प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 2020 में आत्मनिर्भर अभियान को हरी झंडी दिखाई थी।आत्मनिर्भर अभियान का लक्ष्य है कि जरूरत की सारी चीजें भारत में निर्मित की जाए, ताकि भारत को किसी और देश के ऊपर निर्भर ना होना पड़े। बता दें कि, हाल ही में अमेरिका ने वैक्सीन बनाने वाले कच्चे माल के एक्सपोर्ट के ऊपर रोक लगा दी है।
इसके जवाब में भारत रुका नहीं, और वैक्सीन बनाने वाले कच्चे माल का उत्पादन भारत में ही करने का संकल्प ले लिया। दरअसल बात यह है कि कुछ दिनों पहले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आग्रह किया था कि, वैक्सीन बनाने वाले कच्चा माल के एक्सपोर्ट से बैन हटा दे। जवाब में, अमेरिका ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। बता दें कि, भारत बायोटेक ने COVAXIN बनाने के लिए कच्चा माल का इंतेजाम भारत से ही किया था और उम्मीद है कि, SII भी COVISHIELD बनाने के लिए अमेरिका के ऊपर निर्भर ना होकर, आत्मनिर्भर बनेगा।
आपको बता दें कि, COVISHIELD वैक्सीन बनाने के प्रयोग में आने वाला कच्चा माल जैसे HEK gm; excipients L-His, L-His-OH.HCl.H2O, MgCl2.6H2O, polysorbate 80, C2H5OH, sucrose, NaCl, dsEDTA – भारत में भरपूर मात्रा में मौजूद है।
भारत बायोटेक ने अपना बयान जारी कर कहा था कि, “यह पहला उदाहरण है जहां भारत में novel adjuvant को मार्केट में उतारा गया है, और वो भी आयात पर निर्भरता को खत्म करते हुए। इसके अलावा, के तकनीकी हस्तांतरण प्रक्रिया अच्छी तरह से चल रही है और आईआईएल के पास जैव सुरक्षा नियंत्रण के तहत निष्क्रिय वायरल टीकों के निर्माण की क्षमता और विशेषज्ञता है।”
भारत बायोटेक ने आत्मनिर्भर होकर सालाना 70 करोड़ वैक्सीन बनाने का संकल्प लिया है। यह विश्व स्तर पर निष्क्रिय वायरल टीकों के लिए सबसे बड़ी उत्पादन क्षमताओं में से एक है। कोरोना वायरस आपदा में जब भारत ने अमेरिका से एक्सपोर्ट बैन हटाने का आग्रह किया था उसके बाद अमेरिका का स्वार्थी चेहरा देख कर भारत दंग रह गया क्योंकि पिछले वर्ष जब अमेरिका को HCQ की जरूरत पड़ी थी, तब भारत ने बिना कुछ सोचे अमेरिका को HCQ मुहैया कराई थी। आज जब भारत मुश्किल दौर से गुजर रहा तब अमेरिका ने सामने से मदद करने से मना कर दिया है।
भारत को बुनियादी जरूरतों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान को राष्ट्रीय एजेंडा बनाना चाहिए क्योंकि इस एजेंडे के माध्यम से ही भारत आने वाले समय में पूरी तरह से अपने पैरों पर खड़ा हो सकेगा।