देश में कोरोना की दूसरी लहर के बीच भी राजनीति करने वाले बाज नहीं आ रहे हैं। इसी का नमूना हमें देखने को मिला जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी ने प्रधानमंत्री को ऑक्सीजन के लिए पत्र लिखा। कुछ दिनों पहले ही जब स्टरलाइट ने अपने संयंत्र को ऑक्सीजन उत्पादन के लिए फिर से खोलने की पेशकश की थी तब उन्होंने दावा किया कि तमिलनाडु के पास पर्याप्त ऑक्सीजन है परन्तु आज वह फिर से ऑक्सीजन के लिए प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख रहे हैं।
दरअसल रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी ने प्रदेश को होने वाले मेडिकल ऑक्सिजन आवंटन को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में दावा करते हुए कहा, ‘तमिलनाडु के लिए राष्ट्रीय मेडिकल ऑक्सीजन आवंटन योजना के तहत 220 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का आवंटन होना है लेकिन गलत आवंटन के आधार पर 80 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन प्रदेश के श्रीपरम्पुदूर से सीधे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भेजा जा रहा है।‘
In National Medical Oxygen allotment plan allocation for Tamil Nadu fixed at 220 MTs & based on the wrong allotment, 80 MTs of liquid oxygen diverted from manufacturing facilities at Sriperumpudur, Tamil Nadu to Andhra Pradesh & Telangana: Tamil Nadu CM writes to PM
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— ANI (@ANI) April 25, 2021
बता दें पलानीस्वामी ने पत्र में आगे लिखा, ‘मैं आपके ध्यान में लाना चाहता हूं कि Petroleum and Explosives Safety Organisations के आंकड़ों के अनुसार, तमिलनाडु में ऑक्सीजन की खपत पहले ही 310 मीट्रिक टन तक पहुंच गई है, जो राज्य को किए गए अपर्याप्त 220 मीट्रिक टन के आवंटन से अधिक है।’
I wish to bring to your notice that as per Petroleum and Explosives Safety Organisations data, consumption of oxygen in Tamil Nadu has already reached 310 MTs as against the inadequate allotment made to the State
of only 220 MTs: Tamil Nadu CM Edappadi K Palaniswami writes to PM— ANI (@ANI) April 25, 2021
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार सीएम पलानीस्वामी ने प्रधानमंत्री से अपील करते हुए लिखा, “जिन राज्यों को ऑक्सीजन का आवांटन किया गया है, उनमें हमारे मुकाबले कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या कम है और उनके राज्य के अंदर और आसपास ही प्रमुख स्टील उद्योग मौजूद हैं , जहां से वे मेडिकल ऑक्सीजन ले सकते हैं। इसलिए मेरा अनुरोध है कि श्रीपरम्पुदूर संयंत्र से 80 मीट्रिक टन का डायवर्जन तुरंत रद्द किया जाए।”
The States to which allotment has been made have lower number of active cases than us & have major steel industries located within their State/close to their States. So, I request that diversion of 80 MT from Sriperumpudur plant, may immediately be cancelled: Tamil Nadu CM to PM
— ANI (@ANI) April 25, 2021
बता दें कि जब वेदांता ने स्टरलाइट को दोबारा ऑक्सीजन उत्पादन के लिए खोलने का प्रस्ताव दिया था तो तमिलनाडु की सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय के सामने कहा कि उसके पास COVID-19 से निपटने के लिए पर्याप्त मात्र में ऑक्सीजन,अस्पताल के बेड और वैक्सीन हैं।
राज्य की पिलानीस्वामी सरकार का कहना है कि उनके यहां ऑक्सीजन की दिक्कत नहीं है और स्टरलाइट प्लांट को शुरू करने से उस इलाके के आस-पास कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। ये दिखाता है कि जब देश में जीवन रक्षक ऑक्सीजन की किल्लत है तो ऐसे वक्त में भी तमिलनाडु की सरकार निचले स्तर की घटिया राजनीति कर रही है।
यही नहीं तमिलनाडु सरकार ने यह भी दावा किया था कि वह ऑक्सीजन का सरप्लस उत्पादन कर रही है और कोरोना के मामले बढ़ने की स्थिति में भी उसके पास पर्याप्त वेंटिलेटर और रेमडिसविर है। यह दावे मद्रास हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की बेंच के समक्ष किए गए थे।
नारायण ने यह दावा किया था कि राज्य में 1,167 टन ऑक्सीजन स्टोर करने और प्रतिदिन 400 टन उत्पादन करने की क्षमता है। इसके अतिरिक्त, पुडुचेरी में एक दिन में 150 टन का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने बताया था कि तमिलनाडु में वर्तमान ऑक्सीजन उपयोग केवल 250 टन प्रतिदिन था; इसलिए 65 टन सरप्लस ऑक्सीजन पड़ोसी राज्यों में भेज दिया गया था।यही नहीं सुप्रीम कोर्ट में भी तमिलनाडु की सरकार ने यही दावा किया था।
यानी एक तरफ तमिलनाडु की सरकार यह दावे भी कर रही है कि उसके पास पर्याप्त ऑक्सीजन है और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भी लिखा जा रहा है कि बगल के राज्यों को ऑक्सीजन डाइवर्ट न किया जाये।
इस पूरी बहस का विश्लेषण करें तो साफ कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर जल्द-से-जल्द समाधान करके तमिलनाडु के स्टरलाइट प्लांट में आक्सीजन बनाने के हक में हैं जबकि तमिलनाडु सरकार अपनी स्थानीय राजनीति की महत्वाकांक्षाओं के चक्कर में इस मुद्दे पर पल्ला झाड़ रही है और यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि केंद्र सरकार उसके हिस्से के ऑक्सीजन को दुसरे राज्य भेज रही है।