ममता बनर्जी को इस समय समझ में आ रहा है कि अब वर्तमान चुनाव उनके बस की बात नहीं। जिस प्रकार से उनकी रैलियों को जनता नकार रही है, उन्हे भी आभास हो रहा है कि अब उनके हाथ से सत्ता जल्द जाने वाली है। ऐसे में उन्होंने एक अंतिम दांव चलते हुए अपनी रैलियाँ रद्द या स्थगित करने का फैसला लिया है।
TMC के चर्चित प्रवक्ता और राज्य सभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने हाल ही में ट्वीट किया, “ममता बनर्जी अब कोलकाता में रैलियाँ नहीं करेंगी। केवल 26 अप्रैल को एक अंतिम प्रतीकात्मक रैली होगी। इसके अलावा सभी जगहों पर जो भी रैलियाँ होंगी, वो केवल आधे घंटे की होगी” ।
इस पर एक बार फिर वामपंथी ईकोसिस्टम के सदस्यों की बाँछें खिल गई, आखिर उन्हें राहुल गांधी और ममता बनर्जी जैसों का महिमामंडन करने का सुनहरा अवसर जो मिल गया था। उदाहरण के लिए राजदीप सरदेसाई के इस ट्वीट को ही देख लीजिए –
यहाँ इस ट्वीट में राजदीप लिखता है, “द ‘गुड न्यूज’ स्टोरी – पहले राहुल और फिर ममता, अब आगे कौन ये कदम [रैलियाँ रद्द करना] उठाएगा” –
The ‘good news’ story this morning: first @RahulGandhi now @MamataOfficial .. who will be next? https://t.co/wpTnaTHNrc
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) April 19, 2021
लेकिन असल कारण तो कुछ और ही है। ममता बनर्जी ने कोलकाता में अपनी रैलियाँ इसलिए रद्द की हैं क्योंकि वह हारने के लिए चुनाव नहीं लड़ना चाहेंगी। ममता बनर्जी को कहीं न कहीं इस बात का आभास हो रहा है कि उन्हें अब किसी भी प्रकार का समर्थन नहीं मिलने वाला। अनुसूचित जातियों और जनजातियों में सत्ताधारी तृणमूल काँग्रेस के प्रति रोष दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, और ममता का भाजपा के विरुद्ध व्हीलचेयर वाला ड्रामा भी बुरी तरह फ्लॉप हुआ है।
इसलिए अब ममता बनर्जी कोविड की आड़ में अपने आप को बचाना चाहती है, ताकि आखिर में मोदी सरकार और भाजपा विलेन साबित हो सके। अभी हाल ही में उन्होंने ‘हाथ जोड़ते’ हुए चुनाव आयोग से बाकी तीन चुनावी चरणों को एक ही चुनावी चरण में समाहित करने की मांग की। हालांकि जिस प्रकार से वह नरेंद्र मोदी को कोविड के लिए जिम्मेदार ठहराने में जुटी हुई हैं, उससे उनके अपनी बातों पर कायम रहने की उम्मीद तो कम ही दिखाई दे रही है।