रमज़ान के महीने में हो रहा है जम के कोरोना का प्रसार, रोकने वालों को पड़ते हैं पत्थर और घूंसे

कुंभ पर चीखने चिल्लाने वाले अब बिल में बैठे हैं!

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हाल ही में गुजरात और राजस्थान में फिर से सांप्रदायिक हिंसा देखने को मिली। रमज़ान के अवसर परअच्छी खासी भीड़ जमा रखी थी और जब पुलिसवाले कोरोनावायरस की गंभीरता को देखते हुए उन्हें नसीहत देने पहुंचे, तो कई कट्टरपंथी उन्हीं पर पत्थर बरसाने लगे।

राजस्थान के सांगानेर जिले में जामा मस्जिद के सामने जुटी भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया और साथ ही साथ पुलिस की गाड़ी पर भी पथराव किया गया है, जिससे गाड़ी के शीशे टूट गए हैं। सांगानेर की जामा मस्जिद में कर्फ्यू के बाद भी इकट्ठा भीड़ ने पुलिस द्वारा समझाए जाने पर पुलिस कर्मियों पर ही पत्थरबाजी शुरू कर दी।

जी राजस्थान के अनुसार, “जयपुर के सांगानेर के जामा मस्जिद में लगातार भीड़ बनी हुई थी। कर्फ्यू के बाद भी मस्जिद में लोगों की आवाजाही रुक नहीं रही थी। इस पर सांगानेर पुलिस मस्जिद प्रशासन से बात करने पहुंची। इसी दौरान मस्जिद में उपस्थित भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया। पुलिसकर्मियों पर हुए इस हमले में कई गाड़ियों को नुकसान पहुँचा है। राजस्थान में कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच 22 अप्रैल से 21 मई तक राज्य में कोरोना कर्फ्यू के नाम पर धारा 144 लागू की गई है। ऐसे में मस्जिद में भीड़ इकट्ठा करना भी गैर कानूनी था। इस पर कार्रवाई करने के लिए ही सांगानेर पुलिस जामा मस्जिद पहुंची थी। तोड़फोड़ करने वालों की पहचान की जा रही है। इसके साथ ही उन लोगों की भी तलाश की जा रही है, जिन्होंने धारा 144 का उल्लंघन किया है।

वहीं, दूसरी ओर गुजरात में स्थिति कुछ खास बेहतर नहीं है। कापड़वंज शहर में कल शाम पुलिस और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच हिंसक झड़प हुई। दिव्य भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, “कापड़वंज शहर में कल शाम को पुलिस और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के बीच हाथापाई हुई। सामाजिक दूरी को समझाने के लिए लायंस क्लब के पास अली मस्जिद पुलिस पहुंची। इस पर विवाद कुछ ज्यादा ही बढ़ गया और झगड़ा हुआ, जिसने बाद में हिंसक रूप धारण कर लिया। कट्टरपंथी मुसलमानों ने पहले कुंडव पुलिस स्टेशन और फिर टाउन पुलिस स्टेशन पर हमला किया। दो पुलिसकर्मियों की बाइक और एक कार के साथ तोड़फोड़ की गई। कुंडव पुलिस स्टेशन के अधिकांश सामान को भी भीड़ ने तोड़ दिया। भीड़ फिर कपडवंज टाउन पुलिस स्टेशन पहुंची और पथराव किया गया।

जवाब में पुलिस ने भी आँसू गैस के गोले दागे, परंतु इससे कुछ विशेष असर नहीं पड़ा। इस पूरे प्रकरण में एक पुलिसकर्मी घायल भी हो गया जिसके चलते पुलिसकर्मियों को अतिरिक्त सुरक्षाबल बुलाने पड़े, तब जाकर स्थिति थोड़ी काबू में आ पाई। कमाल की बात तो यह है कि कुम्भ मेले को चीख-चीख कर के कोरोना के लिए दोषी बताने वाले लोग इन दोनों घटनाओं पे मौन व्रत साधे बैठे हैं। टीकाकरण का अभियान तो 1 मई से युद्धस्तर पर शुरू होगा, परंतु ऐसे कट्टरपंथ के इलाज के लिए राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी अपनी कमर कसनी होगी, अन्यथा स्थिति बद से बदतर हो सकती है।

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