जब वुहान वायरस अपने चरमोत्कर्ष पर था और दुनिया त्राहिमाम कर रही थी, तब भारत ने अपने सीमित संसाधनों में भी दुनिया की सहायता करने की पूरी कोशिश की। चाहे PPE किट देना हो, Hydroxychloroquine की सहायता देना हो, भारत ने कहीं भी कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन जब भारत का साथ निभाने की बात आई, तो स्वभावानुसार अमेरिका और जर्मनी ने भारत को ठेंगा दिखा दिया।
हालांकि सभी अमेरिका और जर्मनी जैसे एहसान फ़रामोश नहीं होते। कुछ तो फ्रांस जैसे भी होते हैं, जो अब भी भारत की हरसंभव सहायता करने के लिए तैयार है। भारत ने विदेशों से आवश्यक उपकरण और दवाइयों इम्पोर्ट करने की प्रक्रिया जैसे ही प्रारंभ की, फ्रांस ने ये स्पष्ट कर दिया कि वह भी भारत को वुहान वायरस से लड़ने में हरसंभव सहायता प्रदान करेगा। जल्द ही भारत को फ्रांस की ओर से ऑक्सीजन की सप्लाई भी मुहैया कराई जाएगी।
मेडिकल ऑक्सीजन के क्षेत्र में फ्रेंच कंपनी Air Liquide एक जाना माना नाम है। हाल ही में इस कंपनी ने अपने मेडिकल ऑक्सीजन की एक बड़ी खेप भारत को एक्सपोर्ट करने का निर्णय लिया है। ये भारत से बढ़ती मांग के बीच लिया गया निर्णय है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि फ्रांस अपने कहे अनुसार भारत को वास्तव में सहायता पहुंचा रहा है।
ये फ्रांस ही था जिसने अनेक चुनौतियों के बावजूद भारत का साथ नहीं छोड़ा और राफेल विमान की आपूर्ति तय समय पर पूरी भी कारवाई। इसी प्रकार से अब फ्रांस भारत को वुहान वायरस से लड़ने में हरसंभव सहायता दे रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति एम्मानुएल मैक्रोन ने स्पष्ट कहा था कि चाहे कैसी भी स्थिति हो, फ्रांस की ओर से भारत को किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी जाएगी।
फ्रांस के अलावा इज़रायल और रूस जैसे भरोसेमंद मित्र भी भारत की हरसंभव सहायता करने को तैयार है। ऐसे में एक संदेश स्पष्ट है – अगर संसार में शकुनि है, तो विदुर भी होंगे, विश्वासघाती हैं, तो भरोसेमंद मित्र भी होंगे। इसी प्रकार से भारत के लिए अगर अमेरिका और जर्मनी जैसे मतलबी साथी है, तो फ्रांस, इज़राएल और रूस जैसे विश्वासपात्र मित्र भी होंगे।