पहले कहा वैक्सिनेशन की उम्र घटाओ, अब कांग्रेस ही इसके खिलाफ घटिया राजनीति कर रही

वैक्सिनेशन

PC: India Today

देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी और उसके नेता आज असमंजस की स्थिति में हैं, उन्हें पता ही नहीं है कि कोरोना की स्थिति में सरकार को करना क्या चाहिए। इस असमंजस को पैदा करने वाले कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी की है, जो पहले तो वैक्सिनेशन प्रोग्राम में उम्र घटाने की बात कर रहे थे, लेकिन जब वो हो गया है, तो राहुल को संसाधनों की चिंता सताने लगी है। राहुल और कांग्रेस का रवैया दिखाता है कि इन्हें मानवता से जुड़े मुद्दे पर भी कुतर्कों की राजनीति ही करनी है क्योंकि पार्टी नेता खुद में कन्फ्यूज हैं।

देश में वैक्सिनेशन की प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े करने वालों में सबसे आगे अगर किसी राजनीतिक पार्टी के नेता खड़े हैं, तो वो कांग्रेस ही है। देश की सरकार ने जब दो वैक्सीनों को मंजूरी दी, तो उसकी विश्वसनीयता पर लाखों सवाल कांग्रेस के नेतृत्व में ही विपक्ष ने खड़े किए। कांग्रेस के नेताओं ने वैक्सीन लगवाई, लेकिन उसको लेकर कोई जागरूकता का पोस्ट तक नहीं किया। यहां तक कि राहुल गांधी ने तो अभी तक वैक्सीन लगवाई ही नहीं है। ऐसे में अब जब कोरोना की दूसरी लहर चल रही है तो कांग्रेस का एक अलग स्तर का दोगलापन सामने आया है।

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कोरोनावायरस की दूसरी लहर के दौरान कांग्रेस नेताओं ‌ने पहले मांग की कि वैक्सिनेशन की प्रक्रिया को 45 वर्ष से घटाया जाए और सभी का वैक्सिनेशन किया जाए। वहीं देश की मोदी सरकार भी कोरोनावायरस की स्थिति को लेकर सक्रिय है। ऐसे में अब मोदी सरकार ने 18 वर्ष तक के लोगों के लिए कोरोना के वैक्सिनेशन को मंजूरी दे दी है, जिसे एक महत्वपूर्ण और सटीक कदम के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन कांग्रेस की बात अलग ही है क्योंकि इसे तो प्रत्येक मुद्दे पर कुतर्क ही करना है।

कुतर्कों की इस सूची में अब राहुल नए मुद्दे लेकर सामने आए हैं। उनका कहना है कि गरीबों को वैक्सीन कैसे मिलेगी, जो मिलेगी उसकी कीमत क्या होगी, बिचौलियों के जरिए वैक्सीन की कीमत बेहद महंगी हो जाएगी। देश की सरकार वैक्सीनेशन के नाम पर केवल भेदभाव कर रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस के एक और नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि कीमत न तय होने से मुनाफाखोरी बढ़ेगी और राज्य सरकारों को वैक्सीन लेने में सबसे ज्यादा दिक्कतें होंगी। वहीं वैक्सीन की खपत और आपूर्ति में भी असामान्यता है, ऐसे में मोदी सरकार कैसे 18 साल से अधिक उम्र के लोगों का वैक्सिनेशन कर सकती है।

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कांग्रेसी नेताओं के बयानों का लब्बोलुआब देखें तो कहा जा सकता है, कि इनकी मांगों को स्वीकृति मिलने के बाद ये लोग उसमें भी नए कुतर्क लेकर आ जाते हैं। शायद इसीलिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के पत्र पर हमल बोला था। एक तरफ मनमोहन वैक्सिनेशन की बात कर रहे थे, तो दूसरी ओर उनके ही नेता बेतुकी बयानबाजी। कांग्रेस की स्थिति को लेकर ये कहा जा सकता है कि वो खुद में कन्फ्यूज है कि वैक्सीन लगानी भी है या नहीं।

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