चीन में खड़े होकर भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री ने चीन को लताड़ा, चीन की नीतियों को लिया आड़े हाथों

नाम Misri, लेकिन चीन वालों का मुंह कड़वा कर दिया!

विक्रम मिस्री

पिछले वर्ष गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच भड़का लद्दाख विवाद अब तक सुलझ नहीं पाया है। हाल ही में भारत-चीन के बीच 11वें दौर की सैन्य वार्ता खत्म हुई जहां भारत ने पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग जैसे गतिरोध वाले शेष हिस्सों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को जल्द आगे बढ़ाने पर जोर दिया। इस बीच अब चीन में मौजूद भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री ने चीनी विद्वानों और चीनी एक्सपर्ट्स के सामने खड़े होकर ही चीन को कड़ी लताड़ लगाई है।

वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद (आईसीडब्ल्यूए) और चाइनीज पीपुल्स इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन अफेयर्स (सीपीएफए) के डिजिटल संवाद को 15 अप्रैल को संबोधित करते हुए विक्रम मिस्री ने चीन को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “अन्य देशों के साथ समझौतों के बिना कोई भी देश अपने लिए एजेंडा नहीं तय कर सकता है।” यहाँ मिसरी ने सीधे-सीधे चीन के BRI प्रोजेक्ट पर उंगली उठाई जो अवैध रूप से भारत के POK क्षेत्र से होकर गुजरता है, और जिसके लिए चीन ने भारत के साथ कोई चर्चा नहीं की है।

विक्रम मिस्री आगे कहते हैं “वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति कायम रखने के लिए नेताओं के बीच बनी आम सहमति के महत्व को छिपाया नहीं जा सकता। जनमत पर काफी असर डालने वाली गंभीर घटनाओं से प्रभावित द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने के लिए पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की पूर्ण वापसी होनी चाहिए।’’ विक्रम मिस्री का इशारा यहाँ PM मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच हुई Informal Talks पर था जहां दोनों देशों ने साफ तौर पर बॉर्डर विवाद को सुलझाने पर आम सहमति जताई थी। हालांकि, चीन ने पिछले वर्ष भारत के भरोसे को तोड़ दिया था, जिसके परिणाम में पैदा हुआ गतिरोध अब तक खत्म नहीं हो पाया है।

अच्छे रिश्ते के संबंध में दोनों देशों के नेताओं के बीच आम सहमति के बारे में उन्होंने कहा, “चीन में दोस्तों द्वारा अक्सर इसका जिक्र किया गया है कि हमें अपने नेताओं के बीच बनी आम सहमति पर कायम रहना चाहिए। मेरा उससे कोई विवाद नहीं है।”

भारतीय राजदूत ने कहा, “वास्तव में, मैं पूरे दिल से सहमत हूं। साथ ही, मुझे यह रेखांकित करना चाहिए कि अतीत में भी हमारे नेताओं के बीच समान रूप से महत्वपूर्ण सहमति बनी है, उदाहरण के लिए, मैंने शांति कायम रखने के महत्व पर बनी आम सहमति का संदर्भ दिया है, और साथ ही उस सहमति पर कायम रहना भी महत्वपूर्ण है।”

विक्रम मिस्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन ने कुछ विवादित इलाकों से पीछे हटने से साफ इंकार कर दिया है। पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा तथा डेपसांग इलाकों से सैनिकों की वापसी के लिए नौ अप्रैल को 11वें दौर की वार्ता की थी, जहां चीन ने भारत को संदेश दिया था कि अब भारत को चीन से और अधिक उम्मीद नहीं करनी चाहिए और जो मिला है, उसी में संतोष करना चाहिए। इतना ही नहीं, रिपोर्ट्स ये भी हैं कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानि PLA ने पश्चिमी थिएटर कमांड के अंतर्गत 17 हजार फीट की ऊंचाई पर अडवांस रॉकेट लांचर के साथ तोपों की ब्रिगेड तैनात की है, ताकि बॉर्डर वार्ता में भारत पर दबाव बनाया जा सके। उसके बाद ही अब मिसरी ने चीन को सधे शब्दों में चेताया है।

मिस्री ही नहीं, हाल ही में भारत के सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने भी चीन को चेतावनी जारी की है। नरवणे ने कहा कि मतभेदों को आपसी समझ और बातचीत से निपटाए जाने की जरूरत है, न कि एकतरफा कार्रवाई से!

चीन में खड़े होकर चीनी सरकार को ललकार कर विक्रम मिस्री ने कड़ा संदेश दिया है कि भारत किसी भी कीमत में बॉर्डर विवाद पर अपने कदम पीछे नहीं खींचेगा! भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री का यह रुख बेहद प्रशंसनीय है और इसकी जितनी तारीफ की जाये, उतनी कम है।

Exit mobile version