महाविकास अघाड़ी सरकार महाराष्ट्र में फैल रहे कोरोना संक्रमण को नियंत्रण में करने के अलावा सारे फिजूल काम कर रही है। हाल में ही महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर के खिलाफ जांच के आदेश दे दिये हैं। जांच की ज़िम्मेदारी वरिष्ठ IPS अफसर विकास पांडे को सौंपी गई है।
कुछ दिन पहले ही परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ उगाही की बात का ज़िक्र किया था, जिसके बाद अनिल देशमुख को इस्तीफा देना पड़ा था और बॉम्बे हाईकोर्ट ने देशमुख के खिलाफ CBI जांच का आदेश भी दे दिया है। अब महाराष्ट्र सरकार ने बदले की भावना के कारण परमबीर सिंह के खिलाफ जांच कराने के आदेश दे दिये हैं।
बता दें कि, परमबीर सिंह ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने अनिल देशमुख के ऊपर 100 करोड़ की उगाही करने का गंभीर आरोप लगाया था। पत्र में लिखा था कि, अनिल देशमुख सचिन वाझे के माध्यम से उगाही करता है। इस मामले को लेकर बीते दिनों बॉम्बे हाईकोर्ट ने देशमुख के खिलाफ CBI जांच करने का आदेश दिया है।
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महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्रालय ने 1 अप्रैल को परमबीर सिंह के खिलाफ जांच का आदेश दिया था। गौरतलब है कि जब परमबीर पर जांच के आदेश दिये गये थे, उस समय अनिल देशमुख राज्य के गृह मंत्री पद पर विराजमान थे। इससे साफ हो जाता है कि अनिल देशमुख ने स्वयं ही परमबीर सिंह के खिलाफ जांच का आदेश दिया था। जांच के आदेश में साफ कहा गया है कि, अगर परमबीर सिंह के खिलाफ कोई भी सबूत मिलता है, तो उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाएगा। साथ ही उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
जांच के आदेश में कहा गया है कि, “वाझे को CIU के तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) की सलाह के खिलाफ प्रमुख बनाया गया था और उन्हें महत्वपूर्ण मामले दिये गये थे। उन्हें सीधे कमिश्नर को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था। वाझे को बाद में एंटीलिया मामले में गिरफ्तार किया गया था। क्या इन अधिकारियों का नियंत्रण और निगरानी का काम करने वाले परमबीर सिंह अपने कर्तव्य में चूक गए ?”
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जांच के कुछ मुख्य केंद्र निर्धारित किये गये हैं। जैसे सचिन वाझे, जो सीधे कमिश्नर परमबीर सिंह को रिपोर्ट करता था, वो कैसे अपने रास्ते से भटक गया और संगीन जुर्म को अंजाम देने लगा। गौरतलब है कि एंटीलिया मामले के मुख्य आरोपी सचिन वाझे हैं और उनके खिलाफ NIA जांच कर रही है। इसके अलावा जांच इस बात पर भी होगी कि जब परमबीर सिंह को घटना के बारे में पहले से जानकारी थी। इसके बावजूद सिंह ने महाराष्ट्र के बजट सत्र के दौरान ही इस बात से पर्दा क्यों उठाया। इस पूरे घटना को देखते हुए, सिंह के पत्र का समय और उनकी नियत के ऊपर भी जांच होगी।
अगर हम इस मामले से जुड़े घटनाक्रम को देखें तो यह कह सकते हैं कि, अनिल देशमुख ने परमबीर सिंह के खिलाफ बदले की भावना से जांच बैठायी है। यह Conflictofinterest का भी मामला हो सकता है। यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें सरकारी अधिकारी का निर्णय उसकी व्यक्तिगत रूचि से प्रभावित होता है। महाविकास आघाड़ी सरकार इस मामले के बाद पूरी तरह से बिखरी हुई नज़र आ रही है। एक तरफ कोरोना संकट बढ़ता जा रहा है और दूसरी ओर राजनीतिक स्थिरता का भी संकट गंभीर होता जा रहा है।