मुकुल रॉय और 4 अन्य – इनमें से ही कोई होगा बंगाल का नया मुख्यमंत्री

कौन बनेगा बंगाल का मुख्यमंत्री ?

मुख्यमंत्री

PC : (KhabarSamay)

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का चौथा चरण संपन्न हो चुका है, जबकि चार चरण के चुनाव होने अभी बाकी हैं। जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं, वैसे वैसे बीजेपी की जीत और अधिक सुनिश्चित होती जा रही है। जीत की अटकलों के बीच अब राज्य में बीजेपी के मुख्यमंत्री चेहरे पर भी चर्चा शुरू हो चुकी है। TFI के अनुसार निम्नलिखित पांच नामों में से एक को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।

मुकुल रॉय

पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री के दावेदारों में से एक मुकुल राय भी हैं। TMC में रहते मुकुल रॉय पहली बार 2006 में उच्च सदन के लिए चुने गए थे और 2012 में लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गये। उन्होंने बतौर रेल मंत्री देश की सेवा की, लेकिन ममता बनर्जी से अनबन होने के बाद वह टीएमसी से बागी हो गए। टीएमसी छोड़ने के बाद मुकुल रॉय ने 2017 में ही बीजेपी जॉइन कर ली।

लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने मुकुल रॉय को पश्चिम बंगाल का संयोजक बना दिया और फिर साल 2020 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। कई दिग्गज टीएमसी नेताओं को बीजेपी में लाने का श्रेय मुकुल रॉय को ही जाता है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में बीजेपी नेता मुकुल रॉय एक बड़ा चेहरा हैं। 2021 विधानसभा चुनाव में मुकुल रॉय नदिया जिले के कृष्णानगर उत्तर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। असम में भी बीजेपी सरकार इसीलिए बना पायी, क्योंकि हिमंता बिस्वा सरमा ने तरुण गोगोई का साथ छोड़ दिया था। यही हाल अब ममता बनर्जी का होने जा रहा है।

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दिलीप घोष

कुछ दिनों पहले बिष्णुपुर से भाजपा सांसद सौमित्र खान ने रविवार को सार्वजनिक रूप से दावा किया था कि यदि पश्चिम बंगाल में भाजपा की जीत होती है, तो राज्य के अगले मुख्यमंत्री दिलीप घोष बनाए जाएंगे। पश्चिम बंगाल के मौजूदा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष बीजेपी के ऐसे कार्यकर्ता हैं, जो उस समय से बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ता हैं जब राज्य में बीजेपी का नामो-निशान भी नहीं था। ऐसे में वह प्रमुख दावेदार हैं। वह बीजेपी के जमीनी स्तर के नेताओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।

दिलीप घोष पहले आरएसएस प्रचारक थे, जिसके बाद 2014 में उन्होंने बीजेपी का हाथ थामा और उन्हें बंगाल में पार्टी का महासचिव बना दिया गया। उसके बाद 2015 में पश्चिम बंगाल बीजेपी का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। संघ में रहते हुए पार्टी के लिए धरातल पर किया गया उनका काम 2016 के विधानसभा चुनाव में नजर आया, जब उन्होंने पश्चिमी मेदिनीपुर की खड़गपुर सदर सीट से लगातार सात बार से विधायक रहे कांग्रेस के दिग्गज ग्यान सिंह सोहनपाल को हरा दिया।

उस चुनाव में भाजपा को बंगाल में सिर्फ 3 सीटें मिली थीं। उसके बाद तो उनके नेतृत्व में पंचायत चुनावों, लोकसभा के आम चुनावों में बीजेपी की सफलता की कहानी नए आयाम लिख रही है। घोष ने स्वयं 2019 के चुनावों में मेदिनीपुर लोकसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार मानस भूनिया को धूल चटाई थी। ऐसे में वह मुख्यमंत्री पद के एक बेहद मजबूत उम्मीदवार हैं।

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शुवेंदु अधिकारी
इसी क्रम में सीएम पद के एक और दावेदार हैं ममता बनर्जी की पार्टी से ही आये शुवेंदु अधिकारी। ममता के करीबी और नंदीग्राम विधायक शुवेंदु अधिकारी ने ममता का हाथ झटक बीजेपी का दामन थाम लिया था। देखा जाये तो नंदीग्राम से लेकर जंगल महल की लगभग 60 सीटों पर उनका दबदबा है। ऐसे में शुवेंदु के जाने से TMC का एक बड़ा कार्यकर्ता वर्ग भी बीजेपी में चला गया है, जिसके चलते उस इलाक़े में TMC कार्यकर्ताओं का जोश ठंडा पड़ चुका है।

पश्चिम बंगाल में सुवेंदु की लोकप्रियता देखकर उन्हें भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा सकता है। नंदीग्राम की विधानसभा सीट पर उनका सामना स्वयं ममता बनर्जी से हो रहा है और उनकी जीत भी लगभग तय नजर आ रही है। पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी के खिलाफ अगर कोई नेता सबसे अधिक प्रखर रहा है तो वह शुवेंदु ही हैं। यही नहीं उनकी अन्य विधायकों पर भी अच्छी पकड़ है, जिससे उनकी मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी काफी मजबूत है।

लॉकेट चटर्जी

मुख्यमंत्री पद की रेस में एक और दावेदार हैं लॉकेट चटर्जी। जिस तरह से लॉकेट चटर्जी का बीजेपी में उदय हुआ है। उससे मुख्यमंत्री के रेस में उनके होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। लॉकेट चटर्जी एक बंगाली अभिनेत्री हैं, जो राजनीति में अपना पांव जमा चुकी हैं।  इससे पहले, वह पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की महिला शाखा, भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष थीं। अब वह बीजेपी पश्चिम बंगाल की महासचिव हैं। हुगली लोकसभा की संसदीय सीट पर बेहतरीन जीत दर्ज करने के बावजूद उन्हें इस बार विधान सभा चुनावों में उतारा गया है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह बीजेपी के लिए पश्चिम बंगाल में कितनी महत्वपूर्ण हैं।

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स्वपन दासगुप्ता

वहीं बंगाल में सीएम पद के पांचवे दावेदार जाने माने पत्रकार स्वपन दासगुप्ता हैं। बीजेपी ने उन्हें खास तौर पर राज्यसभा से इस्तीफा दिलवाकर विधान सभा चुनावों में उतारा है। इसके पीछे की रणनीति मुख्यमंत्री पद भी हो सकता है। वह पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि भारत के दक्षिणपंथ के भीतर प्रभावशाली हैं, जो प्रमुख तौर पर अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्रों में 80 के दशक से ही हिंदू राष्ट्रवाद पर प्रखर हो कर अपने विचार व्यक्त करते आये हैं।

2018 की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पपन दासगुप्ता को बंगाल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा था। अब जब विधान सभा चुनाव आये तो उन्हें तारकेश्वर से उम्मीदवार भी बना दिया गया। यदि भाजपा बंगाल में सत्ता हासिल करती है, जिसकी संभावनाएं दिन प्रति दिन बढती ही जा रही है, तो ऐसे में स्वपन दासगुप्ता को संभावित मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में देखा जा सकता है।

पश्चिम बंगाल में जीत के बाद बीजेपी किसे मुख्यमंत्री बनाती है, यह एक दिलचस्प मुद्दा रहेगा साथ ही हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे उलटफेर से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। अब तो समय ही बताएगा कि इनमें से कौन मुख्यमंत्री पद संभालेगा या फिर बीजेपी किसी नए तुरुप के इक्के को सामने लेकर आएगी।  

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