दिल्ली में गरीबों के घरों में सुधार के लिए बनाए गए बोर्ड के जरिए 207 करोड़ का घोटाला किया गया है। दिल्ली में स्लम और छोटी बस्तियों में रहने वालों के जीवनस्तर और सार्वजनिक सुविधाओं में सुधार के लिए गठित ‘दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड’ या जिसे ‘दिल्ली शेल्टर बोर्ड’ के नाम से भी जानते हैं, केजरीवाल सरकार के अधीन काम करने वाली संस्था है।
सीबीआई ने सोमवार को दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) में 207 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा किया है। सीबीआई के अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि DUSIB की तरफ से इतनी बड़ी रकम बैंक ऑफ बड़ौदा में एक नकली खाते में स्थानांतरित की है।
सीबीआई ने 13 अप्रैल को दिल्ली शेल्टर बोर्ड के कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान बोर्ड के खातों की जांच करने पर यह घोटाला सामने आया है। जांच में सामने आया कि DUSIB ने अपने धन अतिरेक को फिक्स डिपॉजिट के जरिये अलग-अलग खातों में हस्तांतरित किया है।
सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि DUSIB अपने सभी खाते सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में रखता है जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा में खोला गया यह खाता डूसिब को एक निजी कंपनी दिखाते हुए अक्टूबर 2020 में खोला गया था।
इसके अलावा कई दूसरे दस्तावेजों से पता चला है कि 6.01 करोड़ रूपये की बस तीन सावधि जमा बोर्ड के नाम से जारी की गयी जबकि 207 करोड़ रूपये की 109 सावधि जमा फर्जी ‘‘प्रतिभूतियां’’ हैं और धन की हेराफेरी की गयी है। अर्थात, फिक्स डिपाॅजिट के नाम पर हस्तांतरित कुल धनराशि में से केवल 6 करोड़ की धनराशि ही सही में भेजी गई हैं, जबकि नकली जमा दिखाकर लगभग 207 करोड़ का घोटाला किया गया है।
DUSIB के लेनदेन की जांच करने पर पता चला है कि 1 सितंबर 2020 से लेकर 31 मार्च 2021 के बीच बैंक ऑफ बड़ौदा की पटपड़गंज शाखा में 214 करोड़ रुपये की 112 फिक्स्ड डिपॉजिट खोले गए थे। इन फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए DUSIB ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से राशि ली है। इस काम के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल हुआ है। एफडी संबंधी रसीद प्रतिभूति कागजों पर नहीं बल्कि बस ए-4 कागजों पर छापी गई थी ।
CBI के प्रवक्ता आर सी जोशी ने कहा है कि “आरोप के अनुसार वर्ष 2020-21 में DUSIB ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, विकास कुटीर, नई दिल्ली के अपने पांच अलग-अलग खातों से बैंक ऑफ बड़ोदा के पहाड़गंज ब्रांच को FDR निवेश के रूप में धन हस्तानांतरित किया लेकिन DUSIB और बैंक ऑफ बड़ोदा के अज्ञात अधिकारियों ने 207 करोड़ की धनराशि के घपले के लिए ऐसा किया है।
केजरीवाल जब से राजनीति में आए हैं उन्होंने स्लम एरिया के वोटबैंक को साधने के लिए भरसक कोशिश की है। केजरीवाल ने झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले लोगों को पक्के फ्लैट आवंटित कराने को अपनी सरकार का प्रमुख ध्येय बना रखा है। ऐसे में यह घोटाला उनकी राजनीति के लिए एक बड़ा झटका है।
दिल्ली सरकार पहले ही कोविड को रोकने में असफल होने के कारण आलोचना झेल रही है और अब यह घोटाला सामने आया है। केजरीवाल स्वयं को कथित तौर पर भ्रष्टाचार विरोधी राजनीति से जोड़ते हैं, ऐसे में उनके अधीन काम करने वाले बोर्ड में घोटाला होना, उनकी छवि को और भी धूमिल कर सकता है।