आज पूरे देश में कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है। महामारी में सरकार की सर्वप्रथम जिम्मेदारी यह बनती है कि, जरूरतमंदों तक हर जरूरत की चीजें मुहैया कराया जाए। महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहां पर सबसे ज्यादा लोग कोरोना संक्रमण से ग्रसित है और ऐसे में एक खबर सामने आई है कि, महाराष्ट्र में 1000 टन चना दाल गोदामों में पड़े-पड़े सड़ गए है। इस बात का खुलासा मुलुंड से भाजपा विधायक मिहिर कोटेचा ने किया है।
दरअसल, बात यह है कि भारत सरकार ने साल 2020 में लगे लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकारों के लिए राशन का समान जिसमे दाल, गेहू, चना जैसी रोज खाने में इस्तेमाल होनी वाली चीजों का प्रबंध कराया था। राज्य सरकार का बस यह काम था कि, पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम (PDS) के माध्यम से जरूरतमंदों तक राशन का समान पहुंचाया जाए।
लेकिन, महाराष्ट्र सरकार इतना भी नहीं कर पाई, और महाराष्ट्र में करीबन 1000 टन चना दाल गोदाम में पड़े- पड़े सड़ गया है।
ABP की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में केंद्र सरकार से प्राप्त हुए 300 टन दाल सरकारी गोदामों में लावारिस की तरह पड़ी रही, जिनमे से ज़्यादातर दाल बर्बाद हो चुकी है। गोदामों में रखी दाल कीटों से पीड़ित है और अब उपयोग करने योग्य नहीं बची है।
बता दें कि, महाराष्ट्र के गोदामों में अनाज उस वक़्त सड़ रहे थे जब वहाँ के लोगों के पास खाने के लिए कुछ भी नही था। भविष्य की चिंता को लेकर महाराष्ट्र से लाखों की तदाद में प्रवासी मज़दूर अपने गाँव लौटने पर मजबूर हो गए। उनके सामने क्या मजबूरियां रही होंगी जिसके चलते उन्हें पैदल या साइकल से बिना सोचे समझे अपने गाँव के लिए रवाना होना पड़ा।
अगर हम देखे तो मुख्य तौर पर उनके सामने सबसे बड़ा सवाल होगा उनके पेट का, उनके परिवार के लिए दो वक़्त की रोटी का। इसीलिए उनके पास अपने गाँव जाने के लिए सिवाय और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था। वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार द्वारा नियंत्रित गोदामों में हजारों टन अनाज लावारिस के तरह पड़े रहे और नष्ट हो गए।
महाराष्ट्र सरकार हर पैमाने पर विफल साबित हो रही है। महाराष्ट्र हर दिन कोरोना मामलों की रेस में नए रिकॉर्ड बनाता जा रहा है। महाराष्ट्र की स्वास्थ्य सेवा धवस्त करने के साथ ही राज्य की कानून व्यवस्था भी पूरी तरह से धवस्त हो चुकी है।