberal trade minister Andrew Robb later took a job with the same Chinese company. pic.twitter.com/IoeeRnvLBb
— Office of Kevin Rudd, 26th PM of Australia (@MrKRudd) April 22, 2021
डार्विन पोर्ट पर चीनी कंपनी का कब्ज़ा कैनबरा के लिए एक अत्यंत रणनीतिक मुद्दा है। वर्ष 2015 में Northern Territory सरकार ने डार्विन पोर्ट को 99 साल के लिए एक चीनी कंपनी को लीज पर देने का फैसला किया था। यह एक रणनीतिक समझौता था जिसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ने विवादास्पद और विस्तारवादी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का ही एक हिस्सा माना।
Darwin पोर्ट बंदरगाह रणनीतिक रूप से काफी अहम है। यह पोर्ट इंडोनेशिया जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के करीब और प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी ठिकानों के दक्षिण में स्थित है। दक्षिण चीन सागर में बीजिंग और वाशिंगटन के बीच संभावित जंग के समय यह पोर्ट अत्यंत अहम भूमिका निभा सकता है। डार्विन ऑस्ट्रेलिया के लिए एशिया का प्रवेश द्वार है, यही कारण है कि ऑस्ट्रेलिया के लिए इस बंदरगाह पर रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है।
इस मुद्दे पर ऑस्ट्रेलियाई independent सीनेटर जैकी लेम्बी भी अपनी आवाज़ उठा रही हैं। लेम्बी ने कहा, “ये मेरी समझ से परे है कि आखिर इस समझौते की देश को क्या ज़रूरत है; मेरा वास्तव में मानना है कि इसे (समझौते को) फाड़ देना चाहिए।”
सीनेटर ने कहा, “डार्विन के उस बंदरगाह की समस्या का समाधान करना हमारे राष्ट्रीय हित में है। यह ऑस्ट्रेलिया के एकदम उत्तर में स्थित है, अगर हम पर हमला होने वाला हो, तो सच कहूँ, इसे ही सबसे पहले निशाना बनाया जाएगा।”
इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया की सरकार अपने यहाँ चीनी Confucius संस्थानों की भी छुट्टी करने की तैयारी कर रही है। Sky News के मुताबिक में क्वींसलैंड और एडिलेड विश्वविद्यालयों में कन्फ्यूशियस संस्थानों पर सरकार द्वारा कार्रवाई की जा सकती है। स्काई न्यूज के अनुसार, सरकार ने इन संस्थानों के चीनी सरकार से कथित संबंधों पर नाराजगी जताई है।
दुनिया भर के लोकतांत्रिक देश कन्फ्यूशियस संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। पिछले साल, स्वीडन ने पने यहाँ मौजूदा अंतिम कन्फ्यूशियस संस्थान को भी बंद कर दिया। अमेरिका द्वारा भी चीनी सरकार द्वारा संचालित भाषा और सांस्कृतिक संस्थानों के बारे में भी चिंता जताई गयी है।
चीन के खिलाफ मॉरिसन सरकार की निर्णायक लड़ाई अभी केवल शुरू हुई है। अभी और भी बहुत कुछ आने वाला है। जिस प्रकार चीन के छेड़े आर्थिक युद्ध में ऑस्ट्रेलिया विजयी हुआ, उसी प्रकार इस लड़ाई में भी स्कॉट मॉरिसन विजयी ही साबित होंगे!