राजस्थान में भीषण हिन्दू विरोधी दंगे हुए हैं लेकिन भैंसा दंगों की भांति Mainstream मीडिया इसपे भी मौन है

राजस्थान

(PC: Bhaskar)

हमारे देश की मीडिया भी गजब है। दंगों में भी उनकी सबसे पहली प्राथमिकता यही होगी कि पीड़ित किस धर्म के ज्यादा हैं। यदि वह उनके प्रिय धर्म से होंगे तो वे तब तक हाय तौबा मचाएंगे जब तक अपराधी या तो जेल की सलाखों के पीछे हो या फिर फांसी पर लटकता मिले। लेकिन यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे उसे वैसे ही छुपाने की कोशिश करेंगे जैसे तेलंगाना और हाल ही में राजस्थान में उन्होंने किया।

ज़ी राजस्थान और दैनिक भास्कर की रिपोर्ट्स के अनुसार राजस्थान के बारन जिले के छबड़ा क्षेत्र में हाल ही में भीषण दंगे हुए थे, जहां हिंदुओं की संपत्ति को निशाना बनाया गया। कई दुकानदारों के लाखों के माल राख हो गए। बाइक, बस, कार- जो दिखा सब जला डाला गया।

लेकिन ये सब हुआ कैसे? आखिर किस वजह से दंगे भड़के? कहा जा रहा है कि एक आपसी झड़प में एक हिन्दू व्यक्ति पर कुछ मुसलमानों ने घातक हमला किया, जिसमें उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई। इसके बाद जब विरोध प्रदर्शन हुआ, तो उसे कुचलने के लिए देर रात कट्टरपंथी मुसलमानों की हिंसक भीड़ ने धावा बोल दिया।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, “एक तीन मंजिला मिनी मार्ट को भी आग के हवाले कर दिया गया। उस मार्ट के मालिक संदीप लुहाड़िया ने बताया कि 500 से 50,000 रुपए की कीमत वाले 600-700 मोबाइल फोन लूट लिए गए। उन्होंने बताया कि उन्हें लगातार इस वारदात को लेकर फोन आ रहा था, लेकिन वो घटनास्थल पर पहुँचे भी तो दूर से अपने कारोबार की बर्बादी का मंजर देखते रहे। मात्र 15-20 मिनट में उन्हें 35 लाख रुपए का नुकसान हो गया”।

इसी रिपोर्ट में आगे बताया गया, “ये सब कुछ रविवार (अप्रैल 11, 2021) को शुरू हुआ था। हिन्दुओं की दुकानों को निशाना बनाया गया। पुलिस ने आँसू गैस के गोले दागे तो पुलिस को ही दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। पुलिस अधिकारियों के पास जवाब नहीं था, इसलिए वो मीडिया से बचते रहे। कई शोरूम भी जला डाले गए”।

रिपोर्ट के अनुसार इन दंगों में सर्वाधिक नुकसान गुर्जर समाज के लोगों को हुआ है, जो बारन जिले में बहुमत में है। इसलिए वे इन दंगों और प्रशासनिक नाकामी पर बेहद क्रोधित हैं। ज़ी राजस्थान और दैनिक भास्कर की रिपोर्ट्स के अनुसार, “पुलिस अधिकारियों ने भाग कर अपनी जान बचाई, क्योंकि कुछ मुस्लिम युवक उनके पीछे पड़े हुए थे। आसपास के थानों और जिलों से पुलिस बल बुलाना पड़ा”।

भाजपा नेता विजय सिंह बैंसला और पार्टी के एक प्रमुख गुर्जर चेहरा सोमवार को छाबड़ा के ग्राउंड जीरो पर पहुंचे और इस मुद्दे पर संज्ञान लिया।

उन्होंने बताया, “कल देर रात को प्रोटोकॉल के हिसाब से पहले कवाई थाने रुक कर स्थानीय लोगों व विधायकजी श्री प्रताप सिंह सिंघवी जी से स्थिति का जायज़ा लिया तत्पश्चात करीब रात 10.30 बजे #छबड़ा में प्रवेश किया व देर रात तक कलेक्टर महोदय , SP साहब , एडिशनल साहब व अन्य अधिकारियों से विस्तृत बात हुई”।

कुछ इसी प्रकार से अभी लगभग एक महीने पहले तेलंगाना के भैंसा जिले में भी भीषण दंगे हुए थे, जिनमें हिंदुओं को निशाना बनाया गया था। तब भी राष्ट्रीय मीडिया आँखें मूँदे हुई थी और इस बार भी इतना उपद्रव होने के बावजूद कोई विशेष रिपोर्ट नहीं निकाली गई है। प्रशासनिक लापरवाही पर आक्रामक होते हुए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय का दायित्व सँभाल रहे गजेन्द्र सिंह शेखावत ने गहलोत सरकार को घेरते हुए कहा, “यह कुंभकरण की नींद में सोने वाली सरकार है जहाँ भ्रष्टाचार का दीमक तंत्र को खोखला कर रहा है और कानून-व्यवस्था की स्थिति तार-तार हो चुकी है। मुख्यमंत्री सो रहे हैं और राज्य जल रहा है। बाराँ के छाबड़ा में विचलित करते दृश्य साक्षात देखने को मिले। स्थिति चिंताजनक है। मामूली कहासुनी के बाद चाकू से हमला और फिर उस विवाद का थोड़े से समय में सांप्रदायिक हिंसा में बदल जाना राजस्थान की दुर्दशा का एक और चित्र है।”

जिस प्रकार से राजस्थान और तेलंगाना में भीषण हिन्दू विरोधी दंगे होने के कई दिनों बाद भी लोगों को सच्चाई नहीं पता चल पा रही है, उसके पीछे हमारे मेनस्ट्रीम मीडिया का दोगला स्वभाव ही प्रमुख कारण है, जो एक प्रकार की घटना पर आसमान सर पर उठा लेती है, लेकिन दूसरी प्रकार की घटना पे ऐसा मौन व्रत धारण करती है, मानो कुछ हुआ ही नहीं।

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