भारत की कूटनीति को लेकर पिछले कुछ वक्त में कहा गया कि ये अब अमेरिका पर केंद्रित होती जा रही है, और रूस भारत से कूटनीतिक रिश्तों में दूर होता जा रहा है, लेकिन हाल के दिनों में पूरे प्रोपेगैंडा की हवा निकल गई है। जहां एक तरफ अमेरिका कोरोनावायरस की दूसरी लहर के बीच भारत का सहयोग करने की बजाए उसके लिए मुसीबतें खड़ी करने की कोशिश कर रहा है तो दूसरी ओर रूस भारत की मदद को सबसे आगे खड़ा दिखाई दे रहा है।
कोरोना की रूसी वैक्सीन की उपलब्धता के साथ ही रूस भारत को जल्द-से-जल्द ऑक्सीजन की निर्बाध सप्लाई और रेमडेसिवीर के इंजेक्शन देने का वादा कर चुका है, और ये सभी वर्तमान समय में भारत की मुख्य आवश्कताओं में शामिल हैं।
भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के तांडव के बीच अमेरिका के नए नवेले राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने अपनी असल नीयत जाहिर कर दी है, क्योंकि वो भारत में बनने वाली कोरोना की वैक्सीन के लिए निर्यात होने वाले कच्चे माल पर अनेकों प्रतिबंध लगा चुके हैं।
इस स्थिति में भारत की आंतरिक मुश्किलों को बढ़ता देख रूस ने पुनः भारत के साथ अपनी पुरानी मित्रता को जाहिर कर दिया है, और भारत को सभी तरह के संसाधनों की मदद देने की बात कही है। इकॉनमिक टाइम्स की खबरों के मुताबिक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रशासन ने भारत में कोरोनावायरस के कहर को देखते हुए रेमडेसिवीर के इंजेक्शन उपलब्ध कराने के साथ ही ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की बात कही है।
अगले 15 दिनों में भारत इन दोनों महत्वपूर्ण चीजों का रूस से आयात कर सकता है। एक भारतीय अधिकारी के मुताबिक, “रूस ने हर हफ्ते रेमडेसिवीर की चार लाख डोज सप्लाई करने का भरोसा दिया है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि आने वाले दिनों में यह संख्या और बढ़ सकती है। इसके साथ ही भारत में पानी के जहाज के जरिए मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति जल्द शुरू हो सकती है।”
भारत में कोरोना के चलते ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है, जिसके चलते भारत सरकार ने ऑक्सीजन के आयात पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी शून्य कर दी है। वहीं रूस से आयात की बातों को लेकर अधिकारी ने बताया, “रूस ने भरोसा दिया है कि अगले 15 दिन में इन दोनों चीजों का निर्यात शुरू किया जा सकता है।”
ध्यान देने वाली बात ये भी है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के बीच रूस से आयात को लेकर चर्चा भी हुई है। जो संकेत देता है कि भारत इस ओर अपने सकारात्मक बढ़ा सकता है। इस पूरे प्रकरण के बाद ये चर्चा शुरू हो गई है कि अमेरिका ने एक बार फिर भारत के साथ धोखा दिया है।
भारत के साथ मैत्री का कपट करने वाले अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन ने मुश्किल समय में भारत की मदद करने की तो नहीं ही सोच रहे, बल्कि बनते कामों को बिगाड़ने की मंशाए स्पष्ट कर रहे हैं। दूसरी ओर भारत और रूस के दशकों पुराने रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में कमजोर दिख रहे थे, लेकिन रूस ने कोरोना की इस चुनौतीपूर्ण घड़ी में भारत की तरफ मदद का हाथ बढ़ाकर ये दिखा दिया है कि रूस और भारत के कूटनीतिक रिश्ते किसी त्वरित महत्वाकांक्षा के मोहताज नहीं हैं।
वहीं जो मीडिया संस्थान और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक रिश्तों के विशेषज्ञ ये मान रहे थे कि भारत और रूस के रिश्ते अब ठंडे पड़ चुके हैं, उन सभी को रूस ने एक तगड़ा झटका दे दिया हैस जो कि काफी लंबे समय तक उन सभी को याद भी रहेगा।