हिमाचल प्रदेश की घटना से साफ है अब सिखों को सार्वजनिक जगहों पर तलवार लेकर चलने की छूट पर रोक लगे

सिखों

PC: bhaskar

30 मार्च को TFI पर हमने अपनी एक रिपोर्ट में सवाल उठाया था कि आखिर निहंग सिखों को सार्वजनिक जगहों पर तलवार यानि कृपाण लेकर चलने की अनुमति दिये जाने का क्या औचित्य है? इसी सवाल को बल देने वाली एक और घटना अब हिमाचल के कोट थाना क्षेत्र से सामने आई है जहां एक निहंग सिख ने तैश में आकर एक बाइक सवार पर हमला कर उसकी चार उँगलियाँ काट दीं, वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने उस निहंग सिख को लिफ्ट देने से मना कर दिया था।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक पहले तेज सिंह नामक निहंग सिख ने  बाइक वाले को जबरदस्ती रोका और बिना पूछे ही बाइक पर बैठकर उसे “आनंदपुर साहिब” छोड़ने को कहा। हालांकि, जब बाइक वाले ने मना किया तो गुस्से में आकर तेज सिंह ने पहले डंडे से उसपर वार किया, और उसके बाद अपने कृपाण से वार कर उसकी चार उँगलियाँ काट दी! बाद में उस हमलावर ने बाइक वाले के साथी बुजुर्ग पर भी हमला किया और उसे घायल कर दिया। इस घटना के बाद फिर ये सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या निहंग सिखों को खुलेआम जानलेवा हथियार लेकर चलने की अनुमति दी जानी चाहिए, वो भी सिर्फ धर्म का पालन करने की आज़ादी के नाम पर?

ऐसी ही एक खबर पिछले दिनों महाराष्ट्र के नांदेड़ से सामने आई थी। नांदेड़ जिले की पुलिस ने होली के अवसर पर एक बैठक बुलाकर कोरोना की Guidelines हेतु भीड़ इकट्ठा न करने की अपील की थी। हालांकि, क्षेत्र के हजूर साहिब गुरुद्वारे में आए सिख श्रद्धालुओं को प्रशासन की ये अपील पसंद नहीं आई और होला मोहल्ले के आयोजन के दौरान ना सिर्फ निहंग सिखों ने जमकर कोरोना की Guidelines की धज्जियां उड़ाई बल्कि उन्हें रोकने आई पुलिस पर भी अपनी तलवारों से हमला कर डाला। तलवार से किए जानलेवा हमले में कई पुलिसवाले गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

बता दें कि किसान आंदोलन को लेकर 26 जनवरी को इन्हीं तथाकथित सिख किसानों ने आंदोलन के नाम पर अराजकता फैलाई थी और जब पुलिस ने इन्हें रोकना चाहा तो इन निहंग सिखों ने अपनी तलावऱों से वार किए और पुलिसकर्मियों को घायल तक कर दिया था। इससे पहले भी कुछ निहंग सिखों ने पंजाब में अराजकता मचाई थी और पुलिसकर्मियों पर तलवारों से हमला किया, जिसमें मुख्य आरोपी निहंग सिख थे, जो अपने पास रखी तलवारों का प्रयोग हमला करने के लिए करते हैं।

इन घटनाओं के बाद यह कहा जा सकता है कि भारतीय सरकार को धार्मिक आज़ादी की एक तार्किक सीमा तय करते हुए आक्रामक निहंग सिखों को दी हुई कृपाण रखने की छूट को वापस लेना चाहिए ताकि समाज में सुरक्षा की भावना को मजबूत रखा जा सके।

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