कांग्रेस की गंदी राजनीति ने इस बार कोरोना वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक को बनाया निशाना

कितना झूठ बोलेगी कांग्रेस?

अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए देश के सबसे बड़े बिजनेसमैन अंबानी-अडानी को निशाने पर लेने के बाद अब कांग्रेस के निशाने पर कोरोनावायरस की वैक्सीन बनाने वाली भारतीय कंपनियां आ गईं है। कांग्रेस अपने बेतुके गणित के जरिए ये साबित करने पर तुली हुई है कि वैक्सीन उत्पादक सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक को मोदी सरकार 1 लाख 11 हजार करोड़ का फायदा पहुंचाने वाली है, जिसके पीछे मोदी सरकार भ्रष्टाचार कर रही है।

हालांकि, इन दावों के पीछे कांग्रेस के पास कोई ठोस और मजबूत आधार नहीं है, जो यह साबित करता हो। कांग्रेस की नीयत केवल इन कंपनियों को बदनाम करके राजनीति करने की है।

भारत सरकार द्वारा कोरोनावायरस की दो स्वदेशी वैक्सीनों को सबसे पहले मंजूरी दी गई। एक थी ऑक्सफोर्ड की एसट्राजेनिका से कॉन्ट्रैक्ट वाली सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशीलड और दूसरी वैक्सीन स्वदेशी कंपनी भारत बायोटेक की को-वैक्सीन। दोनों को लेकर शुरू से ही कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष के मन में राजनीतिक घृणा थी, लेकिन अब कांग्रेस की वो घृणा तो खुलकर सामने आ गई है।

दोनों कंपनियों द्वारा जैसे ही वैक्सीनों के दाम जारी हुए कांग्रेस इनके खिलाफ अपनी राजनीतिक नौटंकियों और कुतर्कों के साथ कूद पड़ी है और मोर्चा हमेशा की तरह राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने संभाला है।

सोशल मीडिया से लेकर मुख्य मीडिया के बीच सुरजेवाला का आरोप है कि मोदी सरकार इन दोनों वैक्सीन उत्पादक निजी कंपनियों को वैक्सिनेशन के माध्यम से 1 लाख 11 हजार करोड़ का लाभ पहुंचाकर भ्रष्टाचार कर रही है। उन्होंने कहा, “इस तरह से टीके को लेकर सरेआम मुनाफाखोरी की अनुमति कैसे दी जा सकती है? महामारी के समय मोदी सरकार मुनाफाखोरी में शामिल क्यों है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब देना चाहिए।’’

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वैक्सीन उत्पादक कंपनियों और मोदी सरकार के बीच संभावित सांठ-गांठ का आरोप लगाते‌ हुए सुरजेवाला ने कहा, “मोदी सरकार टीकाकरण की आड़ में मुनाफाखोरी की अनुमति देने की दोषी है। मोदी सरकार देश के युवाओं और गरीबों को मुफ्त टीका उपलब्ध कराने की अपनी जिम्मेदार से पल्ला झाड़ने के भी दोषी है।” कांग्रेस के गणित के मुताबिक, वैक्सिनेशन के प्रोग्राम के जरिए सीरम इंस्टीट्यूट 35,350 करोड़ रुपए और भारत बायेटेक 75,750 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाएंगे।

अब सवाल ये उठता है कि ऐसे कौन से गणित से सुरजेवाला ये दावा कर रहे हैं कि इन दोनों कंपनियों को 1 लाख 11 हजार करोड़ का फायदा होगा? तो इस विषय में सुरजेवाला का कहना है कि “देश में 18 से 45 साल की उम्र के 101 करोड़ लोगों में से 50 फीसदी लोग इन टीकों का खर्च खुद वहन करेंगे और शेष आधे लोगों को राज्यों द्वारा टीका उपलब्ध कराया जाएगा।“ अब कोई इन कुतर्कों के लिए कांग्रेस से पूछ सकता है कि 50 फीसदी लोग अपने टीके का वहन खुद क्यों करेंगे ?

सुरजेवाला के कुतर्कों से निकले दावे के मुताबिक क्या उनके राज्य की सरकारें उन 50 फीसदी लोगों को मुफ्त वैक्सीन नहीं देंगी ? वहीं अन्य 50 फीसदी के लिए यदि राज्य सरकारें पैसा खर्च करती हैं तो इसमें उन्हें दिक्कत क्या है? कोई भी कंपनी जब कुछ बनाती है तो उसकी नीयत मुनाफा कमाने की ही होती है।इसके बावजूद सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ आदार पूनावाला ने घोषणा की थी कि शुरू के दस करोड़ डोज भारत सरकार को 150 रुपए की कीमत पर मिलेंगे, बाद ये कीमतें बढ़ेगी, क्योंकि प्रोडक्शन में उन्हें घाटा हो सकता है और अब ठीक वैसा ही हो रहा है तो कांग्रेस को दिक्कत क्या है?

आदार पूनावाला की मांग पर मोदी सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट को एडवांस फंडिंग भी दी है, जिससे वैक्सीन के उत्पादन में किसी प्रकार की रुकावट न आए और ये एक साधारण-सा नियम है। यदि सीरम की वैक्सीन भारत में न बनी होती तो भारत सरकार विदेशी कंपनियों के साथ भी कुछ इसी तरह की डील करती, तो इसमें किसी भी तरह की कोई दिक्कत की बात नहीं लगती। इसके विपरीत कांग्रेस और उनके समर्थक इस मुद्दे पर बेतुके गणित लगाकर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं।

इतना ही नहीं अभी अन्य विदेशी वैक्सीऩों का भी भारत में प्रोडक्शन होना है, जिसमें स्पुतनिक-वी का नाम भी शामिल है। ऐसे में ये कहना कुतर्क ही होगा कि सभी को केवल भारतीय दो वैकसीने़ं ही लगेंगी। 1 मई से शुरू होने वाले वैक्सिनेशन के युद्ध स्तरीय अभियान से पहले वैक्सीन उत्पादक कंपनियों पर इस तरह के तुच्छ आरोप लगाकर कांग्रेस बस भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट को बदनाम करने की कोशिश कर रही है, लेकिन शायद उसकी इस चाल को अब जनता ने भी समझ लिया है, इसलिए अब कांग्रेस को जनता की तरफ से भी खास तवज्जो नहीं मिल रही है।

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