कॉमन-सेंस? वो क्या होती है? The Print की पत्रकार ज्योति मल्होत्रा का इससे कोई संबंध नहीं है

ज्योति मल्होत्रा

PC: Times of Islamabad

अज्ञात सूत्रों के आधार पर अपना एजेंडा आगे बढ़ाने वाले देश के बुद्धिजीवी पत्रकार समय-समय पर अपनी संकीर्ण मानसिकता का परिचय देते रहते हैं। अपने लंबे-लंबे लेखों और सेमीनारों में भाषणों के माध्यम से ये लोग अपनी अज्ञानता को दूसरों पर थोपने का प्रयास करते हैं और हाल ही में कुछ ऐसा ही करने की कोशिश की The Print की पत्रकार ज्योति मल्होत्रा ने! हालांकि, सोशल मीडिया में अब उनका मज़ाक बनाया जा रहा है।

Twitter Bio के अनुसार हमेशा “कारण जानने की इच्छुक” रहने वाली The Print की पत्रकार ने एक ट्वीट के “reply” सेक्शन में खुद को एक्सपोज किया। पायल मेहता नामक यूजर ने एक ट्वीट पोस्ट किया था जिसमें भारत द्वारा कोविड-विरोधी ड्रग Remdesivir के उत्पादन को बढ़ाने की जानकारी दी गयी थी। इसके लिए पायल मेहता ने अपने ट्वीट में PIB के लिंक को भी पोस्ट किया था, और साथ ही मंत्री मनसुख मांडविया को टैग भी किया था। PIB की प्रेस विज्ञप्ति में भी इस बात की जानकारी भी शामिल थी कि भारत ने 11 अप्रैल से ही Remdesivir के export पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।

ऐसे में इस ट्वीट के रिप्लाइ सेक्शन में अपनी भद्द पिटवाने आती हैं The Print की पत्रकार ज्योति मल्होत्रा! वे कहती हैं “कोविड-विरोधी ड्रग Remdesivir के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध का शिपिंग मंत्रालय से क्या संबंध है? स्वास्थ्य मंत्रालय क्या कर रहा है?”

इस ट्वीट के बाद पायल मेहता उन्हें जवाब देती हैं “ज्योति मल्होत्रा! मनसुख मांडविया देश के केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्री भी है।”

ज्योति यहीं पर नहीं रुकती। आगे वे कहती हैं- “ओह अच्छा, तो अब Remdesivir केमिकल और फर्टिलाइजर बन गयी? कोई और तर्क लेकर आओ।”

यहाँ पायल एक बार फिर ज्योति मल्होत्रा के ज्ञान को एक्सपोज करती हैं। वे उन्हें reply देती हैं “ये दवाई है जो फार्मा डिपार्टमेन्ट के अंतर्गत आती है। फार्मा डिपार्टमेन्ट केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्रालय के अंतर्गत ही आता है।”

बाद में मुंह की खाकर ज्योति मल्होत्रा एक ट्वीट करती है, “विस्तार से बताने के लिए धन्यवाद! मैं सीखती हूँ और आगे बढ़ती हूँ।”

लेकिन ठहरिए! PIB की विज्ञप्ति पर टिप्पणी करने से पहले अगर ज्योति मल्होत्रा उसकी पहली लाइन को ही पढ़ लेती तो शायद उन्हें सबके सामने अपनी भद्द ना पिटवानी पड़ती! उसमें साफ-साफ लिखा है कि मनसुख मांडविया देश के केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्री हैं और वे ड्रग उत्पादकों के साथ बैठक कर रहे हैं, जिससे स्पष्ट है कि फार्मा डिपार्टमेन्ट उनके अंतर्गत ही आता है। खैर! एक बुद्धिजीवी पत्रकार से हम ऐसी गलतियों की आशा तो कर ही सकते हैं! वो भी तब जब उस पत्रकार का संबंध The Print जैसे संस्थान से हो, जिसके संस्थापक शेखर गुप्ता को वर्ष 2012 की कुख्यात “तख्तापलट” की खबर के लिए “शेखर कुप्ता” कहकर पुकारा जाता है।

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