हाल ही में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के दौरान कूचबिहार में तृणमूल कांग्रेस द्वारा भड़काई गई हिंसा ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है। कूचबिहार में चुनाव के दौरान हुई हिंसा के पश्चात केंद्र सरकार के दिशानिर्देश अनुसार सुरक्षाबलों की 71 अतिरिक्त कंपनियां भेजी गई हैं और साथ ही साथ किसी भी राजनेता के कूचबिहार क्षेत्र में प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। ये ममता बनर्जी के साथ तृणमूल के गुंडों के लिए भी चुनाव आयोग का साथ दिया है। इसके अलावा बंगाल चुनाव के दौरान ममता बनर्जी की दो रैलियों को रद्द करना पड़ा है क्योंकि ममता बनर्जी के चॉपर को उतरने की इजाजत नहीं मिली है।
कूचबिहार जिले के सीतलकुची विधानसभा क्षेत्र के माथाभांगा ब्लॉक के जोर पाटकी इलाके में भीड़ ने केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बलों (सीआईएसएफ) की एक टीम पर हमला कर हथियार छीनने का प्रयास किया था। इसके बाद आत्मरक्षा में सीआईएसएफ की टीम को ओपन फायर के लिए मजबूर होना पड़ा। फायरिंग में चार उपद्रवियों मोनिरुज्जमान, हमीदुल मियाँ, नूर अल्मा मियाँ और समीउल हक की मृत्यु हो गई।
इसके पश्चात चुनाव आयोग ने कुछ सख्त कदम उठाए हैं, जिसके अंतर्गत जिले में अगले 72 घंटों तक किसी भी राजनीतिक दल के नेता के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा एक बूथ पर पुनः मतदान के आदेश दिए हैं, और चुनाव आयोग द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को सुरक्षा बलों की 71 अतिरिक्त कंपनियों की राज्य में तैनाती के आदेश दिए हैं। इतना ही नहीं, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार 5वें चरण के मतदान से पहले चुनाव प्रचार खत्म होने की समय सीमा 48 घंटे से बढ़ाकर 72 घंटे कर दी है।
ऐसे में चुनाव आयोग के वर्तमान निर्णय ममता बनर्जी के लिए एक स्पष्ट संदेश है – अब भी समय है, सुधर जाइए और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को नियंत्रित कीजिए, अन्यथा कहीं भी रैलियाँ नहीं होने पायेंगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि ममता बनर्जी अपने भड़काऊ बयानों के लिए पहले से ही चुनाव आयोग की लताड़ झेल चुकी है, और यदि वे अब भी नहीं चेती, तो चुनाव आयोग उनके प्रचार करने पर प्रतिबंध भी लगा सकता है।
ममता बनर्जी ने इस हमले के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताते हुए सीआईडी यानि कलकत्ता पुलिस के क्राइम इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट को जांच पड़ताल करने के लिए आदेश दिए। उन्होंने कूच बिहार जाने का ऐलान भी किया। लेकिन सच्चाई तो यह भी है कि कूचबिहार में जो कुछ भी हुआ, उसके लिए ममता बनर्जी ही जिम्मेदार थी, क्योंकि उन्होंने अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं को ‘CRPF एवं अन्य पैरामिलिटरी की बदमाशी’ पर ‘उनका घेराव करने’ का आदेश दिया था, और इसी के कारण कूचबिहार में हिंसा हुई, जिसके कारण न चाहते हुए भी CISF को आत्मरक्षा में गोलियां चलाने पर विवश होना पड़ा।
चुनाव आयोग ने कूचबिहार में किसी भी राजनेता की रैली या दौरे को प्रतिबंधित करके एक कड़ा संदेश भेजा है – राज्य में चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की गुंडागर्दी स्वीकार्य नहीं होगी, चाहे वो कोई भी पार्टी से हो। ऐसे में ममता बनर्जी के पास सुधार करने का यह अंतिम अवसर है, अन्यथा वह आगे किसी भी प्रकार का प्रचार नहीं कर पायेंगी।