बेंजामिन आ रहे है: बेनेट और नेतन्याहू के बीच एक करीबी बैठक इसका स्पष्ट संकेत दे रही है

प्रधानमंत्री नेतनयाहू ने Kingmaker बताए जा रहे Naftali Bennett से की मुलाक़ात

दो सालों से भी कम समय में चार बार चुनाव देख चुके इज़रायल के हालिया चुनावों के बाद फिर असमंजस की स्थिति बनकर उभरी है। मार्च में हुए चुनावों में एक बार फिर किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिली है। प्रधानमंत्री नेतनयाहू की Likud Party सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन उनके गठबंधन को अब भी बहुमत के लिए 61 सीटें नहीं मिल सकी हैं। ऐसे में अब प्रधानमंत्री नेतनयाहू ने Kingmaker बताए जा रहे Yamina पार्टी के नेता Naftali Bennett से मुलाक़ात की है। एक प्रकार दक्षिणपंथी नेता Bennett खुद को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं और वे इसके लिए अपने विपक्षी नेतनयाहू का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। अगर दोनों मिलकर सरकार बनाने का फैसला लेते हैं, तो इज़रायल में एक बार फिर एक दक्षिणपंथी सरकार का उदय होना निश्चित है।

 

नेतनयाहू और Bennett की मुलाक़ात के ठीक बाद Bennett ने स्पष्ट किया कि वे देश के हित में जल्द से जल्द सरकार बनाने के इच्छुक हैं और वे ऐसा मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर करना चाहते हैं। इस मुलाक़ात के बाद कोई नतीजा तो नहीं निकल सका लेकिन इसके बाद भी दोनों नेताओं ने वार्ता को जारी रखने पर सहमति जताई है।

वर्ष 2018 के बाद से ही Likud Party के नेता और प्रधानमंत्री नेतनयाहू और Bennett के बीच के रिश्ते कड़वाहट भरे रहे हैं। वर्ष 2011 से पहले Bennett नेतनयाहू की पार्टी का ही हिस्सा थे लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी से अलग होकर The Jewish Home पार्टी को जॉइन कर लिया। इसके बाद दिसंबर 2018 में उन्होंने खुद की New Right पार्टी को स्थापित किया। इससे पहले वे अलग-अलग भूमिकाओं में नेतनयाहू सरकार का हिस्सा रह चुके हैं लेकिन वर्ष 2018 में नेतनयाहू ने New Right पार्टी को सरकार से बाहर करने का ऐलान कर दिया था।

अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि दोनों नेता फिर एक साथ आ सकते हैं। धार्मिक जिओनवादी नेता Bezalel Smotrich ने Bennett सहित New Hope पार्टी के नेता Gideon Sa’ar को एक साथ आकर सरकार बनाने को कहा है। उनके बयान के मुताबिक “सभी नेताओं को आपसी मतभेद बुलाकर Likud पार्टी को जॉइन करना चाहिए। हम किसी भी कीमत पर United Arab और नेता मंसूर अब्बास को सत्ता में आने नहीं दे सकते जो आतंकवादियों का समर्थन करती है और फिलिस्तीन के एजेंडे को आगे बढ़ाती है।”

अब अगर Bennett और नेतनयाहू आपसी मतभेद भुलाकर इज़रायल में सरकार बनाने का फैसला लेते हैं तो इज़रायल में एक धुर राष्ट्रवादी दक्षिणपंथी सरकार का सत्ता में आना तय है, फिर चाहे नेतनयाहू प्रधानमंत्री पद पर रहें या न रहें! माना जा रहा है कि नेतनयाहू Likud पार्टी में My Right के विलय का प्रस्ताव भी Bennett के सामने रख सकते हैं।

Bennett इज़रायल के एक मुख्य दक्षिणपंथी नेता हैं को West Bank के करीब 60 प्रतिशत हिस्से पर इज़रायल का अधिकार चाहते हैं। वे फिलिस्तीन के विचार के धुर विरोधी हैं और Two state solution का विरोध करते हैं। ऐसे समय में जब बाइडन प्रशासन की ओर से इज़रायल के खिलाफ फिलिस्तीन के पक्ष में फैसले लिए जा रहे हैं, इज़रायल में दक्षिणपंथी सरकार का उदय उनके लिए एक झटके के समान हो सकता है। Bennett और नेतनयाहू के साथ आने के बाद बनी सरकार Abraham Accords को और मजबूती प्रदान करेगी और इसके बाद अरब देशों और इज़रायल के बीच तालमेल और बेहतर होगा!

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