कुलदीप सेंगर की पत्नी का टिकट भाजपा ने भले ही काट दिया हो पर उन्हे टिकट देना अपने आप में शर्मनाक था

इन्हीं बातों से तो पार्टी की फजीहत होती है

राजनीतिक पार्टियां कभी-कभी कुछ ऐसे फ़ैसले ले लेती हैं, जिसका नुकसान उनकी छवि को लोकल नहीं बल्कि बड़े स्तर पर भी होता है। कुछ ऐसा ही BJP के साथ भी हुआ हैं जिसने उन्नाव के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी को जिला पंचायत चुनाव के लिए टिकट देकर अपनी भद्द पिटा ली है।

इस मामले में BJP की खूब फजीहत हो रही है। ऐसे में पार्टी ने इस फैसले को वापस लेते हुए सेंगर की पत्नी की उम्मीदवारी तो रद्द कर दी है, लेकिन ये कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए, कि बीजेपी ने इस मामले में एक बड़ी गलती की है।

बीजेपी से निष्कासित हो चुके उन्नाव से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर रेप के अपराधों की सजा काट रहे हैं। सेंगर से बीजेपी का नाम जुड़ने के कारण इस केस में पहले ही BJP की काफी किरकिरी हो चुकी है। ऐसे में अब बीजेपी ने एक और बड़ी गलती कर दी है।

दरअसल 8 अप्रैल को BJP की ओर से ज़िला पंचायत चुनाव को लेकर उम्मीदवारों की सूची भी जारी की गई थी, जिसमें एक नाम संगीता सेंगर का भी था, जिन्हें वार्ड नम्बर 22 फतेहपुर चौरासी तृतीय से उम्मीदवार बनाया गया था, और बीजेपी की किरकिरी होने का सिलसिला यही से शुरू हो गया।

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बीजेपी की किरकिरी होने की बड़ी वजह ये है कि संगीता सेंगर कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी हैं। हालांकि वो एक निर्वतमान जिला पंचायत अध्यक्ष हैं, फिर भी उनकी बीजेपी से उम्मीदवारी किसी को रास नहीं आई है।

ऐसे में कुलदीप सिंह सेंगर ने जिस परिवार की पुरी दुनिया बर्बाद कर दी, उस पीड़ित परिवार के विरोध के आगे BJP को झुकना पड़ा, और पार्टी ने संगीता सेंगर की उम्मीदवारी को रद्द कर दिया है, लेकिन अपने फ़ैसले को वापस लेने के बावजूद बीजेपी की इस मामले में भद्द पिटना तय है।

कुलदीप सिंह सेंगर उन्नाव और पूरे उत्तर प्रदेश में है BJP के लिए मुसीबत का पर्याय बन गया था। रेप के बाद पीड़िता के परिवार को प्रताड़ित करना और फिर पीड़िता Fके पिता की मौत होना दिखाता है कि ये शख्स अपने रसूख के दम पर कैसे खुद को बचाने की कोशिश कर रहा था।

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ऐसे में इस विधायक के खिलाफ केस दर्ज करने तक में पीड़ितों को साल भर लगा था, जिससे BJP की राष्ट्रीय स्तर पर फजीहत हुई थी। भले ही उस वक्त पार्टी ने सेंगर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था लेकिन अब उसकी पार्टी ने पत्नी को टिकट देने का मुद्दा लाइमलाइट में आना बीजेपी के लिए मुसीबत बन सकता है।

इसकी बड़ी वजह ये भी है कि बीजेपी लगातार महिलाओं को सशक्त करने के मुद्दे पर बात करती रही है लेकिन उसी BJP ने सेंगर की पत्नी को टिकट देकर निकाय चुनाव के पहले अपने लिए मुसीबत मोल ले ली है जो कि उसे भारी पड़ सकती है।

कुलदीप की पत्नी की जिला पंचायत उम्मीदवारी भले ही बीजेपी ने रद्द कर दी है लेकिन पार्टी ने इस मामले में ढुलमुल रवैया अपनाकर एक बार फिर इस कुलदीप सिंह के केस को चर्चा में ला दिया है जो कि पार्टी के लिए चुनाव में खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारने वला सिद्ध हो सकता है।

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