चीनी और कपास के आयात पर प्रतिबंध को लेकर पाकिस्तान दो गुटों में बंट गया है। हाल में ही पाकिस्तान सरकार ने भारत के साथ रिश्ते सामान्य करने के उद्देश्य से भारतीय चीनी और कपास के आयात पर पाकिस्तान में लगे लगे प्रतिबंध को हटाने का फैसला किया था किंतु राजनीतिक दबाव के चलते पाकिस्तान की सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। इसे लेकर अब पाकिस्तान दो गुटों में बंट गया है।
दरअसल रमजान शुरू होने वाला है और रमजान में चीनी की खपत बढ़ जाती है।इस समय पाकिस्तान अपने उपभोग के लिए जो चीनी खरीद रहा है वह ब्राजील से आ रही है।ब्राजील से आने वाली चीनी भारतीय चीनी की अपेक्षा बहुत महंगी पड़ती है क्योंकि दोनों देशों के बीच की दूरी बहुत अधिक है। लेकिन पाकिस्तानी सरकार चाहकर भी भारत से चीनी नहीं मंगा सकती थी, क्योंकि वे भारत द्वारा जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने का विरोध कर रहे हैं।
भारत जो चीनी, पाकिस्तान को बेचने का प्रस्ताव दे रहा है वह 410-415 डॉलर प्रति टन की पड़ रही है और उसकी गुणवत्ता भी अच्छी है। जबकि इस समय पाकिस्तान जो चीनी खरीद रहा है वह करीब 700 डॉलर प्रति टन की पड़ रही है। इसका मतलब भारतीय चीनी पाकिस्तान में आयातित चीनी से कहीं सस्ती है।
हाल ही में पाकिस्तान ने चीनी की मांग को देखते हुए दो टेंडर निकाला था तथा 50-50 हजार टन चीनी आयात का प्रस्ताव रखा था, बशर्ते उसे चीनी 500 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध हो जाए लेकिन दुनियाभर में किसी भी चीनी उत्पादक देश ने इस ओर ध्यान नहीं दिया क्योंकि भारत के अतिरिक्त कोई अन्य चीनी उत्पादक देश इतने सस्ते में चीनी उपलब्ध करवा ही नहीं सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय चीनी को पाकिस्तान तक पहुंचाने की लागत बहुत कम है, जबकि ब्राजील, थाईलैंड, फ्रांस आदि देशों से चीनी पहुंचाने की लागत अधिक है।
पाकिस्तान में पहले ही चीनी के दाम 110 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलो से अधिक चल रहे हैं, और अब तो रमजान का महीना भी आने वाला है, जिसमें चीनी की खपत और बढ़ जाएगी। ऐसे में भारतीय आयात पर प्रतिबंध लगा रहा तो चीनी का दाम और बढ़ेगा।आम पाकिस्तानी नहीं चाहता कि भारतीय चीनी पर प्रतिबंध लगे, लेकिन इमरान सरकार कट्टरपंथियों और प्रशासन में स्थापित भारत विरोधी गैंग से टकराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे।भारतीय चीनी को लेकर पाकिस्तान दो गुटों में बंट गया है।
यही हाल कॉटन इंडस्ट्री का भी है।भारतीय कपास के बिना पाकिस्तानी कपड़ा उद्योग चौपट हो रहा है।इस समय पाकिस्तान को अपनी जरूरत का कपास ब्राजील और अमेरिका से मंगाना पड़ रहा है, जिनका लागत मूल्य अधिक है। इसका सीधा असर कपड़ा निर्माताओं पर पड़ रहा है क्योंकि महंगा कपास खरीदने के कारण, कपड़ा बनाने की लागत भी बढ़ रही है और इस कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाकिस्तानी कपड़ो की कीमत भी बढ़ रही है, जिससे बाजार में उनकी हिस्सेदारी दिन प्रति दिन कम हो रही है।
पाकिस्तान के नीति निर्माताओं को यह सोचना की भारत से प्रतिस्पर्धा करके उन्हें क्या हासिल हो रहा है। भारत से व्यापार पर प्रतिबंध के कारण नुकसान पाकिस्तान को ही हुआ है।भारतीय ऑर्गेनिक केमिकल और कपास के बिना पाकिस्तानी उद्योग बर्बाद हो रहे हैं।जबकि पाकिस्तान भारत को जो वस्तुएं बेचता है, वह वैसे भी भारत अन्य देशों से खरीद लेता है।उदाहरण स्वरूप भारत पाकिस्तान से 131.27 मिलियन डॉलर का खनिज तेल खरीदता था तो उसी समय सऊदी से 25.51 बिलियन डॉलर का खनिज तेल खरीदता था।ऐसे में पाकिस्तान से आयातित वस्तुओं पर प्रतिबंध का असर भारत पर नगण्य है।लेकिन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।
पाकिस्तान भारत को सबक सिखाने की चाहत में अपना कितना नुकसान करता है इसका एक और उदाहरण भारतीय वायुयानों पर लगा प्रतिबंध है। बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद, भारतीय वायुयानों पर पाकिस्तान के वायुक्षेत्र में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा था।इस कारण फरवरी से जुलाई के बीच ही Pakistan को 800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सत्य यह है कि पाकिस्तानी नीति निर्माताओं को अपनी हैसियत का एहसास कर लेना चाहिए, और यह तथ्य स्वीकार कर लेना चाहिए कि भारत एशिया की महाशक्ति है, जिससे प्रतिस्पर्धा करने के बजाए, सहयोग करना ही पाकिस्तान के लिए लाभदायक होगा।