बाइडन ने साउथ कोरिया को चीन के पाले में डाल दिया है, अब अमेरिका नहीं चेता तो चीन अपना नियंत्रण को और बढ़ा लेगा

दक्षिण कोरिया

उत्तर कोरिया के साथ शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए अब दक्षिण कोरिया चीन के पाले में जाता दिखाई दे रहा है। वर्ष 2017 के बाद पहली बार दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री Chung Eui-yong चीन की यात्रा पर गए और वहाँ जाकर उन्होंने खुले तौर पर Korean प्रायद्वीप में शांति स्थापना हेतु चीनी सरकार से पहल करने की अपील की। इतना ही नहीं, Chung Eui-yong ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को दक्षिण कोरिया की यात्रा के लिए भी आमंत्रित किया है।

Chung Eui-yong ने अपने चीनी समकक्ष Wang Yi से मुलाक़ात करने के बाद कहा “Korean प्रायद्वीप में शांति की स्थापना चीन और दक्षिण कोरिया, दोनों के हित में है। कोरियन प्रायद्वीप का Denuclearization भी क्षेत्र में शांति स्थापना की ओर बड़ा कदम होगा”। दक्षिण कोरिया और चीन की बढ़ती करीबी से यह स्पष्ट हो रहा है कि दक्षिण कोरिया अब उत्तर के साथ रिश्ते बेहतर करने के लिए चीन पर आश्रित होता जा रहा है, और उसने अमेरिका से अपनी सभी उम्मीदें छोड़ दी हैं।

बाइडन अब तक उत्तर कोरिया को लेकर कोई नीति नहीं बना पाये हैं, जिसने दक्षिण कोरिया को असहज कर दिया है। बाइडन प्रशासन ने संकेत दिये हैं कि वह उत्तर कोरिया के साथ कूटनीति का रास्ता अपनाएगा लेकिन मानवाधिकारों और Denuclearization जैसे मुद्दों को प्राथमिकता भी देगा। White House की ओर से पहले ही यह कहा जा चुका है कि कोरिया अमेरिका की back door डिप्लोमेसी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है। इसके साथ ही बाइडन किम-जोंग-उन से किसी मुलाक़ात करने के अनुमानों को भी खारिज कर चुके हैं। उत्तर कोरिया का मुद्दा अमेरिका के लिए प्राथमिकता नहीं दिखाई दे रहा है। हालांकि, दक्षिण कोरिया को अमेरिका की यह नीति पसंद नहीं आ रही है।

दक्षिण कोरिया का चीन की ओर झुकाव बाइडन प्रशासन के सुस्त रवैये का ही परिणाम है। दक्षिण कोरिया चाहता है कि अमेरिका ट्रम्प की उत्तर कोरिया की नीति को लेकर ही आगे बढ़े। दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे इन ने हाल ही में कहा था कि, “मैं पूरी कोशिश करूंगा कि जो अनमोल उपलब्धियां ट्रम्प प्रशासन के तहत मिली हैं उसे अगली सरकार के साथ मिलकर आगे बढ़ायें।”

ट्रम्प की उत्तर कोरिया नीति बेहद सफल रही थी, जिसके तहत ट्रम्प ने अपने कार्यकाल के दौरान तीन बार किम से मुलाक़ात कर शांति प्रक्रिया को तेजी प्रदान करने की कोशिश की। जून 2018 में जब सिंगापुर में किम-ट्रम्प की समिट का आयोजन हुआ था, तो उत्तर कोरिया के Denuclearization और उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया के रिश्तों में सुधार आने के विचार को काफी बल मिला था। इस समिट के बाद ना सिर्फ अमेरिका ने दक्षिण कोरिया के साथ होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यासों पर रोक लगा दी थी, बल्कि उत्तर कोरिया ने भी दक्षिण कोरिया में आयोजित हो रहे Winter Olympics में अपने खिलाड़ी भेजकर शांति की ओर एक कदम बढ़ाया था।

बाइडन के आने के बाद उत्तर कोरिया ने आक्रामक रुख अपनाया है। उत्तर कोरिया ने हाल ही में दो बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण कर बाइडन प्रशासन को आँखें दिखाने का काम किया था। इसके उलट अमेरिकी प्रशासन ने खुद चीन के साथ मिलकर उत्तर कोरिया से निपटने का ऐलान किया था। विदेश मंत्री Blinken पहले ही यह कह चुके हैं कि Denuclearization के लिए चीन पर ही सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी है और चीन को इसके लिए उत्तर कोरिया को मनाना ही होगा।”

ऐसे में जब अमेरिका खुद ही उत्तर कोरिया मामले में चीन के सामने सरेंडर कर रहा है, तो ऐसे में दक्षिण कोरिया ने भी चीन को इस मुद्दे पर पहल करने के लिए कहा है। चीन और उत्तर कोरिया ना सिर्फ आर्थिक साझेदार हैं बल्कि चीन पर UN प्रतिबंधों के बावजूद उत्तर कोरिया की अवैध सहायता करने के आरोप लगते रहते हैं। ऐसे में दक्षिण कोरिया को उत्तर के खतरे से निपटने के लिए चीन अधिक विश्वसनीय साझेदार दिखाई दे रहा है। इसके लिए बाइडन प्रशासन की नीतियाँ ही जिम्मेदार हैं।

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