महाराष्ट्र की शिवसेना-NCP-कांग्रेस सरकार देश की Economy को तगड़ा नुकसान पहुंचा रही है

इनका किया पूरे देश को भुगतना पड़ रहा है

अर्थव्यवस्था

महाराष्ट्र सरकार की असफलता के कारण देश फिर से उन्हीं परिस्थितियों की ओर बढ़ रहा है, जैसी परिस्थितियां पिछले साल बनी हुई थीं। अगर महाराष्ट्र में कोरोना जल्दी ही नियंत्रण में नहीं आया, तो पूरे देश को भयंकर आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। दुनियाभर की एजेंसियां भारत के आर्थिक विकास को लेकर जो अनुमान लगा रही हैं, उन्हें उद्धव सरकार की मूर्खता के कारण बड़ा झटका लग सकता है।

जहाँ देश के अन्य राज्य, युद्धस्तर पर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। वहीं महाराष्ट्र इस मामले में सबसे असफल राज्य रहा है। महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के फैलाव के बाद से अब तक संक्रमण नियंत्रण में नहीं आ सका है। नतीजा यह हुआ है कि आज देशभर के कुल मामलों में 60 प्रतिशत मामले अकेले महाराष्ट्र से सामने आ रहे हैं। इसके कारण उद्धव सरकार को महाराष्ट्र में रात के समय और सप्ताह के अंत में पूरी तरह से बंदी लगाने का आदेश देना पड़ा है और कार्य दिवस में भी सीमित गतिविधियों की ही अनुमति दी गई है।

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पुनर्जीवित हो रही आर्थिक गतिविधियों पर इसका विपरीत असर हुआ है। महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले से देश की अर्थव्यवस्था को 40 हजार करोड़ रूपये का नुकसान होगा। CARE RATINGS के अनुसार इसके कारण भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट में 0.32 प्रतिशत की गिरावट आएगी। एक सप्ताह पहले जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 11-11.2 था, जिसे घटाकर अब 10.7-10.9 कर दिया गया है।

लॉकडाउन के कारण पहले ही देश भर में टूरिस्म सेक्टर को बहुत नुकसान हो चुका है। इसके बाद धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियां होने से टूरिस्म को पुनः बढ़ावा मिलना शुरू हुआ था, लेकिन महाराष्ट्र में यह सेक्टर पुनः नुकसान की ओर बढ़ने लगा है। महाराष्ट्र सरकार के फैसले के कारण इस क्षेत्र को 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। नुकसान झेलने वाला लोगों को यह एकमात्र सेक्टर नहीं है, बल्कि पूरा सर्विस सेक्टर और इंडस्ट्री सेक्टर इससे प्रभावित हुआ है।

महाराष्ट्र में लोगों की आवाजाही सीमित कर दी गई है, जिसकी वजह से उपभोग स्तर में भी कमी आयी है। इसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं कि जब कम लोग घर से बाहर निकलेंगे तो इसका असर चाय की दुकानों से लेकर ऑटो रिक्शा तक सब जगह दिखाई देगा। इसके साथ ही होटल, रेस्टोरेंटस पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।

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 स्वयं महाराष्ट्र सरकार का अनुमान है कि उसे इस वर्ष भी नकारात्मक जीडीपी ग्रोथ रेट देखनी पड़ेगी। महाराष्ट्र विधानसभा में प्रस्तुत राज्य के इकोनोमिक सर्वे के अनुसार, राज्य की जीडीपी ग्रोथ -8 प्रतिशत रहने वाली है। इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर में क्रमशः 11.3 और 9 प्रतिशत की नकारात्मक ग्रोथ रेट देखने को मिलेगी। ईश्वरीय कृपा से इस वर्ष मानसून अच्छा रहेगा, इस कारण कृषि सेक्टर की ग्रोथ रेट 11.7 प्रतिशत सकारात्मक रहेगी अन्यथा महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था और भी गर्त में चली जाती।

कड़े नियमों को देखते हुए यह तर्क दिया जा सकता है कि महाराष्ट्र सरकार लोगों की जान बचाने को अपनी प्राथमिकता बना रही है, लेकिन फिर यह प्रश्न भी उठना चाहिए कि लोगों की जान खतरे में आई किसकी गलती से ?। ऐसा क्यों हुआ कि देश के अन्य राज्यों में कोरोना नियंत्रण में आ गया, लेकिन महाराष्ट्र में इसे अब तक नियंत्रित नहीं किया जा सका। महाराष्ट्र के चिकित्सा अधिकारी भी अपनी सरकार की विफलता पर रो चुके हैं। उद्धव ठाकरे को इतने लोगों की मौत के बाद भी, अब तक यह समझ नहीं आया  है कि ‘इस स्थिति से कैसे निपटा जाए ?’

उद्धव सरकार का जितना ध्यान अपने खिलाफ बोलने और लिखने वालों पर कार्रवाई करने में रहा है, उसका आधा ध्यान भी यदि कोरोना नियंत्रित करने पर रहता, तो आज यह स्थिति न होती। शिवसेना और उसके सहयोगी महाराष्ट्र को ऐसे चला रहे हैं, जैसे जिनपिंग चीन को चलाता है। उनकी जवाब देही शून्य है और तानाशाही चरम पर है। राज्य के गृहमंत्री पर वसूली का आरोप लग रहा है, शिवसेना के सांसद महिला सांसद को एसिड अटैक की धमकी दे रहे हैं, हाई प्रोफाइल केस के मुख्य गवाह मारे जा रहे हैं, ऐसे में सरकार को आम आदमी की चिंता होगी, यह कल्पना से परेय है। महाराष्ट्र सरकार केवल महाराष्ट्र के लिए ही नहीं पूरे भारत के लिए श्राप बन गई है।

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