“12.5 फीसदी दर से Growth कर सकता है भारत” विश्व बैंक ने वैक्सीन नीति और अर्थव्यवस्था के लिए दिया क्रेडिट

 ये मोदी सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत' नीति से संभव हुआ है

साल 2018 के अंत तक भारत मंदी की जद में जा चुका था, लेकिन एक तरफ जहां वैश्विक महामारी कोरोना वायरस पूरी दुनिया में आर्थिक स्थितियों को तबाह कर दिया, तो वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह आपदा में अवसर बन गया।  इसको लेकर अब विश्व बैंक ने भारत के लिए कुछ सकारात्मक अनुमान लगाए हैं।

विश्व बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष FY21-22 में 7.5 से 12.5 की संभावित जीडीपी के साथ भारत आर्थिक सफलता की ओर तीव्र गति से अग्रसर है। इसके पीछे वैक्सीन नीति और आर्थिक सुधारों को विश्व बैंक ने अहम कारण बताया है, जो भारत को प्रगति के मार्ग की ओर ले जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर Moody’s से लेकर IMF सभी ने सुधार के संकेत देने शुरू कर दिए हैं।

इसी कड़ी में अब विश्व बैंक ने भारत के आर्थिक सुधारों और जीडीपी को लेकर महत्वपूर्ण बात कही है। विश्व बैक ने कहा, वित्तीय वर्ष (FY21-22) में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.5 से 12.5 फीसदी तक रह सकती है। विश्व बैंक का ये अनुमान भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की संसद में जाहिर की गईं उम्मीदों को बल देता है, क्योंकि वह बजट में भारत की अर्थव्यवस्था की ‘V’ शेप रिकवरी की बात कर चुकी हैं।

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विश्व बैंक ने कहा, कोरोना महामारी आने से पहले से ही भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी थी। वित्तीय वर्ष 2017 में भारतीय जीडीपी 8.3 फीसदी पहुचने के बाद वित्त वर्ष 2020 में विकास दर घटकर 4.0 प्रतिशत पर आ गई थी। जी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व बैंक ने भारत की पहले सुस्त रही आर्थिक रफ्तार को लेकर कहा, भारत में उस मंदी का कारण प्राइवेट खपत ग्रोथ में कमी और वित्तीय क्षेत्र (एक बड़े नॉनबैंक फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन में गड़बड़ी) को लगा झटका था, जिसने निवेश में पहले से मौजूद कमजोरियों को और बल दिया।

भारत की आर्थिक गति को देखकर विश्व बैंक के कई अधिकारियों के भी पसीने छूटे हुए हैं कि आखिर भारत ने आर्थिक स्थिति को इतना जल्दी बेहतर कैसे कर लिया। दक्षिण एशिया क्षेत्र में विश्व बैंक के मुख्य अधिकारी हंस टिमर ने आर्थिक सुधारों के लिए भारत में वैक्सीन की रिसर्च और प्रोडक्शन समेत वैक्सीन मैत्री को एक बड़ी वजह माना है। उन्होंने कहा, आश्चर्यजनक है कि भारत एक साल पहले की तुलना में कितना आगे आ गया है। यदि आप एक साल पहले की सोचते हैं, तो अभूतपूर्व गिरावट थी।  वैक्सीन को लेकर को कोई स्पष्टता नहीं थी। बीमारी के बारे में बड़ी अनिश्चितताएं थीं, और अब अगर आप इसकी तुलना करते हैं, तो भारत की अर्थव्यवस्था में दोबारा उछाल देखने को मिल रहा है, टीकाकरण शुरू कर दिया, वैक्सीन के प्रोडेक्शन में अग्रणी है।

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साफ है कि विश्व बैंक ये मान रहा है कि भारत से किसी को वैक्सीन बनाने की उम्मीद नहीं थी। ऐसे में भारत ने न केवल स्वदेशी वैक्सीन बनाकर सभी को चौंका दिया है, बल्कि विदेशी वैक्सीनों का भी प्रोडक्शन कर अपनी क्षमता का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। इसके चलते भारत में निवेश की तादाद बढ़ रही है, जो कि अभी और ऊपर जाने वाला है।

विश्व बैंक का ये अनुमान मोदी सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति की सफलता का पर्याय भी है क्योंकि भारत अब जरूरत की चीजों को खुद ही बनाने पर काम करना शुरू कर चुका है। इससे स्थानीय लोगों को होने वाला आर्थिक लाभ और आयात में बचने वाले विदेशी मुद्रा भंडारण का ग्राफ बढ़ने की संभावनाएं हैं।

ऐसे में विश्व बैंक का भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर लगाया गया अनुमान जाहिर करता है कि भारत में अर्थव्यवस्था को लेकर जो बेबुनियादी राजनीति हो रही है, वो विफल होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय सरकार के आर्थिक सुधारों और वैक्सीन मैत्री के दम पर भारत की जीडीपी पुन: सबसे तेज रफ्तार पकड़ने वाली है।

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