हूगली क्षेत्र में तृणमूल केवल हारेगी नहीं, बर्बाद हो जाएगी

TMC के गढ़ में खिलेगा 'कमल'

बंगाल बीजेपी हार

पश्चिम बंगाल में चल रहे विधानसभा चुनावों के चौथे चरण के तहत 10 अप्रैल को मतदान किया जाना है। इस चरण में हुगली लोकसभा क्षेत्र में भी चुनाव होने हैं जो बीजेपी और TMC दोनों ही पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। एक समय में TMC का गढ़ रहा हुगली क्षेत्र अब भगवामय हो चुका है और इस क्षेत्र में इस बार तृणमूल कांग्रेस केवल हारेगी नहीं, बर्बाद हो जाएगी।

हुगली नदी के किनारे बसे हुगली जिले की 18 में से 10 विधानसभा सीटों जैसे उत्तरपाड़ा, श्रीरामपुर, चांपदानी, बहुचर्चित सिंगुर, चंदननगर, चुंचुड़ा, बालागढ़, पांडुआ, सप्तग्राम तथा चंडीतल्ला विधानसभा सीटों पर कल वोटिंग होनी है। कुछ सीटों पर 6 अप्रैल को वोटिंग हो चुकी है। यह पश्चिम बंगाल का इंडस्ट्रियल बेल्ट है जहां सदियों से जूट की मिलें स्थापित हैं। यह क्षेत्र हुगली नदी के चलते तो जाना ही जाता है, साथ ही सिंगुर के कारण भी देशभर में फेमस है। इस जिले में पड़ने वाले सिंगुर में हुए आंदोलन ने ही 34 साल के कम्युनिस्ट पार्टी के शासन को मटियामेट कर ममता बनर्जी को बंगाल की सत्ता पर बैठाया था।

हालाँकि, बीजेपी ने कई वर्ष पहले ही इस क्षेत्र में अपनी तैयारी शुरू कर दी थी जिसका नतीजा 2019 में देखने को मिला जब हुगली लोकसभा सीट पर लॉकेट चैटर्जी को जीत मिली थी। हालाँकि अब जिन 10 सीटों पर चुनाव हैं, उस पर भी बीजेपी का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है। जहां बीजेपी ने ऐसे कैंडिडेट उतारे हैं, जो कुछ महीने पहले टीएमसी में थे। वहीँ TMC की गुंडागर्दी के कारण बीजेपी कार्यकर्ता की माताजी की मृत्यु की वजह से पूरे क्षेत्र में TMC के खिलाफ नाराजगी अपने उफान पर है।

वहीं चुंचुड़ा सीट पर बीजेपी ने हुगली से सांसद लॉकेट चटर्जी को मैदान में उतारा है। सिंगुर में बीजेपी ने 88 साल के रविंद्रनाथ भट्टाचार्य को उम्मीदवार बनाया है। भट्टाचार्य टीएमसी के टिकट पर लगातार चार बार सिंगुर से चुनाव जीते हैं। रविंद्रनाथ वो शख्स हैं, जो सिंगुर आंदोलन के दौरान ममता बनर्जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। किसानों को ममता के पक्ष में करने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी तथा क्षेत्र में उनकी छवि भी बेदाग है।

बता दें कि 2016 के विधानसभा चुनाव में हुगली की 18 सीटों में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने 16 पर शानदार जीत दर्ज की थी जबकि पांडुआ सीट पर माकपा तथा चांपदानी विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था। देखा जाए तो वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 18 विधानसभा सीटों में चार-पांच सीटों को छोड़ बाक़ी सीटों पर भाजपा का ही झंडा लहराया था।

इस बार तो इस क्षेत्र में माहौल और अधिक भगवामय हो चुका है। TMC के गुंडों द्वारा लगातार बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ हमले को लेकर पुरे क्षेत्र में TMC के खिलाफ माहौल बना हुआ है। तीसरे चरण के चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया था कि उसकी पार्टी के एक कार्यकर्ता की माँ को तृणमूल कांग्रेस ने हुगली जिले के गोगाट निर्वाचन क्षेत्र में “गुंडों” से पिटवा कर मार डाला।

हालाँकि यह विधानसभा क्षेत्र आरामबाग लोकसभा क्षेत्र में है लेकिन यह हुगली जिले में ही है। इस कारण लोगों में TMC की गुंडागर्दी के खिलाफ रोष है। बीजेपी का आरोप है कि गोगाट के बड़हलगंज के खुशिगंज इलाके में तृणमूल कार्यकर्ताओं के एक समूह ने पार्टी कार्यकर्ता पीरू आदक पर हमला किया था। जब अदक की मां माधवी अपने बेटे का बचाव करने के लिए दौड़ी, तो टीएमसी कार्यकर्ताओं ने उसे पीट-पीटकर मार डाला। अब अदक की मां माधवी की मृत्यु के बाद इस अभियान को और जोरदार बल मिल रहा हैं। TMC की हिंसा की राजनीति से अब सभी परेशान हो चुके हैं! आये दिन किसी न किसी बीजेपी समर्थन या नेता पर हमले होते ही रहते हैं।

पिछले महीने बदमाशों ने एक बीजेपी समर्थक गोपाल मजूमदार और उनकी 85 वर्षीय माताजी शोभा मजूमदार पर हमला किया था जिसके बाद शोभा ने बताया था कि “मुझे और मेरे बेटे को इसलिए पीटा गया, क्योंकि वह बीजेपी के लिए काम करता है।” यही नहीं 7 अप्रैल को कूचबिहार क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष पर कुछ अज्ञात लोगों ने बमों और ईंट-पत्थरों से हमला कर दिया था। इस कारण पुरे पश्चिम बंगाल में TMC के अत्याचारों से त्रस्त हैं।

अब हुगली क्षेत्र के चुनावों से पहले बीजेपी नेता पीरू आदक और उनकी माँ पर हमला तथा उनकी माँ की मृत्यु बंगाल के हुगली में TMC के ताबूत में आखिरी कील साबित हो सकती है। जिस क्षेत्र के बल पर ममता बनर्जी शासन में आई थी अब वहीँ से उनके अंत की शुरुआत होने जा रही है।

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