सार्वजनिक काम जब कुछ महत्वाकांक्षी और लालची लोगों के हाथों में चला जाता है तो भ्रष्टाचार के सवाल उठने के साथ ही उस काम में अनेक तरह के व्यवधान उत्पन्न होने लगते हैं। अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दी गई 5 एकड़ जमीन पर मस्जिद बनाने वाले कार्यक्रम को लेकर भी स्थितियां कुछ ऐसी ही हैं। इस मामले में बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षधर रहे इकबाल अंसारी ने इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नामक ट्रस्ट पर सवाल खड़े करते हुए चंदे की रकम केवल 20 लाख मिलने पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही ट्रस्ट के निजी हाथों में होने पर जफर फारुकी के प्रति नाराजगी भी जताई है।
9 नवंबर 2019 को रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद का फ़ैसला होने के बाद एक तरफ जहां देश में राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ी मात्रा में धन एकत्र कर मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है तो दूसरी ओर उसी फैसले में मस्जिद निर्माण को लेकर चल रहे कार्य में ढुल-मुल नीति अपनाई जा रही है। इस मामले में अब तक केवल लाख रुपए ही एकत्र हो पाए हैं। इस मसले पर अब बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षधर इकबाल अंसारी ने ट्रस्ट के निजी हाथों में होने पर सवाल खड़े किए हैं।
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मस्जिद निर्माण के लिए बनाए गए ट्रस्ट को लेकर इकबाल अंसारी ने जफर फारुकी पर आरोप लगाए कि उन्होंने इसके लिए निजी ट्रस्ट बनाया है जिसके चलते लोग चंदा नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “ट्रस्ट के लोग बता रहे हैं कि अभी तक मस्जिद निर्माण के लिए चंदे के तौर पर 20 लाख रुपये ही आए हैं, जबकि राम मंदिर में करोड़ों रुपए आ चुके हैं। यह सब भगवान राम की देन है। उन्हें मानने वाले पूरी दुनिया में लोग मौजूद हैं। जफर फारूकी द्वारा बनाया गया ट्रस्ट उनका निजी ट्रस्ट है और ट्रस्ट के लोग यदि सामाजिक होते तो मस्जिद निर्माण के लिए भी बहुत से पैसा आता, लेकिन ये लोग सामाजिक नहीं हैं। हम चाहते हैं कि ट्रस्ट में फेरबदल किया जाए. जब तक ट्रस्टी नहीं बदले जाएंगे तब तक लोग बढ़–चढ़कर हिस्सा नहीं ले सकेंगे।”
इकबाल अंसारी की मांग की है कि इस ट्रस्ट में बड़े परिवर्तन की आवश्यकता है क्योंकि लोगों का ट्रस्ट के सदस्यों पर विश्वास नहीं है। उन्होंने कहा, “ये लोग सामाजिक नहीं हैं। लोग इन्हें जानते नहीं इसके ऊपर विश्वास नहीं करते हैं इसलिए अभी तक 20 लाख रुपये ही जुटा पाए हैं। हम चाहते हैं कि ट्रस्ट में फेरबदल किया जाए जब तक ट्रस्टी नहीं बदले जाएंगे तब तक लोग बढ़–चढ़कर हिस्सा नहीं ले सकेंगे।”
साफ है कि जफर फारुकी के नेतृत्व में बनाया गया इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन किसी को भी रास नहीं आ रहा है। इस ट्रस्ट के अंतर्गत अयोध्या में मस्जिद के अलावा स्कूल व चिकित्सालय भी खोले जाएंगे। अब सवाल ये उठता है कि आखिर इनके निर्माण के लिए पैसा कहां से आएगा क्योंकि चंदा तो मिल ही नहीं रहा है, और वर्तमान में ये ट्रस्ट जिन हाथों में है उसमें तो इस बात की उम्मीद करना भी बचपना ही होगा, क्योंकि ये सारा काम अब निजी हाथों में है। इसीलिए अब इस मुद्दे पर बाबरी मस्जिद के लिए वर्षों तक संघर्ष करने वाले इकबार अंसारी का दर्द छलक आया है।
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ऐसे में इस पूरे मामले को देखकर कहा जा सकता है कि जो मुस्लिम पक्ष पहले राम जन्मभूमि को लेकर बेतुके दावे कर रहा था, और इस्लामिक मूल्यों का हवाला दे रहा था। उसी पक्ष के लोग अब आपस में आंतरिक भ्रष्टाचार के मुद्दों पर घिर गए हैं, और अपने सवालों के जरिए मस्जिद निर्माण को लेकर बेचैनी जाहिर करने वाले इकबाल अंसारी एक बार फिर इस मामले की केन्द्रीय धुरी बन गए हैं।