“यूनिवर्सिटी में नमाज़ पढ़ना गैर-कानूनी”, इस्लामिस्टों की कमर तोड़ने के लिए फ्रेंच सीनेट ने पास किया बिल

Emmanuel Macron सरकार का कट्टरपंथियों पर एक और वार!

फ्रांस

(PC: PYMNTS)

पिछले वर्ष अक्टूबर में कट्टरपंथी मुस्लिम द्वारा फ्रेंच अध्यापक Samuel Paty की हत्या और नीस शहर में कट्टरपंथियों द्वारा तीन फ्रेंच नागरिकों की निर्मम हत्या के बाद से ही फ्रांस में राष्ट्रपति Emmanuel Macron ने Islamism के खिलाफ सख्त रुख अपनाया हुआ है। अक्टूबर में उन्होंने देश में “Separatism Law” लागू करने का ऐलान किया था, जिसके संबंध में दिसंबर महीने में एक ड्राफ्ट भी जारी किया गया था। अब फ्रेंच सीनेट ने इस बिल में कई संशोधनों को अपनी सहमति दे दी है, जिनके तहत फ्रांस में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर सार्वजनिक जगहों पर हिजाब पहनने पर रोक भी लग सकती है।

बता दें कि फ्रेंच “Separatism Law” के अंतर्गत कई कड़े प्रावधानों के तहत फ्रेंच सरकार देश के कट्टरपंथियों पर शिकंजा कसना चाहती है, जिसके लिए फ्रेंच सरकार पर मुस्लिमों के अधिकारों का हनन करने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं। ऐसे में 30 मार्च को ही फ्रांस की सीनेट ने “Separatism Law” के तहत कई प्रावधानों को अपनी मंजूरी दी थी। प्रावधानों के अनुसार:

  1. 18 वर्षों से कम उम्र के बच्चों के हिजाब पहनने पर रोक लगाई जाएगी
  2. हिजाब पहनने वाली महिलाएं स्कूल ट्रिप पर अपने बच्चों के साथ नहीं जा पाएँगी
  3. मुस्लिम महिलाओं के लिए बनाई गयी Swimsuit ड्रेस Burkini पर प्रतिबंध लगाया जाएगा

इतना ही नहीं, बुधवार को भी फ्रेंच सीनेट ने बिल में नए प्रावधानों को शामिल करते हुए फ्रांस की युनिवर्सिटियों में किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि को प्रतिबंधित करने पर सहमति जताई। अगर यह प्रावधान कानून में शामिल होता है तो इसके बाद फ्रेंच विश्वविद्यालयों में मुस्लिमों द्वारा नमाज़ पढ़ने पर रोक लगा दी जाएगी, जिसके कारण अभी से इस्लामिस्ट इस कानून का विरोध करना शुरू कर चुके हैं।

फ्रेंच सीनेट से पारित होने के बाद ये सभी प्रावधान मंजूरी के लिए “National Assembly” में जाएंगे। अगर इन प्रावधानों को National Assembly से भी मंजूरी मिल जाती है तो इस बिल पर फ्रेंच राष्ट्रपति हस्ताक्षर करेंगे जिसके बाद ये बिल कानून का रूप ले लेगा। विश्लेषकों के मुताबिक, नए प्रावधानों का National Assembly से पारित होना आसान नहीं रहने वाला क्योंकि वहाँ दक्षिणपंथी पार्टियों के पास बहुमत नहीं है।

देश की युनिवर्सिटियों में किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि को प्रतिबंधित करने के इरादे के पीछे फ्रांसीसी सरकार का विचार है कि शिक्षा को धर्म से जितना अलग किया जा सके, उतना अच्छा है। हाल ही में फ्रांस की उच्च शिक्षा मंत्री फ़्रेडरीके विडाल ने बताया था कि अब समय आ चुका है जब फ्रांस के शैक्षणिक संस्थानों में वामपंथ और इस्लाम के खतरनाक मिश्रण यानि Islamo-Leftism की भावना को जड़ से उखाड़कर फेंका जाए। उनके अनुसार, “मुझे लगता है कि वामपंथ और कट्टरपंथी इस्लाम हमारे समाज को खा जाएगा, यदि हमने सही समय पे आवश्यक कदम नहीं उठाए। हमारे शैक्षणिक संस्थान, विशेषकर हमारे विश्वविद्यालय भी इस खतरे से सुरक्षित नहीं है। मैंने हाल ही में शोधकर्ताओं द्वारा हर वस्तु को तोड़ मरोड़कर देखने की प्रवृत्ति और उनके वामपंथी विचारधारा की ओर ध्यान देते एक गहन जांच की व्यवस्था भी की है।”

फ्रांस में मुस्लिमों की आबादी करीब 57 लाख है, जो यूरोप में सबसे ज़्यादा है। हालांकि, इसके कारण कट्टरपंथियों द्वारा आतंकी घटनाओं का शिकार होने में भी फ्रांस सबसे ऊपर आता है। लोकतान्त्रिक देश फ्रांस द्वारा कट्टरपंथियों पर कसे जा रहे शिकंजे के चलते आने वाले समय में दुनिया के अन्य लोकतान्त्रिक देशों को भी ऐसे ही कदम उठाने का प्रोत्साहन मिलेगा ताकि वैश्विक आतंकवाद और Islamism की समस्या से निपटा जा सके। कट्टरवाद के खिलाफ फ्रेंच सरकार की प्रतिबद्धता सराहनीय है, जिसका दुनियाभर के देशों को पालन करना चाहिए।

Exit mobile version