पिछले दिनों IANS द्वारा एक बेहद ही अजीब खबर को प्रचारित किया गया! खबर थी कि भारतीय बिजनेसमैन चोरी छिपे नेपाल में जाकर चीनी वैक्सीन लगवा रहे हैं और फिर वापस भारत लौटकर आ रहे हैं।
खबर के मुताबिक, चूंकि चीन में जाने के लिए सभी लोगों के लिए चीनी वैक्सीन लगवाना अनिवार्य है, ऐसे में भारतीय बिजनेसमैन नेपाल में जाकर अपने आप को नेपाली नागरिक बताकर चीनी वैक्सीन लगवा रहे हैं। IANS की खबर के अनुसार बीते बुधवार को करीब 30 भारतीय व्यापारियों ने चीनी वैक्सीन के शॉट्स लगवाए!
IANS की खबर के अनुसार “भारतीय व्यापारी पहले चीनी भाषा में बने ID कार्ड्स दिखाकर वैक्सीन लगवा रहे थे, लेकिन बाद में नेपाली अधिकारियों को पता चला कि ये तो भारत से आ रहे हैं, वो भी केवल चीनी वैक्सीन लगवाने।”
इसके बाद अब नेपाली सरकार ने वैक्सीन लगाने की Facilities को कुछ समय के लिए बंद कर दिया है और साथ ही वैक्सीन लगवाने से पहले नेपाली नागरिकता का प्रमाण पत्र दिखाना अनिवार्य कर दिया है।
हालांकि, अब नेपाल सरकार ने इस खबर का खंडन कर दिया है। Wion News की रिपोर्ट के अनुसार “नेपाली स्वास्थ्य मंत्रालय के सूचना अधिकारी ने बताया है कि नेपाल में आकर भारतीय व्यापारियों द्वारा चोरी छिपे चीनी वैक्सीन लगवाना असंभव है। जो भी वैक्सीन ले रहा है, अधिकारी उसका पूरा रिकॉर्ड तैयार कर रहे हैं।”
बड़ा सवाल यह आता है कि आखिर IANS ने ऐसी खबर फैलाई क्यों? यह बात सर्वविदित है कि न सिर्फ चीनी वैक्सीन घातक है बल्कि वह कम प्रभावी भी है। यह बात खुद चीनी अधिकारी भी स्वीकार कर चुके हैं। दूसरी ओर भारत में पहले ही दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को वैक्सीन लगवानी भी है तो वह आसानी से सुरक्षित भारतीय वैक्सीन लगवा सकते हैं।
IANS की यह खबर ऐसे समय में बाहर आई है जब चीन अपनी वैक्सीन को बढ़ावा देने के लिए अजीबो-गरीब हथकंडे अपना रहा है। उदाहरण के लिए चीन ने किसी भी व्यक्ति पर चीन में आने से पहले चीनी वैक्सीन का शॉट लेना अनिवार्य कर दिया है।
साथ ही साथ, यह भी खबर आ रही हैं कि चीन अपनी वैक्सीन लगवाने के बदले नागरिकों को सस्ते दरों पर अंडे उपलब्ध कराने का ऑफर दे रहा है। इसके साथ ही लोगों को वैक्सीन लगवाने के बाद एक आइस क्रीम के साथ एक आइस क्रीम फ्री दी जा रही है, ताकि लोगों को अधिक से अधिक वैक्सीन प्रदान की जा सके।
स्पष्ट है कि चीन अपनी घटिया वैक्सीन की विफलता को छुपाने के लिए कैसे भी करके इसे promote करना चाहता है। ऐसे समय में IANS की ऐसी खबर बाहर आना कई सवाल खड़े करता है। विदेशी मीडिया outlets के साथ मिलकर चीन अक्सर अपना प्रोपेगैंडा आगे बढ़ाता है। ऐसे में इस मामले में भी इस एंगल को नकारा नहीं जा सकता।
अब चूंकि नेपाल सरकार ने इस खबर को फेक न्यूज़ करार दिया है तो IANS को सामने आकर इस खबर पर अपना स्पष्टीकरण पेश करना चाहिए। अन्यथा इससे IANS की विश्वसनीयता पर बड़ा दाग लग सकता है।