केजरीवाल COVID-19 मामलों को संभालने में हो रहे हैं विफल, इससे BJP की दिल्ली में वापसी हो सकती है

विज्ञापन हो गए हों तो दिल्ली भी संभालनी है

भारत की राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तबाही मचा के रखा है। साथ ही में, दिल्ली सरकार की पोल खोल के रख दिया है। केजरीवाल सरकार जो दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा का ढिंढोरा पूरे भारत में पीटा करते थे, अब उसी स्वास्थ्य सेवा की धज्जियां उड़ गयी है। बात केवल, स्वास्थ्य सेवा तक ही सीमित नहीं रही, प्रशासनिक तौर पर भी केजरीवाल सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है।

ऐसे में विपक्ष का कर्तव्य बनता है कि, वो आगे आए और जनता की मदद करने का कमान अपने हाथों में ले। इससे जनता को इस महामारी से लड़ने में सहायता मिलेगी साथ ही में जनता को इस बात का भी एहसास होगा कि, मुसीबत के वक्त पक्ष नहीं बल्कि विपक्ष खड़ा था। बता दें कि, दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी आम आदमी पार्टी है और विपक्ष की पार्टी भारतीय जनता पार्टी है।

आमतौर पर भाजपा एक जिम्मेदार विपक्ष के तौर पर उभर कर सामने आई है। उदहारण के लिए आप महाराष्ट्र भाजपा को देख लिजिए। देवेंद्र फडणवीस की सक्रियता उद्धव ठाकरे की आखों में चुभ रही है। लेकिन दिल्ली भाजपा अरविंद केजरीवाल से आरोप – प्रत्यारोप खेलने के अलावा जमीनी स्तर पर कुछ ज्यादा नहीं कर रही है।

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दिल्ली की जनता को आज सत्तारूढ़ पार्टी के साथ विपक्ष से भी उमीदे होंगी। हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के ऊपर तीखी टिप्पणी किया था। कोर्ट ने कहा था कि, “अपना घर यानी दिल्ली को संभालिए।यदि आप इसे प्रबंधित नहीं कर सकते, तो हम केंद्र सरकार से अधिग्रहण करने के लिए कहेंगे।”

दिल्ली उच्च न्यायालय की बातों से संकेत मिल रहा है कि, कोर्ट यह मान चुकी है कि, दिल्ली सरकार इस महामारी से निपटने में पूरी तरह से फेल हो गए है इसलिए कोर्ट अब केंद्र को दूसरा विकल्प की तौर पर देख रहा है।

हाल ही कि एक रिपोर्ट के अनुसार, अरविंद केजरीवाल विज्ञापनों पर बेशर्मी से पैसे खर्च किए है। अकेले इस (2021) साल के पहले तीन महीनों में करीब 150 करोड़ रुपये खर्च कर दिए है। और अब जब दिल्ली की जनता को कोरोना महामारी में संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है, तो केजरीवाल कोविड केंद्रों के रिबन काटने वाले समारोहों में अधिक रुचि दिखा रहे है। ऐसी परस्थिति में मजबूत विपक्ष का होना बेहद जरूरी है।

जेपी नाडा को दिल्ली भाजपा को जनता के बीच ज्यादा से ज्यादा सक्रिय रहने के लिए निर्देश देने की जरूरत है। एक मजबूत और सक्षम विपक्ष का कर्तव्य बनता है कि सत्तारूढ़ पार्टी से जवाबदेही मांगे। यह समक्ष समाज के साथ साथ विपक्ष के लिए भी अच्छी बात है, क्योंकि जनता बुरे वक्त में साथ देने वालों को कभी नहीं भूलती है।

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