हिन्दू यति नरसिंहानंद सरस्वती के लिए आज वो कर रहे हैं, जो उन्हें कमलेश तिवारी के लिए करना चाहिए था

'सर तन से जुदा करने' की धमकी पर हिन्दुओं ने किया विरोध

इन दिनों हिन्दू महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के लिए ज़ोरों शोरों से समर्थन उमड़ रहा है। लोगों ने उनकी सुरक्षा के लिए योगी सरकार को हाल ही में ज्ञापन भी सौंपा है। इतना ही नहीं, कई राज्यों में जहां यति नरसिंहानंद सरस्वती का सर धड़ से अलग करने की मांग की गई, वहाँ पर लोगों ने विरोध भी किया, और पुलिस को कार्रवाई के लिए विवश भी किया है।

जो काम कमलेश तिवारी के लिए होना चाहिए था, आज वो यति नरसिंहानंद सरस्वती के लिए किया जा रहा है। लेकिन ये हैं कौन, और इन्होंने ऐसा क्या किया, जिसके कारण आज उनके समर्थन में अनेक लोग उमड़ रहे हैं? यति नरसिंहानंद सरस्वती एक पूर्व इंजीनियर हैं, जिन्होंने अपने ऐशों आराम को त्यागकर लोगों की सेवा करने में और सनातन धर्म की रक्षा करने के लिए जुट गए। वे डासना जिले में स्थित उसी शिव मंदिर के प्रमुख महंत हैं, जहां एक मुस्लिम लड़के को कथित तौर पर उपद्रव मचाने के लिए पीटा गया था। यति नरसिंहानंद सरस्वती कमलेश तिवारी के सहयोगी भी रहे हैं, जिन्हे पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी करने के लिए 2019 में मौत के घाट उतार दिया गया था।

लेकिन यही एक कारण नहीं है जिसके पीछे आज सनातनी एक सुर में यति नरसिंहानंद सरस्वती का समर्थन कर रहे हैं। कुछ ही हफ्तों पहले यति नरसिंहानंद सरस्वती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी की थी, जिससे कट्टरपंथी मुसलमान भड़क गए और वे यति नरसिंहानंद सरस्वती का सर कलम करने की मांग करने लगे। बरेली में तो यति नरसिंहानंद का सर कलम करने की मांग के लिए विशाल प्रदर्शन भी हुआ। लेकिन इस बार आश्चर्यजनक रूप से जनता ने यति नरसिंहानंद सरस्वती को अकेला छोड़ने के बजाए जोर शोर से उनका समर्थन किया और कट्टरपंथियों के विरुद्ध मोर्चा निकाला।

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हाल ही में शाहजहांपुर से सनातनियों का एक दल लखनऊ पहुंचा, जहां उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार को यति नरसिंहानंद सरस्वती की सुरक्षा के लिए एक ज्ञापन सौंपा। इसके अलावा कुछ जगहों पर यति नरसिंहानंद सरस्वती का सर कलम करने की मांग करने वालों के विरोध में प्रदर्शन भी हुए।

इतना ही नहीं, यति नरसिंहानंद सरस्वती के सर कलम की मांग करने वाले पोस्टरों को भी हटवाया गया। कानपुर में AIMIM ने यति नरसिंहानंद सरस्वती और वसीम रिजवी द्वारा इस्लामिक रूढ़ियों पर सवाल उठाने के लिए सर कलम करने वाला पोस्टर लगाया था, जिसे भारी विरोध के बाद उत्तर प्रदेश की पुलिस ने न सिर्फ हटवाया, बल्कि पोस्टर लगवाने वालों के विरुद्ध FIR भी दर्ज की।

काश यही समर्थन कमलेश तिवारी को मिला होता, तो आज वे हमारे बीच होते। लेकिन वो कहते हैं, जब जागो तभी सवेरा। जिस प्रकार से दिन प्रतिदिन कट्टरपंथी इस्लाम का आतंक बढ़ रहा है, और जिस प्रकार से पूर्वोत्तर दिल्ली ने कट्टरपंथी इस्लाम के वीभत्स रूप देखा है, उससे स्पष्ट होता है कि अब बहुत हो गया। जो गलती 2019 और 2020 में हुई, वह दोबारा नहीं दोहराई जानी चाहिए, और शायद इसी भावना से यति नरसिंहानंद सरस्वती के समर्थन में लोग उन्हे भर भरकर समर्थन दे रहे हैं। इसपे एक कहावत स्पष्ट चरितार्थ होती है – देर आए पर दुरुस्त आए।

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