क्या नीतीश डाटा से हेर-फेर कर बिहार में कोरोना की वास्तविक स्थिति छुपा रहे हैं?

नीतीश

(Pc-PTI)

बिहार में एक अजीब प्रकरण सामने आया है जहां एक जीवित व्यक्ति को सरकारी अस्पताल ने अस्पताल ने मृत घोषित कर दिया। 40 वर्षीय चुन्नू कुमार को पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ब्रेन हैमरेज की बिमारी के कारण 3 अप्रैल को भर्ती करवाया गया था। रविवार को हॉस्पिटल ने उन्हें Covid की बीमारी के कारण मृत घोषित कर दिया। हॉस्पिटल प्रशासन ने उनकी डेडबॉडी भी उनके परिजनों को सौंप दी, और डेथ सर्टिफिकेट भी दे दिया।

अंतिम संस्कार के समय जब चुन्नू कुमार के परिजनों ने जिद कर उनका चेहरा देखा तो पता चला की मृतक व्यक्ति चुन्नू कुमार न होकर कोई और व्यक्ति है। हॉस्पिटल आने पर पता चला की चुन्नू कुमार अभी भी वहीं भर्ती हैं। अब हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि वह मामले में उचित कार्रवाई करेगा और दोषियों को सजा भी दिलवाएगा।

चुन्नू कुमार की पत्नी का कहना है कि उनके पूरे परिवार का कोरोना टेस्ट हो चुका है और सभी लोग नेगेटिव आए थे। उन्होंने बताया कि उनके पति का पैर टूटा हुआ है ऐसे में वह कहीं आ जा भी नहीं सकते, तो उन्हें कोरोना कैसे हो सकता है। हालांकि, बिहार की चिकित्सा व्यवस्था के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं। सुशासन बाबू के राज में चिकित्सा व्यवस्था का जो हाल है, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि चिकित्सा अधिकारी घर बैठे आदमी को भी कोरोना मरीज घोषित कर सकते हैं, वो भी बिना जाँच के, चुन्नू कुमार तो फिर भी अस्पताल में भर्ती थे।

बिहार कोरोना से सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्यों में से एक है। पिछले वर्ष जब लाखों मजदूर गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से पैदल ही अपने घरों को लौटने लगे थे, तो एक अनुमान के मुताबिक करीब बीस लाख मजदूर बिहार वापस आए थे। इनमें से कितने मजदूरों की कोरोना जाँच हुई, कितने पॉजिटिव आए, किस किस शहर में कितने मजदूर पहुंचे इसकी कोई जानकारी बिहार सरकार के पास नहीं है।

हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस ने बिहार में कोरोना की आड़ में हो रही धांधलियों को लेकर एक रिपोर्ट छापी थी। रिपोर्ट के मुताबिक जमुई जिले में तीन दिनों में कुल 588 लोगों की जांच में गड़बड़ी की गई थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के जमुई, शेखपुरा और पटना में जब ग्राउंड लेवल पर कोरोना टेस्ट और उसके आंकड़ों की जांच की गई तो पाया कि 588 लोगों का जो टेस्ट किया गया था उसमें नियमों की अनदेखी की गयी थी और डेली टारगेट को पूरा करने के लिए आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ की गयी थी।

उन तीन दिनों में किए गए परीक्षणों के आधिकारिक रिकॉर्ड से जांच के कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष पर भी नजर डाल लेते हैं जिसे इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है।

जमुई के बरहट में 230 लोग कोरोना नेगेटिव पाये गये जबकि इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी जाँच में पाया कि असल में 230 लोगों में से केवल 12 लोग ही कोरोना नेगेटिव पाए गए थे। यही हाल जमुई सदर का है, जहां दिये गये डाटा के अनुसार 150 प्रविष्टियों में से केवल 65 को ही सत्यापित किया जा सका।

धांधली का यह हाल है कि जांच अधिकारियों ने एक ही फ़ोन नंबर वाले 26 लोगों का RTPCR टेस्ट करवा दिया है। मतलब कि टेस्ट करवाने वाले 26 लोग एक ही फ़ोन नंबर इस्तेमाल करते हैं। मजेदार यह है कि यह नंबर भी किसी बैजू नाम के आदमी का है, जो जमुई का है ही नहीं बल्कि, जमुई से भी 100 किलोमीटर दूर बांका का है।

शेखपुर में सोनाली कुमारी और अजित कुमार नाम के दो लोगों का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया है, इनका फ़ोन नंबर एक ही है, और फ़ोन मिलाने पर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की मिठाई की दुकान पर बात की जा सकती है। ऐसा जादुई कारनामा केवल बिहार के सुशासन बाबू, नीतीश कुमार के राज में संभव है।

यह केवल एक जिले की तीन दिन की रिपोर्ट है, बिहार के हर जिले में यही खेल चल रहा है। सरकारी आंकड़ों में जिन टेस्टिंग किट के नाम लिखें हैं, जांच करने पर पता चला कि वह आज तक इस्तेमाल ही नहीं हुई हैं। बिहार सरकार कोरोना महामारी को संभालने में नाकामयाब रही है, ऐसे में वह कोरोना के ग्राफ को कम करने के लिए फर्जी आंकड़ों का इस्तेमाल कर रही है। इस मामले ने विपक्ष को हमलावर होने का मौक़ा दे दिया है। RJD सांसद मनोज झा ने सांसद में यह सवाल उठाया भी था कि बिहार में टेस्टिंग की संख्या जादुई तरीके से अचानक कैसे बढ़ गई।

नीतीश बिहार के लिए एक बोझ हैं, सबसे बुरा है कि भाजपा इस बोझ को अपने कंधे पर ढो रही है। बिहार चुनाव में नीतीश की वापसी में सबसे बड़ा कारण पीएम मोदी फैक्टर था, मोदी और भाजपा की छवि सुशासन और विकासवादी सरकार चलाने की रही है। किन्तु नीतीश इस छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब भी समय है भाजपा नेतृत्व नीतीश कुमार को समझाए कि वह बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ें और राजयसभा की सदस्यता लेकर NDA का मार्गदर्शन करें, सरकार चलाना उनके बस की बात नहीं रह गई है।

 

Exit mobile version