मेक इन इंडिया की बड़ी कामयाबी: मलेशिया को 36 तेजस जेट्स बेचेगा भारत

देश की Defence Research and Development Organisation यानि DRDO द्वारा विकसित और Hindustan Aeronautics Limited यानि HAL द्वारा निर्मित LCA तेजस विमान की अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भी स्वीकृति बढ़ती जा रही है। इसी वर्ष फरवरी में जहां भारतीय वायुसेना ने HAL के साथ 83 तेजस विमानों के लिए डील पक्की की थी तो वहीं, अब मलेशिया ने भी भारत से 36 ऐसे विमानों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मलेशिया पहले अपनी वायुसेना के लिए ​​स्वीडिश​ कंपनी साब ग्रिपेन ​से सौदा करना चाह रही थी लेकिन उनके विमानों की तुलना में ​भारतीय ​LCA ​​की कीमतें काफी कम हैं​।​ यही कारण है कि अब मलेशिया ने भारतीय जेट्स पर भरोसा जताया है और इस संबंध में मलेशिया से एक टीम जल्द ही बंगलुरु स्थित HAL के प्लांट का दौरा करने वाली है।

फरवरी में बंगलुरु में आयोजित हुए एयरो इंडिया-2021 के दौरान भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तेजस को लेकर उत्साहवर्धक घोषणा की थी। उसी समय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा ​था ​कि कई देशों ने तेजस एम-1ए की खरीद में दिलचस्पी दिखाई है​​।​ उन्होंने ​जल्द ​ही ​भारत को विदेशों से तेजस एम-1ए खरीदने के ऑर्डर ​मिलने और अगले 3-4 वर्षों के भीतर रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में 1.75 लाख​​ करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल करने का विश्वास जताया​ था​​​​​। उनके इस ऐलान के बाद अब मलेशिया की ओर से इस विमान की खरीद के संकेत मिलना शुरू भी हो गए हैं।

बता दें कि इससे पहले इसी वर्ष जनवरी में केंद्र सरकार ने भारतीय वायुसेना के लिए 83 अतिरिक्त स्वदेशी तेजस जेट्स खरीदने हेतु लगभग 48 हज़ार करोड़ रुपये के सौदे को मंजूरी दी थी। कुल मिलाकर अब वायुसेना को HAL से 123 तेजस विमान मिलने हैं क्योंकि इससे पहले सरकार 40 तेजस विमानों की खरीद को पहले ही मंजूर कर चुकी है। इन 123 लड़ाकू विमानों के अतिरिक्त भारत 170 तेजस Mark-2 की खरीद को मंजूरी देने पर भी विचार कर रहा है, जो कि पॉवरफुल इंजन और आधुनिक तकनीकी से बना होगा। रक्षा मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2029 तक सभी 83 विमानों को वायुसेना को सौंपने का लक्ष्य है।

अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार “तेजस स्वदेशी चौथी पीढ़ी का टेललेस कंपाउंड डेल्टा विंग विमान है, जो सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों के समूह में सबसे हल्का और सबसे छोटा है। यह लगभग सभी मामलों में चीन और पाकिस्तान पाक द्वारा मिग-21 की नकल कर बनाए गए थंडरबर्ड से बेहतर है। जब बहरीन इंटरनेशनल एयर शो में तेजस को प्रदर्शित करने की बात की गई थी, तब पाक और चीन ने बेइज्जती से बचने के लिए थंडरबर्ड को वहां से हटा लिया था”।

RoyalBulletin के विश्लेषण के मुताबिक “​एलसीए ​तेजस मार्क-1ए​​ ​संस्करण​ ​डिजिटल रडार चेतावनी रिसीवर, एक बाहरी ईसीएम पॉड, एक आत्म-सुरक्षा जैमर, एईएसए रडार, रखरखाव में आसानी और एविओनिक्स, वायुगतिकी, रडार ​से लैस है।​ इसमें उन्नत शॉर्ट रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (एएसआरएएएम) और एस्ट्रा एमके-1 एयर टू एयर मिसाइल लगाई​ जा सकती हैं।”

भविष्य में भारत अन्य दक्षिण एशियाई देशों और कुछ अरब देशों के साथ भी रक्षा समझौतों के तहत तेजस विमान के लिए सौदे कर सकता है। अरब देश और वियतनाम पहले ही भारत की ब्रह्मोस मिसाइल को खरीदने की इच्छा जता चुके हैं। भारत सरकार किसी भी हाल में अपने defense exports को बढ़ाना चाहती है। ऐसे में ब्रह्मोस के बाद तेजस विमान सरकार की इस कोशिश को सफल बनाने में सहायता प्रदान कर सकता है।

Exit mobile version