क्या केंद्र से पैसा लेने के लिए उद्धव ठाकरे जानबूझकर महाराष्ट्र को कोरोना की लड़ाई में झोंक रहे हैं?

अगर ऐसा है तो ये महाराष्ट्र की जनता के लिए चिंता की बात है!

उद्धव

PC : TOI

महाराष्ट्र सरकार कोरोना संक्रमण को नियंत्रण करने में पूरी तरह से विफल साबित हो रही है। अगर हम कोरोना महामारी पर शुरू से ध्यान दें तो आप देखेंगे कि महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना के मामले कभी कम नहीं हुए थे। जब देश में कोरोना संक्रमण का ग्राफ नीचे गिरा था, तब भी महाराष्ट्र में संक्रमण तेजी से फैल रहा था।

महाराष्ट्र सरकार की इस विफलता का एक कारण अभी सामने आया है। हाल में ही मिड-डे अखबार द्वारा किये गये स्टिंग ऑपरेशन से यह बात सामने आई है कि, अगर मुंबई में किसी को क्वारंटीन में रहने से बचना है तो होटल मालिकों और BMC अधिकारियों को पैसा खिलाकर कोई भी क्वारंटीन में रहने से बच सकता है।

बता दें कि, अखबार मिड-डे ने BMC कर्मचारियों और विदेश से आ रहे यात्रियों का स्टिंग ऑपरेशन किया। स्टिंग ऑपरेशन में यह पता चला कि अगर कोई विदेशी भारत आ रहा है और वह क्वारंटीन में नहीं रहना चाहता है तो, वह BMC के कर्मचारियों और होटल मालिकों के साथ मिलकर क्वारंटीन होने से बच सकता है। क्वारंटीन से बचने के लिए उस व्यक्ति को 10 से 12 हजार रुपये तक की घूस देनी पड़ सकती है।

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स्टिंग ऑपरेशन से एक बात तो साफ हो रही है कि उद्धव सरकार कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर बिल्कुल भी सीरियस नहीं है। महाराष्ट्र की कानून व्यवस्था अभी अपने सबसे निचले स्तर पर है। कोरोना के इतने ज्यादा मामले आने के बावजूद वहाँ के लोगों पर किसी भी प्रकार का अंकुश नहीं है।

हाल में ही ट्विटर पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें मुंबई के जुहू बीच पर हजारों लोग बिना मास्क लगाए, सोशल डिस्टेंसिंग को नकारते हुए एक दूसरे के करीब बैठ कर समुद्र का लुत्फ उठा रहे थे।

https://twitter.com/Pbndtv/status/1378732758801862656?s=19

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में प्रतिदिन 50 हजार से अधिक कोरोना मामले सामने आ रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है। साथ ही अब महाराष्ट्र सरकार अपनी विफलता को छुपाने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराएगी। अगर हम बीते साल की बात करें तो उद्धव सरकार ने केंद्र सरकार से पैसे लेकर उनका इस्तेमाल कोरोना संक्रमण रोकने में किया होता तो आज महाराष्ट्र की स्थिति इतनी खराब नहीं होती।

अगर महाराष्ट्र सरकार इस बार भी कोरोना के नाम केंद्र सरकार से पैसे मांगकर कहीं और इस्तेमाल करती है तो, इसमें किसी को कोई आश्चर्च नहीं करना चाहिए। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुनियादी ढांचा कमजोर होने के बावजूद दोनों राज्य कोरोना संक्रमण रोकने में काफी हद तक सफल साबित हुए हैं।

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हाल में ही केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए 11,000 करोड़ रुपये दिये थे। महाराष्ट्र में कोरोना महामारी की हालत को देखते हुए महाराष्ट्र को 1,611 करोड़ रुपये दिए गए थे। उसके बावजूद उद्धव ठाकरे सरकार ने कोई ऐसा ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे कोरोना संक्रमण को नियंत्रण में रखा जा सके। कोरोना को नियंत्रण में न रखने की वजह से अब उद्धव ठाकरे 18 साल के ऊपर के लोगों के लिए वैक्सीन की मांग कर रहे हैं।

जब पिछले साल कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, तो केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को 17,287 करोड़ रुपये दिये थे। उसमें से भी महाराष्ट्र को अच्छी खासी राशि दी गई थी। इसके अलावा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने मई 2020 में दावा किया था कि, केंद्र सरकार की ओर से महाराष्ट्र को पिछले तीन महीनों में 28,000 करोड़ रुपये कई अलग–अलग माध्यम से प्राप्त हुआ है।

कोरोना संक्रमण को लेकर महाराष्ट्र सरकार के रवैया से हम अनुमान लगा सकते हैं कि, उद्धव सरकार कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा रही है। मुंबई में अभी भी लोग बिना मास्क लगाए घूम रहे हैं और प्रशासन हाथ पर हाथ रख कर बैठा है।

 

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