Irena Akbar याद है? हाँ, वही इंडियन एक्सप्रेस की पूर्व पत्रकार, जिसने मुग़लई व्यंजन नामक कल्पना के लिए मुगलों का आभार जताया था? अब वही मोहतरमा फिर से सुर्खियों में है, और इस बार कोरोना वायरस का आभार प्रकट करने के लिए।
यदि आपको लगता है कि राहुल गांधी से असंवेदनशील व्यक्ति शायद ही दुनिया में कोई होगा, तो शायद आपने Irena Akbar के ट्वीट्स नहीं देखे हैं। मोहतरमा ट्वीट करती हैं, “अगर यह कोविड के लिए नहीं होता, तो हम हिन्दुस्तानी मुसलमान डिटेन्शन कैंप में होते। मैं कोविड के प्रति ज्यादा शुक्रगुजार नहीं हूँ, क्योंकि उसने मेरी खाला [चाची] की जान ली, मेरे अब्बू को आईसीयू तक पहुंचा दिया और कई घरों को गमगीन बना दिया। मुझ इस बात की खुशी है कि जहां फासीवादी अपने प्लान बना रहे थे, अल्लाह ने अपना प्लान बनाया”।
Irena Akbar ने कोविड का कारण अपनी जान गंवा चुके हजारों भारतीयों के प्रति जैसी असंवेदनशीलता दिखाई है उसकी जितनी निंदा की जाये कम है। लेकिन ये तो कुछ भी नहीं है। आइरीना ने ट्वीट थ्रेड में आगे लिखा है, “ये कुआं और खाई में चुनने जैसा है। कोविड के डर से मरो या जियो या फिर मुस्लिम विरोधी सरकारी हिंसा के डर में जियो या मरो। पहले वाले में हमें कोई खास नुकसान नहीं होगा और अंत में जनता सरकार पर उंगली ही उठाएगी। परंतु दूसरे मामले में तो जनता खुशी से नाचेगी”।
हालांकि, इसमें हैरान होने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि आइरीना जैसी निकृष्ट सोच रखने वाले कई कट्टरपंथी मुसलमानों से पिछले वर्ष देश का अच्छा खासा परिचय है। तबलीगी जमात जैसे लेजेंडरी उदाहरण को अलग रखें, तो भी कई ऐसे कट्टरपंथी मुसलमान थे, जो कोविड के नाम पर अपने घृणित सोच का परिचय दे रहे थे। कोई इसे ‘अल्लाह की एनआरसी’ बता रहा था, तो कई लोग टिक टॉक पर कोविड से निपटने के लिए नमाज़ पढ़ने का सुझाव दे रहे थे। कुछ महानुभाव तो ऐसे भी थे जो कह रहे थे कि जब उनपर अल्लाह की कृपा है, तो उन्हें मास्क की क्या जरूरत? अब ये अलग बात है कि ऐसे ही एक महानुभाव को कुछ ही दिन बाद कोरोना हो गया था।
सच तो यह है कि Irena Akbar जैसे लोग इस बात को सिद्ध करते हैं कि कुछ लोग एक व्यक्ति से अपनी घृणा में किस हद तक नीचे गिर सकते हैं। मोदी सरकार को नीचा दिखाने की आड़ में जिस प्रकार से ये लोग कोरोना वायरस के लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा कर रहे हैं, उसके लिए किसी भी प्रकार की निन्दा या अपशब्द कम ही पड़ेंगे।