केंद्र सरकार हरसंभव मदद दे रही, वहीं पंजाब और झारखंड में वेंटिलेटर पड़े-पड़े जंग खा रहे हैं

झारखंड

वुहान वायरस से निपटने में कुछ राज्य कितने लापरवाह हैं, ये आप पंजाब और झारखंड के उदाहरण से ही समझ सकते हैं। पंजाब और झारखंड में पीएम केयर्स फंड की सहायता से अनेक वेंटिलेटर भेजे गए हैं, लेकिन उन्हें अभी तक उपयोग में नहीं लाया गया है। उदाहरण के लिए, दैनिक भास्कर की  रिपोर्ट के अनुसार 7 जिलों में 60 से अधिक वेंटिलेटर को उपयोग में ही नहीं लाया गया है और कुछ या तो ढक कर रख दिये गए हैं या फिर कुछ पड़े-पड़े बेकार हो रहे हैं।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, “वेंटिलेटर के अभाव में लोगों की जान जा रही है। वहीं सात जिलों में 60 वेंटिलेटर धूल फांक रहे हैं। कहीं यह अब तक डिब्बों में बंद हैं तो कहीं कपड़ों से ढक कर छोड़ दिया गया है। सभी वेंटिलेटर प्रधानमंत्री केयर फंड से आए थें, जिन्हें सदर अस्पताल को दिया गया था, लेकिन कहीं भी इसको उपयोग करने की जहमत नहीं उठाई गई। अगर ये वेंटिलेटर राज्य के सबसे ज्यादा संक्रमण वाले रांची, जमशेदपुर और हजारीबाग को दे दिये जाते तो यहां काफी हद तक मुश्किलें कम हो सकती थी”।

ये स्थिति तब हैं, जब झारखंड में 4500 से अधिक मामले आ रहे हैं और प्रशासनिक लापरवाही के कारण कई लोग मारे जा रहे हैं। इसके बावजूद झारखंड सरकार की हिमाकत तो देखिए, 1500 अतिरिक्त वेंटिलेटर की मांग की गई है।

लेकिन पंजाब में तो हालत इससे भी ज्यादा खराब है। वहाँ पीएम केयर्स फंड द्वारा भेजे गए 250 वेंटिलेटर खराब पड़े हैं, जिन्हें आज तक उपयोग में नहीं लाया गया। कांग्रेस शासित पंजाब में 250 वेंटिलेटर एक साल से गोदाम में पड़े हैं। द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल 20 मार्च को केंद्र सरकार ने राज्य में लगभग 30 करोड़ रुपये की लागत से 290 वेंटिलेटर भेजे थे, लेकिन राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने एक साल बाद भी इसका इस्तेमाल नहीं किया और गोदाम में पड़े-पड़े इन पर धूल जम रही है।

इन वेंटिलेटर को मेडिकल कॉलेजों या अन्य कोविड सेंटर में भेजा जाना था, जहाँ पर L-3 केयर प्रदान किया जाता है। बता दें कि L-3 केयर उन मरीजों को दी जाती है, जिन्हें दो या दो से अधिक ऑर्गन सपोर्ट या मैकेनिकल वेंटिलेशन की आवश्यकता होती है। बताया गया है कि, मेडिकल कॉलेजों या कोविड सेंटरों से माँग इसलिए नहीं की गई, क्योंकि वेंटिलेटर पर मरीजों की देखभाल करने वाले कुशल मैन पावर की कमी थी।

जब भारतीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बेतुके सुझावों की निन्दा करते हुए अपनी पार्टी को नसीहत देने को कहा, तो कांग्रेस के चाटुकार और वामपंथी दोनों ही भड़क गए। पंजाब और झारखंड में जो खेल चल रहा है, उसे देखते हुए डॉ हर्ष वर्धन की चिंता गलत भी नहीं लगती।

 

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