चाहे लाखों मर जाएँ, लेकिन IPL चलते रहना चाहिए- कम से कम BCCI को तो यही लगता है

IPL जरूरी या लोग?

देश वैश्विक महामारी कोरोनावायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है। प्रतिदिन तीन लाख से ज्यादा संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। लोग अपने घरों में एक बार फिर कैद हो गए हैं। उन्हें कमाई के लिए अनेकों दिक्कतें हो रही है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो कोरोना की इस दूसरी लहर में भारत को जान-माल दोनों की ही बुरी चपत लगी है।

इन सभी परिस्थितियों के बीच भारत में IPL का जलवा वैसे ही बरकरार है, अरबों रुपये खर्च होने वाली दुनिया की इस सबसे महंगी लीग और इसके आयोजक BCCI पर कोरोना का कोई असर नहीं पड़ा है, इससे एक सवाल सामने आता है कि क्या इस वक्त देश‌ में IPL के आयोजन की आवश्यकता थी?

BCCI की इन्हीं हरकतों की वजह से शायद, इसलिए भारतीय क्रिकेटरों से लेकर कई विदेशी खिलाड़ियों ने भी इससे दूरी बना ली है।

देश में कोरोनावायरस की भयावह स्थिति के बीच लोगों की चीत्कार सुनकर और देखकर किसी का भी हृदय व्यथित हो सकता है। एक तरफ जहां भारत की इस स्थिति को देखकर कुछ विदेशी खिलाड़ियों को अपने देश जाने की चिंता सताने लगी है तो वहीं दूसरी ओर भारतीय दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने भी IPL को टाटा कह दिया है।

उन्होंने ट्विटर पर जानकारी देते हुए बताया, “मेरे परिवार के सदस्य और अन्य परिजन इन दिनों कोरोना का मुकाबला कर रहे हैं। इस कठिन परिस्थितियों में मैं उनके साथ रहना चाहता हूं। अगर स्थिति में सुधार हुआ, तो मैं दोबारा खेल में लौटूंगा। धन्यवाद।” अश्विन का ये कदम दिखाता है कि उनकी संवेदनशीलता जागृत हो गई और यही उनके IPL से पीछे हटने की मुख्य वजह है।

इतना ही नहीं राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलने वाले आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी एंड्र्यू टाई ने भी आईपीएल से दूरी बना ली है। इस सूची में रॉयल चैलेंजर्स के लिए खेलने वाले एड जैम्पा और केन रिचर्ड्सन का नाम भी शामिल है।

वहीं पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान और दिल्ली कैपिटल्स के कोच रिकी पॉन्टिंग ने कहा है कि खिलाड़ियों से ज्यादा चर्चाएं इस वक्त मैदान के बाहर की हैं, शायद इस वक्त खिलाड़ी सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं। देखने वालों के तो पॉन्टिंग का ये बयान भारत के लिए किसी तंज से कम नहीं लग रहा है।

इसके इतर BCCI को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। देश में लोगों की मृत्यु हो रही है। मरीजों और उनके परिजनों के बीच ऑक्सीजन से लेकर वेंटिलेटर तक के लिए चीख-पुकार मची हुई है, लेकिन जब BCCI से IPL को लेकर सवाल पूछे गए तो, एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि “आईपीएल चलता रहेगा, टूर्नामेंट पर कोई खतरा नहीं है हालांकि, बोर्ड वापस जाने वाले खिलाड़ियों के रास्ते में नहीं आएगा।“ साफ है कि BCCI की संवेदनशीलता वित्तीय लाभ की लालसा में शून्य हो चुकी है, इसलिए उसे अपने लोगों की परवाह तक नहीं है।

IPL पर इस बार भी पिछले अन्य संस्करणों की भांति अरबों रुपए खर्च हो रहे हैं। मैदान इस बार जरूर कम हैं, लेकिन लाव-लश्कर वैसा ही है। प्रत्येक मैच के लिए प्रशासन की तरफ से सभी टीमों के खिलाड़ियों को सुरक्षा दी जा रही है। जिस शहर में मैच होता हैं, वहां प्रशासन का एक बड़ा हिस्सा केवल IPL की व्यवस्थाओं में व्यस्त हो जाता है।

शायद ये IPL न होता तो पीड़ितों पर प्रशासन का ज्यादा ध्यान जाता, लेकिन नहीं… BCCI एक अलग ही दुनिया में व्यस्त है, जिसका भारत की वर्तमान स्थिति के यथार्थ से कोई सरोकार नहीं है।

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BCCI की ये मनमानी हरकतें पिछले साल भी सामने आईं थीं जब BCCI को यूएई शिफ्ट किया गया था।‌ समय-समय पर सामने आता रहा है कि जब BCCI को देश के प्रति संवेदनशीलता दिखानी होती है तो लोगों के सामने उसके वित्तीय लाभ महत्वकांक्षाओं का पर्दाफाश हो जाता है। इन्हीं कारणों के चलते क्रिकेट से लोगों का मोह‌ भंग होता जा रहा है और देश‌ में क्रिकेट के प्रति लोगों में न तो जुनून रहा है,न ही सम्मान।

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