Food Corporation of India यानि FCI ने हाल ही में कहा था कि वह इस वर्ष से मंडी में MSP पर खरीदी जाने वाली फसलों के लिए सीधे किसानों के खाते में ही पैसे ट्रांसफर करेगी। ऐसे में सरकार ने स्पष्ट किया था कि इस स्कीम को लागू नहीं करने वाले राज्यों से केंद्र सरकार MSP पर फसल नहीं खरीदेगी। केंद्र सरकार के इस सख्त रुख का असर यह हुआ है कि अब कई सालों से अड़ियल रुख दिखा रहे पंजाब ने भी अपने घुटने टेकने का फैसला लिया है और Direct Benefit Transfer स्कीम को लागू करने का फैसला लिया है।
बता दें कि अब तक मंडी सिस्टम के तहत आढ़तियों के माध्यम से ही फसलों की खरीद की जा रही थी, और उन्हीं के माध्यम से किसानों को पैसा दिया जा रहा था, लेकिन अब FCI ने कहा है कि वह किसानों के खातों में ही पैसा भेजेगी। पंजाब सरकार शुरू से ही आढ़तियों के दबाव में इसका विरोध कर रही थी।
इसी महीने पंजाब के CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर पुराने सिस्टम को ही फॉलो करने की अपील की थी। इसके साथ ही बीते गुरुवार को पंजाब CM की ओर से पीयूष गोयल के साथ बैठक करने के लिए 5 सदस्यीय टीम भी भेजी गयी थी, लेकिन उसे भी खाली हाथ भी वापस लौटना पड़ा। अब पंजाब को हार मानकर DBT स्कीम को अपने यहाँ लागू करना पड़ा है।
बता दें कि केंद्र सरकार पिछले काफी समय से पंजाब पर DBT स्कीम को लागू करने हेतु पंजाब सरकार से किसानों के land records को update करने और उसे केंद्र के साथ साझा करने का दबाव बना रही थी। वर्ष 2018 और वर्ष 2019 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से भी पंजाब को कई बार टोका गया, लेकिन आढ़तियों और बिचौलयों के दबाव में कभी पंजाब ने किसानों की ज़मीन के रिकोर्ड्स को update करना ज़रूरी नहीं समझा।
जनवरी 2019 में जब राम विलास पासवान देश के खाद्य मंत्री का पदभार संभाल रहे थे, तब भी केंद्र ने पंजाब को बाकी राज्यों की तरह अपने Payment system को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कहा था। हालांकि, पंजाब के पास हर बार ऐसा ना करने के लिए बहाने तैयार होते थे। पंजाब सरकार का हर बार बहाना होता था कि उसके पास किसानों की ज़मीन से जुड़े आंकड़े नहीं है। केंद्र ने कई बार पंजाब को रियायत भी प्रदान की, लेकिन पंजाब सरकार ने हठधर्मी नहीं छोड़ी! हालांकि, अब पीयूष गोयल के दबाव के बाद पंजाब को आखिरकार केंद्र के सामने घुटने टेक DBT स्कीम को लागू करने का फैसला लिया है।