पहले भारत को मदद देने से मना किया, अब बाइडन भारत का इस्तेमाल अपने पोलिटिकल अंक बढ़ाने के लिए कर रहे

भारत के हालात के जरिये अपनी राजनीति चमका रहो बाइडन!

अमेरिका वैक्सीन सर्टिफिकेट

“बुरे वक्त में ही असली मित्र की पहचान होती है” यह कहावत यूँ ही नहीं कही गई है! आज हमें इसका नमूना भी देखने को मिल रहा है जब भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एक तरफ सिंगापुर जैसा छोटा देश भारत की मदद के लिए तत्पर दिखाई दे रहा है तो वहीं अमेरिका जैसा बड़ा देश वैक्सीन के लिए जरुरी कच्चे माल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबन्ध लगा कर राजनीति कर रहा है। देखा जाये तो बाइडन भारत में कोरोना के कारण ख़राब हुई स्थिति का इस्तेमाल अपने पॉलिटिकल स्कोर बढ़ाने के लिए कर रहे हैं। अमेरिका की जनता के टीकाकरण के लिए पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन के लिए आवश्यक चीजें होने के बावजूद बाइडन प्रशासन अमेरिका में यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वे पिछले राष्ट्रपति से अच्छा काम कर रहे हैं और अगर उन्होंने वैक्सीन पर कार्रवाई नहीं की होती तो अमेरिका में भी भारत जैसी स्थिति होती।

कोरोना वायरस महामारी पर अमेरिकी बाइडन प्रशासन के शीर्ष चिकित्सा सलाहकार डॉ एंथनी फौसी ने इसी और इशारा करते हुए कहा कि कोविड-19 मामलों में फिलहाल भारत बेहद भयानक हालात से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से वायरस ने म्यूटेट किया है ऐसे में उसके खिलाफ टीका कितनी प्रभावी होगा कह पाना मुश्किल है, इसके लिए व्यापक तौर पर शोध की आवश्यकता है। डॉ फौसी ने कहा, ‘अमेरिकी बीमारी नियंत्रण केंद्र भारत को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए अपनी समकक्ष एजेंसी के साथ काम में जुटा हुआ है।‘

अब यहां कैसी तकनीकी सहायता? भारत को जिस चीज की आवश्यकता है उस पर तो आपने प्रतिबन्ध लगा रखा है और सहायता ही बात कर यह दिखाना चाहते हैं कि आप मदद के लिए तत्पर है? यह पॉलिटिकल पॉइंट स्कोर करने का तरीका नहीं है तो क्या है?

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इस बीच, व्हाइट हाउस के कोरोनावायरस समन्वयक जेफ जीर्स का कहना है कि, “अमेरिका निश्चित ही वैक्सीन सप्लाई को साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम अपनी आपूर्ति बढ़ाने के लिए विकल्पों का पता लगा रहे हैं।“

उन्होंने आगे कहा कि, “आप जानते हैं, यह एक वैश्विक महामारी है, और भारत की स्थिति ने यह दिखाया है कि अगर हम कोरोना को हर जगह नियंत्रित नहीं करते है तो क्या हालात होंगे। और इसीलिए हमने COVAX में सबसे बड़ा निवेश किया है और हम वैक्सीन साझा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।“ कुछ दिनों पहले ही वैक्सीन के कच्चे माल पर प्रतिबन्ध का समर्थन करते हुए बाइडन प्रशासन ने कहा था कि अमेरिकियों को टीके लगाने के लिए प्राथमिकता देना हमारे हित में तो है ही, बल्कि दुनिया के बाकी देशों के हित में भी है।”

इस बयान से दो बातें स्पष्ट हो रही है। पहली यह कि अमेरिका का बाइडन प्रशासन यह कहने की कोशिश कर रहा है कि अगर उन्होंने अमेरिका में वैक्सीन पर त्वरित कार्रवाई नहीं की होती तो आज अमेरिका में भी हालात भारत जैसे ही होते। दूसरी यह कि ऐसे बयान से बाइडन प्रशासन अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी कटाक्ष कर रहा है कि अगर वे सत्ता में रहते तो अमेरिका कोरोना को नियंत्रित नहीं कर पता जैसा बाइडन के नेतृत्व में किया गया। बाइडन प्रशासन यह सन्देश देने की कोशिश कर रहा है कि वे अमेरिका में कितना अच्छा काम कर रहे हैं, अगर ट्रंप होते तो वैक्सीन का अच्छे से डिस्ट्रीब्यूशन नहीं हुआ होता और कोरोना अनियंत्रित होता जिससे अमेरिका की हालत भारत जैसी हो जाती।

बाइडन प्रशासन के लिए यह शुरुआती दिन है। बावजूद इसके उनके नेतृत्व में अमेरिका अपने सबसे बेहतरीन सहयोगियों में से एक भारत की मदद करने के बजाये उसकी स्थिति का इस्तेमाल अपने पॉलिटिकल फायदे के लिए कर रहा है। उन्होंने सिर्फ वैक्सीन के लिए आवश्यक Raw Material को निर्यात करने पर प्रतिबन्ध ही नहीं लगाया, बल्कि संकट में एक QUAD सहयोगी के खिलाफ असंवेदनशीलता दिखा कर यह भी साबित किया कि उन्हें भारत में बिगड़ती स्थिति से कोई फर्क नहीं पड़ता है। बाइडन प्रशासन का यह कदम अमेरिका के लिए भविष्य में कितना घातक होगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन एक बात स्पष्ट है कि भारत इसे कभी नहीं भूलेगा। भारत की मदद करने का बाइडन के पास एक ऐसा मौका था जिससे वे एक ऐसे सहयोगी को अपने पक्ष में कर सकते थे जो चीन के खिलाफ किसी भी तरह के युद्ध में सबसे महत्पूर्ण भागीदार हो सकता है परन्तु अब अपने पॉलिटिकल स्कोर बढ़ाने के चक्कर में उन्होंने यह मौका खो दिया है।

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