बंगाल में पैरामिलिट्री फोर्स का अपमान करने पर चुनाव आयोग ने ममता दीदी को लगाई लताड़

ममता दीदी सुधरने वाली नहीं हैं

ममता

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। एक तरफ जहां बीजेपी के बढ़ते जनाधार से उन्हें जनता के बीच मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, तो दूसरी ओर उनके द्वारा ही दिए गए बयान अब उनके लिए मुसीबतों का सबब बन गए ‌हैं।

टीएमसी प्रमुख को अब उनके बयानों के लिए लगातार नोटिस मिल रहे हैं। पहले मुस्लिमों के एक मुश्त बयान को लेकर की गई उनकी टिप्पणी और अब बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवानों के पक्षपाती होने के बयान पर ममता दीदी घिर गईं हैं और चुनाव आयोग उन्हें बख्शे के मूड में नहीं दिखाई दे रहा है।

ममता बनर्जी को बीजेपी से ज्यादा चुनाव आयोग का डर सता रहा है, क्योंकि उनके बयानों के कारण चुनाव आयोग उन्हें फटकार लगा रहा है। टीएमसी नेता को पहले ही मुसलामानों से एक मुश्त वोट करने की अपील पर चुनाव आयोग द्वारा लताड़ा जा चुका है। इसके बाद एक बार फिर चुनाव आयोग ने ममता दीदी को बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवानों के लिए बेतुके बयान देने पर उनके खिलाफ नोटिस जारी किया है। चुनाव आयोग के इस नोटिस में कुछ महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया गया है।

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 गौरतलब है कि ममता लगातार बीएसएफ समेत सीआरपीएफ के सुरक्षा बलों के जवानों पर बीजेपी के साथ मिले होने के आरोप लगाती रही हैं। चुनाव आयोग ने इस मसले पर नोटिस भेजते हुए उन बातों का उल्लेख किया है, जिसमें टीएमसी के प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया है कि सीमा पर तैनात बीएसएफ के अफसर लोगों को टीएमसी को वोट न देने के लिए डराते हैं। चुनाव आयोग ने कहा, बीएसएफ देश की बेहतरीन फोर्स में से एक है इसपर टीएमसी और ममता की ओर से आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

गौरतलब है कि ममता दीदी लगातार अर्धसैनिक बलों पर बीजेपी के साथ मिले होने का आरोप लगाती रही हैं। उन्होंने अपने अलग-अलग संबोधनों में कहा, केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के जवान गांवों में लोगों को डरानेधमकाने पहुंच सकते हैं। केंद्रीय बल अमित शाह द्वारा संचालित केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों पर काम कर रहे हैं। राज्य पुलिस बल को चौकन्ना रहना चाहिए और दिल्ली के सामने झुकना नहीं चाहिए।

इसके साथ ही ममता दीदी ने जनता से अपील की थी कि सीआरपीएफ के जवानों को घेर लिया जाए। ममता ने कहा था, मैं अपनी मां और बहनों से कह रही हूं कि बाहर से कोई आए और परेशानी पैदा करे और अगर सीआरपीएफ आती है और परेशानी का कारण बनती है, तो उसे घेर लो।

उन्होंने कहा था, एक समूह सीआरपीएफ को घेर लेगा, एक समूह वोट देने जाएगा। अगर आप सिर्फ घेराबंदी रखते हैं, तो वोट चला जाएगा। यह भाजपा की चाल है। स्थिति को समझते हुए घेराबंदी इस तरह से की जानी चाहिए कि पांच लोग घेरेंगे, तो पांच लोग वोट देंगे।

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ऐसा करके ममता दीदी ‘एक तो चोरी, ऊपर से सीनाजोरी’ जैसी कहावत पर अमल कर कर रही हैं। पहले उन्होंने अपने बयान में मुस्लिमों से एक होकर चुनाव लड़ने की बात कही,‌ तो दूसरी ओर अब चुनाव आयोग के नोटिस पर अजीबो-गरीब टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, वह सांप्रदायिक आधार पर मतदाताओं को बांटने के किसी भी प्रयास के खिलाफ आवाज उठाती रहेंगी और चुनाव आयोग चाहे तो उन्हें दस कारण बताओ नोटिस भेज दे, लेकिन इनसे वह अपना रुख नहीं बदलेंगी।

वहीं दूसरे नोटिस के बाद भी ममता जनता के बीच खुद को आक्रामक दिखाने की कोशिश कर रहीं हैं, लेकिन असल में वह चुनाव आयोग के नोटिस के बाद नरम पड़ गईं‌ हैं। उन्होंने अपने बयान को लेकर कहा है कि वह सीआरपीएफ का सम्मान करतीं हैं और उन्हें सीआरपीएफ से कोई दिक्कत नहीं है। ममता केन्द्र का नीयत का उल्लेख करते हुए राज्य में सीआरपीएफ के गलत इस्तेमाल का आरोप लगा रही हैं।

साफ है कि अपने और पार्टी के कार्यकर्ताओं पर दिए बयान को लेकर ममता राजनीतिक लड़ाई बनाकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही हैं। साफ है कि ममता दीदी जिस बिंदु का विरोध करने की मांग कर रही हैं, असल में वो उन्हीं बिंदुओं के जरिए अपनी निचले स्तर की राजनीति कर रही हैं, और इसीलिए अब ममता दीदी अब मतदान के चरण-दर-चरण पर बौखलाहट में बेतुके बयान दे रही हैं।

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