यूरोपियन यूनियन, अमेरिका, UK और कनाडा ने पिछले दिनों शिंजियांग में उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों के लिए चीन पर प्रतिबंधों का ऐलान किया था। कुल मिलाकर जी7 के लगभग सभी देशों ने एक मिला-जुला कदम उठाते हुए चीन के अधिकारियों को दंडित करने का काम किया था। हालांकि, जी7 समूह में जापान ऐसा अकेला सदस्य था जिसने अमेरिका के कहने पर चीन के खिलाफ प्रतिबंधों का ऐलान नहीं किया था।
तो इसका क्या अर्थ है? क्या जापान ने शिंजियांग में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए चीन को माफ़ कर दिया है? चीन ऐसा सोच सकता है, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। जापान बेशक चीन को इसके लिए दंडित करना चाहता है, लेकिन जापान इसके लिए जी7 का रास्ता चुनकर Quad को कम प्रभावशाली बनने नहीं देखना चाहता। पश्चिम देशों से अलग हटकर जापान खुद की Indo-Pacific नीति को आगे बढ़ाना चाहता है।
शिंजियांग मुद्दे पर जापान अपनी तरफ से चीन के खिलाफ एक्शन लेने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। हाल ही में जापान के “King of Ketchup” Kagome ने शिंजियांग से टमाटर आयात नहीं करने का फैसला लिया। यह पहली बार था जब जापान की किसी कंपनी ने मानवाधिकार के मुद्दे पर किसी चीनी कंपनी को प्रतिबंधित किया हो! चीन के अंदर जापान के इस कदम को अमेरिका के लिए बड़े उपहार के रूप में देखा गया था।
Kagome के इस कदम के बाद इतना तो स्पष्ट हो गया कि जापान के लिए शिंजियांग मुद्दा खत्म नहीं हुआ है, बल्कि वह भी इस मुद्दे पर चीन की जवाबदेही तय करने का इच्छुक है। हालांकि, इसके साथ ही जापान शिंजियांग को यह संदेश देना चाहता है कि शिंजियांग मुद्दे पर वह अमेरिका के साथ सहयोग नहीं करना चाहता।
ऐसा इसलिए क्योंकि बाइडन के आने के बाद अमेरिका ने अपनी चीन नीति में व्यापक बदलाव किए हैं। जापान चाहता है कि बाइडन ट्रम्प की Indo-Pacific नीति को ही आगे बढ़ाएँ और चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए सिर्फ और सिर्फ Quad का ही सहारा लें! ट्रम्प के समय अमेरिका ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के साथ मिलकर चीन के खिलाफ एक साझा रणनीतिक और आर्थिक नीति पर काम कर रहा था। बाइडन के आने के बाद सब बदल चुका है।
डॉनल्ड ट्रम्प जी7 या NATO को छोड़, Quad को ज़्यादा तवज्जो देना चाहते थे, क्योंकि वे अमेरिका की Open and Free Indo-Pacific नीति को लेकर आगे बढ़ रहे थे। ऐसा इसलिए भी क्योंकि चीनी आक्रामकता के कारण सबसे ज़्यादा प्रभाव जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों पर ही पड़ रहा है। ऐसे में ये सभी देश ज़्यादा प्रभावी तरीके से चीन के खिलाफ कोई एक्शन ले सकते हैं। दूसरी ओर, अधिकतर पश्चिमी देशों को दुनिया के इस हिस्से में जारी चीनी उग्रवाद से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है।
हालांकि, बाइडन आज भी पश्चिम को ही पूरी दुनिया का ठेकेदार समझते हैं। बाइडन को लगता है कि सिर्फ पश्चिम के लोकतान्त्रिक देश ही दुनिया में मानवाधिकारों की रक्षा करने में समर्थ हैं। बाइडन सत्ता में आने से पहले जिस प्रकार अमेरिका के नेतृत्व को पुनःस्थापित करने के दावे करते थे, वे पूरी तरह खोखले साबित हुए हैं। उनके आने के बाद एक के बाद एक अमेरिकी साथियों ने USA का साथ छोड़ा है, फिर चाहे वे यूरोप के देश हों, या फिर Quad के, और ऐसा करने के लिए अमेरिका ने ही इन सब देशों को बाध्य भी किया है।
जापान जी7 का भी सदस्य है और Quad का भी, लेकिन जापान चीन के खिलाफ कोई भी कदम उठाने में Quad का रास्ता चुनना चाहता है, क्योंकि वर्ष 2012 में Quad को खुद शिंजों आबे के नेतृत्व वाले जापान ने ही स्थापित किया था। बाइडन अब शिंजों आबे की विरासत को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं, लेकिन जापान ऐसा होने नहीं देगा!